/financial-express-hindi/media/media_files/ALzS753jZtQ5kRQFVOBl.jpg)
Investment Planning: जैसे-जैसे मिड लाइफ आता है, ध्यान फाइनेंशियल ग्रोथ से हटकर वित्तीय संचय और स्थिरता पर केंद्रित हो जाता है.(Image: Freepik)
वित्तीय सुरक्षा के लिए जीवन के हर एक पड़ाव के अनुरूप इनवेस्टमेंट पोर्टफोलियो बनाना जरूरी है. करियर के शुरूआत में कमाई अपेक्षाकृत कम होती है और इस दौरान (early adulthood) निवेश का लक्ष्य फाइनेंशियल ग्रोथ के लिए होता है. मिड-लाइफ में स्थिरता और फाइनेंशियल ग्रोथ के लिए निवेश जरूरी होता है और जैसे-जैसे रिटायरमेंट करीब आती है, वैसे ध्यान कैपिटल की बजाय नियमित आय पर केंद्रित हो जाता है. जीवन के किस पड़ाव पर कैसी निवेश योजना होनी चाहिए और लोगों को अच्छी कमाई के लिए कहां पेसै लगाने चाहिए आइए इसके बारे में समझते हैं.
20 से 30 की उम्र में कहा लगाएं पैसे
20 से 30 की उम्र वाले लोग करियर की शुरुआती पड़ाव पर हैं. इस पड़ाव पर कमाई अपेक्षाकृत कम होती है. कमाने वाले युवा फाइनेंशियल ग्रोथ के लिए खुद को तैयार करते हैं. इस पड़ाव पर की गई फाइनेंशियल प्लानिंग बाद के सालों में एक लाभ में देती है. उम्र के इस पड़ाव पर जोखिम लेने की अधिक होती है. ऐसे में कमाने वाले युवा निवेश करने का रिस्क ले सकते हैं.
फॉर थॉट फाइनेंस (4 Thoughts Finance) के फाउंडर व सीईओ स्वाती सक्सेना बताती है कि उम्र के इस पड़ाव पर पर्सनल फाइनेंस के मूल सिद्धांतों में महारत हासिल करना है, जो भविष्य में और सहायता करेगा. कमाने वाले युवाओं के लिए म्यूचुअल फंड, ईटीएफ, स्टॉक कुछ निवेश विकल्प हैं. इनमें पैसे लगाकर बेहतर रिटर्न हासिल किए जा सकते हैं. वह बताती है कि निवेश करते समय पालन करने के लिए कुछ रणनीतियां 50:30:20 नियम हैं, जहां व्यक्ति अपनी कमाई का 50% हिस्सा रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने पर खर्च करता है, 30% हिस्सा अपनी इच्छाओं को पूरा करने पर और बाकी 20% हिस्से को सेविंग और निवेश विकल्पों में लगाता हैं. करियर के शुरूआती सालों के दौरान फाइनेंशियल ग्रोथ और सेविंग पर फोकस करना चाहिए.
40 से 50 की उम्र में ऐसी होनी चाहिए निवेश योजना
जैसे-जैसे मिड-लाइफ आता है, ध्यान फाइनेंशियल ग्रोथ से वित्तीय संचय और स्थिरता में बदल जाता है. लोग अपनी कमाई को बनाए रखना चाहते हैं ताकि भविष्य की जरूरतों को आसानी से पूरा किया जा सके. यह जीवन का एक ऐसा पड़ाव है जहां बचत पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए. आय का 35-50% बचत करना आइडियल माना जाता है, लेकिन इसे प्रभावित करने वाले कई अन्य माध्यमिक कारक भी हैं.
इस स्टेज में एक व्यक्ति को इक्विटी निवेश से डेट पोर्टफोलियो या निश्चित आय अर्जित करने वाले साधन की ओर बढ़ना चाहिए. वे लार्ज-कैप फंड वाली कंपनियों में निवेश के लिए चुन सकते हैं. लार्ज-कैप फंड उन कंपनियों में निवेश करते हैं जो अच्छी तरह से स्थापित हैं और उच्च बाजार पूंजीकरण हैं. ये कंपनियां आर्थिक रूप से स्वस्थ, प्रतिष्ठित और भरोसेमंद हैं. इस प्रकार रिस्क कम किए जा सकते हैं. अगर किसी के पास पहले से ही एक पोर्टफोलियो है, तो विभिन्न एसेट क्लास के लिए एलोकेशन पर ध्यान देना चाहिए और पोर्टफोलियो में जोखिम वाले निवेश की संख्या को कम करने पर विचार करना चाहिए. उम्र के इस पड़ाव पर बच्चे की शिक्षा और शादी जैसे लक्ष्यों पर विचार किया जाना चाहिए. ऐसे लक्ष्यों के लिए सोने में निवेश के बारे में सोच सकते हैं, क्योंकि गोल्ड में निवेश से महंगाई को मात देने में मदद मिलेगी और समय के साथ इसका मूल्य बढ़ता है.
रिटायरमेंट के बाद निवेश
रिटायरमेंट के बाद, ज्यादातर लोग कम भागदौड़ करना चाहते हैं और वे सुखद जीवन का आनंद लेना चाहते हैं. हालांकि, उम्र के इस पड़ाव पर भी आय की जरूरत है ताकि बुनियादी जरूरतों और खर्चों को पूरा किया जा सके. ऐसे में लोग कैपिटल बनाने की बजाय नियमित आय की तलाश करते हैं और इसलिए REIT, InvIT और कई बार कॉमर्शियल रियल स्टेट में आंशिक स्वामित्व वाली इनवेस्टमेंट इंस्टूमेंट जैसे विकल्पों की तलाश करते हैं.
जीवन के इस पड़ाव पर आय के लिए पैसिव इनकम जनरेशन भी बेहतर है. इसके लिए रिटायरमेंट के बाद जमा राशि का निवेश वरिष्ठ सरकारी बचत योजना, प्रधानमंत्री वय वंदना योजना, डाकघर योजनाओं जैसी विभिन्न सरकारी योजनाओं में किया जा सकता है. इक्विटी में निवेश की तुलना में कम जोखिम वाली इन योजनाओं में पैसा लगाया जा सकता है. इसके अलावा, फिक्स्ड डिपॉजिट, म्यूचुअल फंड और आरबीआई फ्लोटिंग रेट सेविंग बॉन्ड में निवेश भी पैसिव इनकम जनरेशन के लिए कुछ और विकल्प हैं. यह सेवानिवृत्ति के वर्षों के दौरान बेहतर वित्तीय स्थिरता और स्थिरता सुनिश्चित करता है.