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Mutual Funds: म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री को बढ़ाने का मतलब यह सुनिश्चित करना है कि सभी भारतीयों की इन प्रोडक्ट तक पहुंच हो. (file image)
Mutual Funds Industry Potential: भारतीय म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) वर्तमान में 47 लाख करोड़ के आस पास है. जो वित्त वर्ष 2014 में 11 लाख करोड़ रुपये था. यानी पिछले 10 साल में इसमें 18-20% सालाना बढ़ोतरी हुई है, जो म्यूचुअल फंड (Mutual Funds) के प्रति निवेशकों (Mutual Fund Investors) का भरोसा बढ़ाती है. फिर भी कई पैमाने पर म्यूचुअल फंड की घरेलू इंडस्ट्री अभी भी छोटी है और इसमें विस्तार की भरपूर संभावनाएं हैं.
आज, इंडस्ट्री में सिर्फ 4 करोड़ यूनिक निवेशक हैं, जिनके पास लगभग 15 करोड़ फोलियो हैं. अभी देश में म्यूचुअल फंड एसेट अंडर मैनेजमेंट जीडीपी का 14 फीसदी है. इसकी तुलना में चीन (23%), दक्षिण अफ्रीका (45%) और ब्राजील (72%) जैसे देश काफी आगे हैं. अमेरिका, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया जैसे विकसित बाजार इस मामले में 100% तक पहुंच गए हैं.
क्षमता के बाद भी लोग नहीं करते निवेश
साफ है कि भारत में 4 करोड़ से अधिक लोग म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं. 50 करोड़ से अधिक लोगों के पास ओटीटी सब्सक्रिप्शन है, 25 करोड़ से अधिक लोगों ने पिछले साल ऑनलाइन खाना ऑर्डर किया और 20 करोड़ से अधिक ने ऑनलाइन खरीदारी की. कहने का मतलब यह है कि ये सभी लोग निश्चित रूप से म्यूचुअल फंड में 500 रुपये मंथली एसआईपी शुरू कर सकते हैं. एक बहुत ही ट्रेडिशनल अनुमान के अनुसार, वर्तमान में भारत में कम से कम 20 करोड़ लोग म्यूचुअल फंड में निवेशक कर सकते हैं.
भारत में म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में निवेश की बात करें तो इसमें आने वाला खर्च अब कोई मुद्दा नहीं रह गया है. फिर भी बहुत से लोग देश में सबसे ट्रांसपैरेंट, अच्छी तरह से रेगुलेट किए जाने वाले निवेश के अवसरों में से एक माने जाने वाले म्यूचुअल फंड में पैसा नहीं लगाते हैं. ऑनलाइन खाना ऑर्डर करने वाले ज्यादातर लोग म्यूचुअल फंड के बारे में भी जानते होंगे और निवेश भी कर सकते हैं, लेकिन फिर भी किसी न किसी वजह से लोग इसे निवेश के विकल्प के रूप में विचार करने का अगला कदम नहीं उठाते हैं. आखिर ऐसा क्यों है?
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क्या है असली चुनौती
निवेशकों के सामने असली चुनौती कठिन समय में सही निर्णय लेना है. पैसे और निवेश से संबंधित कोई भी निर्णय लेने में तनाव होता है, क्योंकि इसका लोगों और उनकी फैमिली के भविष्य पर असर पड़ता है. आमतौर पर लोग कभी भी इस बात को लेकर निश्चिंत नहीं हो पाते हैं कि उन्होंने सही निर्णय लिया है. घर खरीदना, रिटायरमेंट के लिए बचत या बच्चे की शिक्षा जैसे वित्तीय दायित्व काफी चुनौतीपूर्ण हैं. इसलिए निवेश के लिए एक व्यवस्थित सोच और सही निर्णय की जरूरत होती है.
एसेट अलोकेशन, रिस्क-रिटर्न रेश्यो, एक्सआईआरआर, अल्फा, शार्प रेश्यो और निवेश बचत से जुड़े कई टर्म निवेशकों को समझाने की जगह भ्रमित भी करते हैं. इसके अलावा, आपके पास देश में 2500 से अधिक म्यूचुअल फंड योजनाएं हैं. एक नए (या यहां तक कि अनुभवी) निवेशक को इस चक्रव्यूह से कैसे निपटना चाहिए? बहुत से लोग शायद बिना प्रयास किए ही हार मान लेते हैं.
सही योजनाओं की पहचान जरूरी
आदर्श माहौल वह होना चाहिए जहां पर्याप्त अनुभवी वित्तीय सलाहकार हों जो निवेशकों को उनके लक्ष्यों और जोखिम सहने की क्षमता को देखते हुए उनके लिए सही योजनाओं की पहचान करने में मदद कर सकें. साथ ही उन्हें ऑनबोर्डिंग प्रक्रियाओं में मदद कर सकें और सर्विस से जुड़ी किसी भी शंका या प्रश्न को संभाल सकें. हालांकि, आज इंडस्ट्री में कुल मिलाकर 1.5 लाख से भी कम डिस्ट्रीब्यूटर हैं (इसकी तुलना में देश में 30 लाख से अधिक जीवन बीमा एजेंट हैं). एक ऐसी इंडस्ट्री के लिए जो लगभग 50 साल से अधिक समय से मौजूद है, यह संख्या कम है. इसे देखते हुए AMFI की ओर से कुछ पहल हो रही है, लेकिन काफी कुछ किए जाने की जरूरत है. इस इंडस्ट्री को बढ़ाने में डिस्ट्रीब्यूशन की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है.
हर किसी की हो म्यूचुअल फंड तक पहुंच
म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री को बढ़ाने का मतलब यह सुनिश्चित करना है कि सभी भारतीयों की इन प्रोडक्ट तक पहुंच हो, जो लंबी अवधि में लोगों की दौलत बढ़ाने में बड़ा योगदान दे सकते हैं. एक बड़े म्यूचुअल फंड बाजार का मतलब इक्विटी बाजारों में व्यापक भागीदारी और डेट कैपिटल मार्केट में अधिक गहराई और लिक्विडिटी यानी तरलता से भी है. क्या भारत जल्द ही उस दिन की उम्मीद कर सकता है जब 15 करोड़ से अधिक म्यूचुअल फंड निवेशक और 5 लाख डिस्ट्रीब्यूटर के साथ म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का एयूएम 120 लाख करोड़ रुपये होगा?
(लेखक- गणेश मोहन, सीईओ, बजाज फिनसर्व एएमसी)