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Revised Income Tax Bill 2025 Passed : संशोधित इनकम टैक्स बिल 2025 लोकसभा में ध्वनिमत से पारित हो गया. (File Photo : PTI)
New Income Tax Bill 2025 Passed: सोमवार को लोकसभा में नया आयकर बिल, 2025 बिना किसी बहस के पास हो गया. इससे पहले, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में इनकम टैक्स बिल को फिर से पेश किया. इसे कुछ दिन पहले ही सदन से इसलिए वापस लिया गया था ताकि सेलेक्ट पैनल की अहम सिफारिशों को इसमें शामिल किया जा सके.
इसी के साथ, लोकसभा ने आज एक और बिल – टैक्सेशन लॉज (अमेंडमेंट) बिल – भी पास किया, जिसका उद्देश्य यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) के सब्सक्राइबर्स को टैक्स छूट देना है. दोनों बिल सदन में बिना किसी बहस से सिर्फ ध्वनिमत यानी वॉयस वोट के जरिए पास किए गए. हालांकि विपक्षी सांसद इस दौरान कई मुद्दों पर विरोध करते रहे.
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सेलेक्ट कमेटी की ज्यादातर सिफारिशें शामिल
सरकार ने संशोधित आयकर बिल (New Income Tax Bill 2025) में सेलेक्ट कमेटी की लगभग सभी सिफारिशें शामिल कर ली हैं. इनकम टैक्स (नंबर 2) बिल, 2025 को पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि यह बिल आयकर से जुड़े कानून को संशोधित करने के लिए है और यह 1961 के इनकम टैक्स एक्ट की जगह लेगा.
बिल के ‘स्टेटमेंट ऑफ ऑब्जेक्ट्स एंड रीजन’ में कहा गया कि इसमें ड्राफ्टिंग सुधार, वाक्य संरचना का संतुलन, संबंधित बदलाव और क्रॉस-रेफरेंसिंग को सही किया गया है. इसी वजह से पुराना बिल वापस लेकर नया बिल लाया गया है.
सेलेक्ट कमेटी की 285 से ज्यादा सिफारिशें
करीब चार महीने की समीक्षा के बाद कमेटी ने 4,500 पन्नों की रिपोर्ट तैयार की, जिसमें 285 से ज्यादा सुझाव दिए गए. इनका मकसद था कानून की भाषा को आसान बनाना, प्रावधानों में स्पष्टता लाना और टैक्सपेयर्स के लिए अनुपालन को सरल बनाना. अब सरकार ने नया ड्राफ्ट पेश करते हुए इन बदलावों को शामिल किया है.
1961 के कानून और 2025 के नए बिल में क्या है फर्क
पुराना इनकम टैक्स एक्ट, 1961 कई दशकों से लागू है, लेकिन इसकी भाषा और ढांचा आम लोगों के लिए कई बार उलझन भरा साबित हुआ है. नया बिल इसे पूरी तरह बदलने के इरादे से लाया गया है.
इसमें 536 सेक्शन और 16 शेड्यूल होंगे, जिन्हें साफ-सुथरे तरीके से व्यवस्थित किया गया है. अब “टैक्स ईयर” का एक ही कॉन्सेप्ट होगा, “प्रीवियस ईयर” और “असेसमेंट ईयर” जैसे अलग-अलग टर्म्स नहीं होंगे.
गैर-जरूरी और विरोधाभास वाले प्रावधान हटाए गए हैं ताकि मुकदमों की संख्या घटे. सीबीडीटी को डिजिटल युग के मुताबिक नियम बनाने के लिए ज्यादा अधिकार दिए गए हैं.
साधारण शब्दों में कहें तो नया कानून पुराने की तुलना में पढ़ने, समझने और लागू करने में काफी आसान होगा.
सेलेक्ट कमेटी की अहम सिफारिशें
कमेटी ने कई महत्वपूर्ण बदलाव सुझाए, जैसे –
टैक्स रिफंड में लचीलापन – जो लोग लेट रिटर्न फाइल करेंगे, उन्हें भी रिफंड का अधिकार मिलेगा.
डिविडेंड राहत – इंटर-कॉरपोरेट डिविडेंड पर डिडक्शन को फिर से लागू किया जाएगा.
NIL-TDS विकल्प – जिन पर टैक्स देनदारी नहीं है, वे एडवांस NIL-TDS सर्टिफिकेट ले सकेंगे.
खाली घर पर टैक्स राहत – केवल अनुमानित किराये (नोशनल रेंट) पर टैक्स लगाने का प्रावधान हटाया गया.
हाउस प्रॉपर्टी डिडक्शन में स्पष्टता – म्यूनिसिपल टैक्स घटाने के बाद 30% का स्टैंडर्ड डिडक्शन और किराये पर दिए गए घर पर ब्याज कटौती का फायदा मिलेगा.
कंप्लायंस नियमों में आसानी – पीएफ निकासी पर TDS, एडवांस रूलिंग फीस और पेनल्टी से जुड़े प्रावधानों को स्पष्ट किया गया.
एमएसएमई की परिभाषा में सामंजस्य – इसे MSME एक्ट के अनुरूप बनाया गया.
भाषा और ड्राफ्टिंग में सुधार – सेक्शन नंबरिंग और टर्मिनोलॉजी में सुधार किया गया.
प्रॉपर्टी वर्गीकरण में स्पष्टता – ‘occupied’ शब्द को बदलकर ऐसा शब्द इस्तेमाल किया गया जिससे गलत वर्गीकरण न हो.
पेंशन बेनिफिट का विस्तार – गैर-कर्मचारी व्यक्तियों को भी कम्यूटेड पेंशन डिडक्शन का लाभ मिलेगा.
इनकम टैक्स एक्ट 1961 और संशोधित इनकम टैक्स बिल 2025 में अंतर
मुद्दा | पुराना कानून ( इनकम टैक्स एक्ट, 1961) | संशोधित इनकम टैक्स बिल, 2025 |
कानून की भाषा | जटिल और तकनीकी, आम लोगों के लिए कठिन | सरल और स्पष्ट भाषा, पढ़ने व समझने में आसान |
स्ट्रक्चर | कई जगह बिखरी और उलझी हुई | 536 सेक्शन और 16 शेड्यूल में व्यवस्थित |
टैक्स इयर की कंसेप्ट | "प्रीवियस ईयर" और "असेसमेंट ईयर" जैसे अलग-अलग टर्म्स | सिर्फ एक ही टर्म – "टैक्स ईयर" |
गैरजरूरी प्रावधान | कई विरोधाभासी और दोहराए गए नियम | ऐसे प्रावधान हटाए गए, मुकदमेबाजी कम करने के लिए |
डिजिटल दौर के हिसाब से बदलाव | सीमित प्रावधान, पुराने समय के हिसाब से | CBDT को डिजिटल युग के मुताबिक नियम बनाने के अधिक अधिकार |
टैक्स रिफंड नियम | लेट रिटर्न वालों के लिए रिफंड का कोई प्रावधान नहीं | लेट रिटर्न फाइल करने पर भी रिफंड का अधिकार |
डिविडेंड पर कटौती | इंटर-कॉरपोरेट डिविडेंड पर 80M कटौती नहीं | 80M कटौती को फिर से लागू किया गया |
NIL-TDS सर्टिफिकेट | पहले से स्पष्ट प्रावधान नहीं | जिनकी टैक्स देनदारी नहीं, उन्हें अग्रिम NIL-TDS सर्टिफिकेट मिलेगा |
खाली घर पर टैक्स | अनुमानित किराये (नोटशनल रेंट) पर टैक्स लगता था | यह प्रावधान हटाया गया |
हाउस प्रॉपर्टी डिडक्शन | कटौतियों में कई अस्पष्टताएं | म्यूनिसिपल टैक्स घटाकर 30% स्टैंडर्ड डिडक्शन, साथ में किराये के घर पर ब्याज कटौती |
MSME की परिभाषा | अलग-अलग कानूनों में भिन्न | MSME एक्ट के अनुरूप एक समान परिभाषा |
भाषाई सुधार | सेक्शन नंबरिंग और टर्मिनोलॉजी में असंगति | ड्राफ्टिंग और शब्दावली में सुधार |
पेंशन बेनिफिट | केवल कर्मचारियों को | गैर-कर्मचारी व्यक्तियों को भी कम्यूटेड पेंशन डिडक्शन |