/financial-express-hindi/media/media_files/2025/08/12/cpi-inflation-ai-image-2025-08-12-16-50-19.jpg)
जुलाई महीने में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) आधारित महंगाई दर 1.55% रही. यह जून 2025 के 2.10% के मुकाबले कम है. (AI Image)
CPI Inflation Hits 8 Year Low, Will Bank FD Interest Rates Fall Further: जुलाई महीने में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) आधारित महंगाई दर 1.55% रही. यह जून 2025 के 2.10% के मुकाबले कम है. सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) द्वारा मंगलवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक यह जून 2025 के मुकाबले 55 बेसिस प्वॉइंट की गिरावट है. यह जून 2017 के बाद सालाना आधार पर सबसे कम महंगाई दर है. वहीं, अक्टूबर 2024 में CPI बेस्ड रिटेल इनफ्लेशन 14 महीने के उच्चतम स्तर 6.21% तक पहुंच गई थी.
NSO के आंकड़ों के मुताबिक सालाना आधार पर जुलाई 2025 में एक साल पहले (जुलाई 2024) के मुकाबले पूरे भारत के कंज्यूमर फूड प्राइस इंडेक्स (CFPI) पर आधारित खाद्य महंगाई दर -1.76% (प्रॉविजनल) रही. ग्रामीण इलाकों में यह दर -1.74% और शहरी इलाकों में -1.90% रही. जून 2025 के मुकाबले जुलाई में खाद्य महंगाई में 75 बेसिस पॉइंट की गिरावट आई. जुलाई 2025 की खाद्य महंगाई दर जनवरी 2019 के बाद सबसे कम है.
Also read : पेंशनर्स को बड़ी राहत, इनकम टैक्स बिल 2025 में कम्यूटेड पेंशन पर पूरा टैक्स माफ
जुलाई 2025 में आम आदमी की जरूरत वाली चीजों की महंगाई और फूड महंगाई में जो बड़ी गिरावट आई है, वह मुख्य रूप से अनुकूल बेस इफेक्ट और दालें व उनके उत्पाद, परिवहन और संचार, सब्जियां, अनाज और उत्पाद, शिक्षा, अंडा, और चीनी व मिठाइयों की महंगाई में कमी के कारण हुई है. ग्रामीण इलाकों में जुलाई महीने की मुख्य और खाद्य महंगाई क्रमशः 1.18 फीसदी (प्ऱॉविजनल) रही, जबकि जून 2025 में यह 1.72 फीसदी थी. शहरी इलाकों में महंगाई जून 2025 के 2.56 फीसदी से घटकर जुलाई 2025 में 2.05 फीसदी (प्रॉविजनल) हो गई. खाद्य महंगाई भी जून 2025 के -1.17 फीसदी से गिरकर जुलाई 2025 में -1.90 फीसदी (प्रॉविजनल) हो गई.
सब्जियों की महंगाई जुलाई में -20.69 फीसदी पर आ गई जो जून के -19.00 फीसदी से कम है. दालों और उत्पादों की महंगाई जुलाई में -13.76 फीसदी रही, जबकि जून में यह -11.76 फीसदी थी. अनाज और उत्पादों की महंगाई 3.03 फीसदी रही, दूध और उत्पादों की महंगाई 2.74 फीसदी, और फ्यूल व लाइट की महंगाई 2.67 फीसदी दर्ज की गई.
एनएसओ के आंकड़ों के मुताबिक जुलाई में आवास की महंगाई 3.17 फीसदी रही जो जून में 3.24 फीसदी थी, जबकि कपड़े और जूतों की महंगाई जुलाई में 2.50 फीसदी पर आ गई जो जून में 2.55 फीसदी थी. स्वास्थ्य की महंगाई जून में 4.57 फीसदी और शिक्षा की महंगाई 4.00 फीसदी रही.
इस पर आनंद राठी ग्रुप के चीफ इकोनॉमिस्ट एंड एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर सुजान हजरा (Sujan Hajra, Chief Economist & Executive Director, Anand Rathi Group) ने कहा - खाद्य कीमतों में तेज गिरावट की वजह से महंगाई में भारी कमी आई है, साथ ही व्यापक महंगाई भी नरम हो रही है. RBI का पहले से घटाया गया 12 महीने का अनुमान भी कम हो सकता है, जिससे आगे ब्याज दरों में कटौती की संभावना बढ़ जाती है, खासकर क्योंकि अमेरिकी टैरिफ से GDP विकास में 30-40 बेसिस पॉइंट की कमी हो सकती है. जबकि कम दरें शेयर और कर्ज को समर्थन देती हैं, कम महंगाई नाममात्र GDP, आय, कर राजस्व, और क्रेडिट विकास को सीमित कर सकती है.”
क्यों अहम है यह गिरावट?
- महंगाई में लगातार कमी का मतलब है कि आम लोगों के बजट पर दबाव घट रहा है.
- RBI (भारतीय रिजर्व बैंक) अपनी ब्याज दर नीति तय करते समय CPI महंगाई को अहम संकेतक मानता है.
- जब महंगाई बहुत कम होती है, तो RBI के पास रेपो रेट घटाने का मौका होता है, जिससे बैंकों के FD (फिक्स्ड डिपॉजिट) और लोन की ब्याज दरों पर असर पड़ सकता है.
क्या और घटेंगे बैंक एफडी रेट?
- अगर आने वाले महीनों में महंगाई दर इसी तरह कम बनी रहती है, तो RBI अगले मौद्रिक नीति समीक्षा (Monetary Policy Review) में रेपो रेट घटा सकता है.
- रेपो रेट घटने पर बैंकों को सस्ता फंड मिलता है, जिससे वे लोन सस्ते करते हैं.
- लेकिन साथ ही, FD रेट भी घट सकती है, क्योंकि बैंक कम ब्याज पर पैसा जुटा सकते हैं.
- हालांकि, यह तुरंत तय नहीं है, क्योंकि RBI सिर्फ महंगाई ही नहीं, बल्कि आर्थिक वृद्धि, डॉलर-रुपया दर और ग्लोबल ब्याज दरों को भी ध्यान में रखता है.