/financial-express-hindi/media/media_files/kB8ABV8yavaLAjFAA1XW.jpg)
Tax on IPO profit booking: अगर आपने आईपीओ की लिस्टिंग पर या उसके अगले कुछ दिनों में मुनाफा वसूली की है, तो उस पर टैक्स देना पड़ सकता है. लेकिन कुछ मामलों में आप इस टैक्स देनदारी को कम भी कर सकते हैं. (Image : Pixabay)
How to reduce tax liability on IPO Profit booking: साल 2023 के दौरान कम से कम 15 आईपीओ ऐसे रहे हैं, जिनमें शेयर की लिस्टिंग 80 से 100 फीसदी तक के जबरदस्त प्रीमियम यानी मुनाफे के साथ हुई है. टाटा टेक्नोलॉजीज (Tata Tech), इरेडा (IREDA) से लेकर गांधार ऑयल (Gandhar Oil) तक ऐसे कई आईपीओ पिछले दिनों लिस्ट हो चुके हैं. टाटा टेक ने लिस्टिंग के बाद 140 से 180 फीसदी तक और इरेडा ने 100 फीसदी तक मुनाफा दिया है. टाटा टेक का इश्यू प्राइस 500 रुपये था और 6 दिसंबर को कंपनी का शेयर 1,187 रुपये पर बंद हुआ, लेकिन उससे पहले 1 दिसंबर को इसने 1,400 रुपये का स्तर भी छू लिया था. इसी तरह इरेडा का इश्यू प्राइस 32 रुपये था, जो 6 दिसंबर को 64.10 रुपये पर बंद हुआ है.
बहुत से निवेशकों ने इस भारी मुनाफे को कमाई का अच्छा मौका मानते हुए लिस्टिंग के दिन या उसके कुछ दिनों बाद प्रॉफिट बुकिंग की होगी यानी मुनाफे पर अपने शेयर बेचे होंगे. लेकिन ऐसा करने वाले बहुत से निवेशकों को अब अपने मुनाफे पर इनकम टैक्स देने के लिए तैयार रहना चाहिए. अगर आपने भी आईपीओ में मिले शेयर लिस्टिंग के अगले कुछ दिनों में बेचकर मुनाफा कमाया है, तो ये जानना जरूरी है कि उस प्रॉफिट पर आपको किस हिसाब से टैक्स देना पड़ सकता है. आप निश्चित तौर पर यह भी जानना चाहेंगे कि क्या आप इस टैक्स देनदारी को कानूनी तरीके से कम भी कर सकते हैं?
IPO प्रॉफिट बुकिंग पर क्या कहते हैं टैक्स के नियम
अगर आप लिस्टिंग के दिन या उसके कुछ दिनों बाद मुनाफा कमाने के बाद स्टॉक बेच देते हैं, तो उस पर इनकम टैक्स (Income-Tax) की देनदारी बनती है. हालांकि आईपीओ के तहत अलॉट हुए शेयरों की बिक्री पर भी टैक्स उसी हिसाब से लगता है, जैसे किसी और लिस्टेड शेयर से होने वाली कमाई पर, लेकिन शेयर खरीदने से जुड़ी कुछ बातें ऐसी हैं, जो आपकी टैक्स देनदारी पर असर डाल सकती हैं. सही ढंग से टैक्स प्लानिंग (Tax-Planning) करें तो आप इस टैक्स देनदारी को घटा भी सकते हैं.
इस हिसाब से लगेगा शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स
चूंकि आपने अपने शेयर आवंटित होने के एक साल के भीतर बेच दिए हैं, इसलिए शेयर बिक्री से होने वाले मुनाफे पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स (STCG) टैक्स यानी अल्पकालिक पूंजीगत लाभ कर देना होगा. इक्विटी के लिए इसकी दर 15 फीसदी है. इसके अलावा आपको इस टैक्स पर 2 फीसदी एजुकेशन सेस और 1 फीसदी हायर एजुकेशन सेस भी देना होगा. अगर आप इन शेयरों को जल्दी बेचने की जगह एक साल या उससे ज्यादा समय तक रखने के बाद बेचते तो आपको मुनाफे पर सिर्फ 10 फीसदी की दर से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) टैक्स देना पड़ता. इतना ही नहीं, अगर उस वित्त वर्ष के दौरान आपकी शेयर बेचने से हुई आय 1 लाख रुपये से ज्यादा नहीं होती, तो आपको उस मुनाफे पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ता. लेकिन जल्दी शेयर बेचने की वजह से आपको इस छूट का फायदा नहीं मिल पाएगा.
किन लोगों को नहीं देना पड़ेगा टैक्स
अगर शेयर बेचने से हुई कमाई को जोड़ने के बाद भी किसी व्यक्ति की सालाना टैक्सेबल इनकम बेसिक एग्जम्पशन लिमिट (basic exemption limit) से कम है, तो उन्हें कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा. इनकम टैक्स के नियमों के तहत बेसिक एग्जम्पशन लिमिट सामान्य नागरिकों के लिए 2.5 लाख रुपये, 60 से 80 साल तक के सीनियर सिटिज़न्स यानी वरिष्ठ नागरिकों के लिए 3 लाख रुपये और 80 साल या उससे ज्यादा उम्र वाले अति-वरिष्ठ नागरिकों (super senior citizen) के लिए के लिए 5 लाख रुपये है.
ऐसे कम कर सकते हैं टैक्स देनदारी
अच्छी खबर यह है कि आप मुनाफे की रकम पर बनने वाली कुल टैक्स देनदारी को कम करने के लिए उसमें से कुछ फीस और लॉस को एडजस्ट कर सकते हैं. मिसाल के तौर पर अगर आपने आईपीओ में अलॉटमेंट के लिए ब्रोकरेज का भुगतान किया है, तो आप उसे एडजस्ट कर सकते हैं. इसी तरह अगर आपको कोई और शेयर या दूसरा एसेट बेचने में शॉर्ट टर्म कैपिटल लॉस हुआ है, तो उसे भी आप आईपीओ पर हुए मुनाफे में एडजस्ट करके अपनी टैक्स देनदारी कम कर सकते हैं. लेकिन ये बात ध्यान में रखें कि आप अपनी शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स की देनदारी को 1 अप्रैल 2023 के बाद हुए किसी शॉर्ट टर्म कैपिटल लॉस के साथ ही एडजस्ट कर सकते है. इसे आप किसी लॉन्ग टर्म कैपिटल लॉस से एडजस्ट नहीं कर सकते. लॉन्ग टर्म कैपिटल लॉस को सिर्फ लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन से ही घटाया जा सकता है.