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India Outlook 2025 : भारत में महंगाई से जल्द राहत मिलने के आसार नहीं, एक्सिस बैंक की रिपोर्ट ने ग्रोथ रेट घटने की बताई ये वजह

Axis Bank report : भारत में महंगाई से जल्द राहत मिलने के आसार नहीं हैं. यह बात एक्सिस बैंक की ताजा रिसर्च रिपोर्ट, इंडिया इकनॉमिक एंड मार्केट आउटलुक 2025 में कही गई है.

Axis Bank report : भारत में महंगाई से जल्द राहत मिलने के आसार नहीं हैं. यह बात एक्सिस बैंक की ताजा रिसर्च रिपोर्ट, इंडिया इकनॉमिक एंड मार्केट आउटलुक 2025 में कही गई है.

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Viplav Rahi
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Axis Bank की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारत में महंगाई से जल्द राहत मिलने के आसार नहीं हैं. (File Photo : Indian Express)

Axis Bank report : India Outlook 2025 : भारत में महंगाई से जल्द राहत मिलने के आसार नहीं हैं. यह बात देश के प्रमुख प्राइवेट बैंकों में शामिल एक्सिस बैंक की ताजा रिसर्च रिपोर्ट, इंडिया इकनॉमिक एंड मार्केट आउटलुक 2025 (India Economic and Market Outlook 2025) में कही गई है. रिपोर्ट में यह साफ किया गया है कि फूड और कोर इंफ्लेशन की दरें आपस में जुड़ी हुई हैं, और इन पर लंबे समय तक दबाव बने रहने की संभावना है. इसके अलावा, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दुनिया के पैमाने पर आर्थिक अस्थिरता के माहौल (Uncertain global economic environment) और ऊंची ब्याज दरों के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था की चुनौतियां बढ़ रही हैं.

महंगाई क्यों बनी रहेगी चुनौती?

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में महंगाई का प्रमुख कारण फूड, खास तौर पर सब्जियों की कीमतों में तेज उछाल है. अक्टूबर 2024 में खुदरा महंगाई दर 6.21% दर्ज की गई, जो आरबीआई के सहनशीलता दायरे से बाहर है. सब्जियों की कीमतें अपने सबसे ऊंचे स्तर पर चली गईं, जबकि सप्लाई की कमी डिमांड की भरपाई नहीं कर पा रही है. रिपोर्ट के मुताबिक सरकार की इनकम ट्रांसफर स्कीम्स की वजह से भी डिमांड में बढ़ोतरी हुई है, जिसने इस दबाव को और बढ़ा दिया है. एक्सिस बैंक के चीफ इकनॉमिस्ट नीलकंठ मिश्राकी अगुवाई में तैयार इस रिपोर्ट में कहा गया है कि "भारत में कोर और फूड इंफ्लेशन लंबे समय तक एक समान गति से बढ़ती हैं. हालांकि, मौजूदा हालात में सप्लाई रिस्पॉन्स कमजोर हो सकती है, जिससे महंगाई पर दबाव बना रहेगा."

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स्थानीय फैक्टर्स की वजह से सुधरेगी ग्रोथ रेट

वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद इस रिपोर्ट में अनुमान जाहिर किया गया है कि वित्त वर्ष 2026 में भारत की ग्रोथ रेट 7% तक रह सकती है. यह अनुमान कैपिटल फॉर्मेशन, कैपेक्स साइकल की बहाली और वित्त वर्ष 2025 के दौरान बढ़ते राजकोषीय खर्च (Fiscal Expenditure) जैसे फैक्टर्स पर आधारित है. रिपोर्ट में यह भी जिक्र किया गया है कि आरबीआई द्वारा CRR में कटौती किए जाने और अन्य प्रूडेंशियल उपायों से क्रेडिट ग्रोथ की स्थिति में सुधार हो सकता है. इसके साथ ही, बैकएंडेड फिस्कल स्पेंडिंग से भी ग्रोथ को समर्थन मिलने की उम्मीद है.

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दुनिया भर में अस्थिरता का असर

रिपोर्ट में बताया गया है कि ग्लोबल इकनॉमिक ग्रोथ रेट यानी वैश्विक आर्थिक विकास दर कैलेंडर वर्ष 2025 में 3.2% पर स्थिर रहने का अनुमान है, जो प्री-कोविड स्तर से 30-40 बेसिस पॉइंट्स कम है. अमेरिका और चीन में व्यापार नीति और ब्याज दरों में बदलाव का प्रभाव भारत पर भी पड़ेगा. इसके बावजूद, भारत के घरेलू फैक्टर जैसे राजनीतिक स्थिरता और सुधार की संभावनाएं, विकास के लिए सकारात्मक हैं.

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आरबीआई की भूमिका और चुनौती

आरबीआई ने वित्त वर्ष 2025 के लिए भारत की जीडीपी विकास दर को 6.6% तक संशोधित किया है. वित्त वर्ष 2025 की दूसरी छमाही में सुधार की उम्मीद है, लेकिन ऊंची महंगाई दर और फूड सप्लाई की अनिश्चितता प्रमुख चुनौतियां बनी रहेंगी. रिपोर्ट में कहा गया है कि "भारत में ग्रोथ मुख्य रूप से स्थानीय फैक्टर्स पर निर्भर करेगी. कैपिटल फॉर्मेशन और क्रेडिट ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए किए गए सुधार महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे." महंगाई और ग्लोबल इकॉनमी में अस्थिरता के बावजूद, भारत की विकास दर 2026 तक 7% तक पहुंचने की उम्मीद है. यह रिपोर्ट न केवल भारत की अर्थव्यवस्था की मजबूती को रेखांकित करती है, बल्कि इस बात पर भी जोर देती है कि घरेलू सुधार और फिस्कल पॉलिसी से जुड़े उपाय ग्रोथ रेट को रिवाइव करने में अहम भूमिका निभाएंगे.

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