scorecardresearch

Mutual Fund: मल्टी एसेट एलोकेशन फंड पर कैसे लगता है टैक्स, क्यों अलग-अलग हो सकता है हर फंड का टैक्स ट्रीटमेंट

Mutual fund taxation: सभी मल्टी एसेट एलोकेशन फंड्स से होने वाली कमाई पर इनकम टैक्स के एक जैसे नियम लागू नहीं होते. इस कैटेगरी में आने वाले अलग-अलग फंड्स पर अलग-अलग हिसाब से इनकम टैक्स देना पड़ सकता है.

Mutual fund taxation: सभी मल्टी एसेट एलोकेशन फंड्स से होने वाली कमाई पर इनकम टैक्स के एक जैसे नियम लागू नहीं होते. इस कैटेगरी में आने वाले अलग-अलग फंड्स पर अलग-अलग हिसाब से इनकम टैक्स देना पड़ सकता है.

author-image
Viplav Rahi
New Update
multi asset allocation funds, Taxation of multi asset allocation fund, Mutual fund taxation, equity funds, non-equity funds, equity exposure, मल्टी एसेट एलोकेशन फंड, मल्टी एसेट एलोकेशन फंड पर कैसे लगता है टैक्स, मल्टी एसेट एलोकेशन फंड का टैक्स ट्रीटमेंट, इक्विटी एक्सपोजर

How multi asset allocation funds are taxed : किसी खास मल्टी एसेट एलोकेशन फंड्स से होने वाली कमाई पर कितना टैक्स लगेगा, यह उस फंड के एसेट एलोकेशन से तय होता है. (Image: Pixabay)

How multi asset allocation funds are taxed : म्यूचुअल फंड्स से होने वाली कमाई पर इनकम टैक्स किस हिसाब से देना पड़ता है? निवेशकों के इस सवाल का आमतौर पर म्यूचुअल फंड्स (Mutual Fund) को डेट फंड और इक्विटी फंड में बांटकर दिया जाता है. इक्विटी फंड की कैटेगरी में आने वाले म्यूचुअस फंड्स पर टैक्स की बचत होती है, जबकि डेट फंड के मामले में ऐसा नहीं है. लेकिन मल्टी एसेट एलोकेशन फंड का मामला थोड़ा अलग है. ऐसा इसलिए क्योंकि मल्टी एसेट एलोकेशन फंड्स से होने वाली कमाई पर कितना टैक्स लगेगा, यह सिर्फ फंड का नाम सुनकर नहीं बताया जा सकता. इस कैटेगरी में आने वाले अलग-अलग फंड्स की कमाई पर अलग-अलग हिसाब से इनकम टैक्स देना पड़ सकता है. दरअसल किसी खास मल्टी-एसेट एलोकेशन फंड से होने वाली इनकम पर टैक्स कितना लगेगा, यह जानने के लिए उस स्पेसिफिक फंड का एसेट एलोकेशन देखना जरूरी है. 

क्या है मल्टी-एसेट एलोकेशन फंड का मतलब?

मल्टी-एसेट एलोकेशन फंड का टैक्स ट्रीटमेंट बाकी फंड्स से अलग होने की वजह इनका अलग कैरेक्टर है. दरअसल, मल्टी-एसेट एलोकेशन फंड की कैटेगरी में ऐसे म्यूचुअल फंड आते हैं, जो इक्विटी और डेट के साथ ही साथ गोल्ड या रियल एस्टेट जैसे तीसरे एसेट क्लास में भी निवेश करते हैं. किसी म्यूचुअल फंड को मल्टी-एसेट एलोकेशन फंड तभी कहा जाता है, जब तीनों एसेट क्लास (इक्विटी, डेट और गोल्ड/रियल एस्टेट) में उसका इनवेस्टमेंट कम से कम 10-10 फीसदी हो. इस 30 फीसदी अनिवार्य निवेश के बाद के बाद बाकी फंड का एलोकेशन फंड मैनेजर अपने हिसाब से कर सकता है. 

Advertisment

Also read : Electoral Bonds: स्टेट बैंक ने चुनावी बॉन्ड के सीरियल नंबर भी चुनाव आयोग को सौंपे, सुप्रीम कोर्ट में दिया हलफनामा

फंड एलोकेशन के हिसाब से तय होती है टैक्स देनदारी

मल्टी-एसेट एलोकेशन फंड की परिभाषा से ही साफ है कि इस कैटेगरी में आने वाले अलग-अलग फंड्स का एसेट एलोकेशन अलग-अलग हो सकता है. यही वजह है कि उनका टैक्स ट्रीटमेंट भी एक जैसा नहीं हो सकता. अगर किसी फंड का इक्विटी में एलोकेशन 65 फीसदी से ज्यादा है, तो उसका टैक्स ट्रीटमेंट भी इक्विटी फंड्स की तरह होगा. यानी ऐसे फंड्स को अगर आप 3 साल से ज्यादा होल्ड करते हैं, तो उसमें किए गए निवेश पर इनकम टैक्स के सेक्शन 80C के तहत टैक्स बेनिफिट मिलेगा. साथ ही 3 साल बाद यूनिट बेचने पर अगर एक वित्त वर्ष के दौरान 1 लाख रुपये तक का मुनाफा होता है, तो उस पर कोई इनकम टैक्स नहीं देना पड़ेगा. 3 साल बाद यूनिट बेचने पर अगर एक साल में 1 लाख रुपये से ज्यादा मुनाफा होता है, तो भी उस पर 10 फीसदी की दर से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) टैक्स देना होगा. लेकिन अगर आप यूनिट को एक साल से ज्यादा और 3 साल से कम होल्ड करते हैं, तो उससे हुए मुनाफे पर 15 फीसदी की दर से शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स (STCG) टैक्स देना होगा. 1 साल से कम होल्ड करने पर स्लैब के हिसाब से टैक्स देना होगा.

Also read : राहुल गांधी ने कहा- देश में नहीं बचा लोकतंत्र, कांग्रेस के बैंक खाते नहीं डेमोक्रेसी हुई फ्रीज

65% से कम इक्विटी एलोकेशन पर टैक्स 

किसी मल्टी-एसेट एलोकेशन फंड का इक्विटी एलोकेशन अगर 35 से ज्यादा लेकिन 65 फीसदी से कम है, तो उसमें निवेश करने पर 80सी का बेनिफिट नहीं मिलेगा. ऐसे फंड्स को अगर आप 3 साल से ज्यादा होल्ड करने के बाद बेचते हैं, तो उस पर होने वाले प्रॉफिट पर 20 फीसदी की दर से इनकम टैक्स देना पड़ता है. लेकिन अगर आप ऐसे फंड्स को 3 साल से कम होल्ड करने के बाद मुनाफा वसूली करते हैं, तो प्रॉफिट पर इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स देना होगा. वहीं जिन मल्टी-एसेट एलोकेशन फंड्स का इक्विटी एलोकेशन 35 फीसदी से कम है, उन्हें बेचने पर होने वाली कमाई पर हमेशा स्लैब के हिसाब से ही टैक्स देना होगा, फिर चाहे होल्डिंग पीरियड कुछ भी हो. 

Also read : RIL: न्यू एनर्जी पर केंद्र की पहल से आरआईएल को होगा फायदा, शेयर बना सकता है नया रिकॉर्ड, 3210 रु का टारगेट

मल्टी-एसेट एलोकेशन फंड ऑफ फंड्स (FoFs) का टैक्सेशन

मल्टी-एसेट एलोकेशन फंड ऑफ फंड्स (FoFs) में 1 अप्रैल, 2023 को या उसके बाद किए गए इन्वेस्टमेंट (Mutual Funds Investment) पर हुए लाभ को इनकम में जोड़कर लागू स्लैब के अनुसार टैक्स देना होगा. लेकिन अगर FoF में निवेश 1 अप्रैल, 2023 से पहले किया गया है और उसे तीन साल से अधिक समय तक रखने के बाद बेचा जाता है, तो उससे हुए प्रॉफिट पर इंडेक्सेशन बेनिफिट देने के बाद 20 फीसदी की दर से टैक्स देना होगा. 3 साल पहले बेचने पर जो भी मुनाफा होगा, उसे इनकम में जोड़कर स्लैब के अनुसार इनकम टैक्स लगेगा.

Mutual Funds Investment Mutual Fund