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BSE और NSE ने आईपीओ को लेकर नई और सख्त गाइडलाइंस लागू कर दी हैं, जो इन पर 1 जुलाई 2025 से लागू भी हो चुकी हैं. (AI Image)
New IPO Rules Alert: स्मॉल एंड मिड-साइज एंटरप्राइजेज (SMEs) के लिए इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) में निवेश अब पहले जैसा आसान नहीं रह गया है. BSE और NSE ने SME IPO को लेकर नई और सख्त गाइडलाइंस लागू कर दी हैं, जो जुलाई महीने की शुरूआत से लागू भी हो चुकी हैं. इन नए नियमों का मकसद पारदर्शिता बढ़ाना, गैर-जिम्मेदाराना रिटेल निवेश को रोकना, और पूरी प्रक्रिया में अनुशासन लाना है.
SME बाजार में हाल के महीनों में तेजी से बढ़े रिटेल निवेश, हाई वैल्यूएशन और कुछ कंपनियों द्वारा नियमों के दुरुपयोग की शिकायतों के बाद, रेगुलेटर्स पर दबाव था कि वह इस सेक्टर को और प्रोफेशनल बनाएं. नए नियमों को इसी दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है.
आईपीओ के नियमों में हुए हैं ये 6 बदलाव
मिनिमम इनवेस्टमेंट अब 2 लाख रुपये से ज्यादा
बीएसई और एनएसई के नए नियमों के तहत रिटेल निवेशकों को SME IPO में कम से कम दो लॉट के लिए बोली लगानी होगी. यानी अब IPO में हिस्सा लेने के लिए रिटेल इनवेस्टर को मिनिमन दो लॉट में आवेदन करना होगा, जिसकी कीमत 2 लाख रुपये से अधिक होगी. इससे पहले छोटे निवेशक कुछ हजार रुपये से भी IPO में भाग ले सकते थे.
Cut-off Price : कट ऑफ प्राइस का विकल्प हटा
पहले निवेशक कट ऑफ (Cut-off) चुनकर यह सुनिश्चित करते थे कि उन्हें शेयर किसी भी कीमत पर मिल जाएं. अब यह विकल्प नहीं होगा, जिससे प्राइस डिसिप्लिन बढ़ेगा और अनुमान के बजाय समझदारी से बोली लगानी पड़ेगी.
बोली कैंसिल करने या घटाने की अनुमति नहीं
अब निवेशक एक बार जो बोली लगाएंगे, उसे नीचे नहीं ला सकते या कैंसिल नहीं कर सकते, जिससे 'लेट मिनट फेरबदल' रुकेंगे और सिस्टम ज्यादा स्थिर बनेगा.
बोली और पेमेंट की सख्त टाइमिंग
अब SME IPO की बोली शाम 4 बजे तक बंद होगी और UPI मंजूरी की आखिरी समय-सीमा 5 बजे तय की गई है.
कंपनियों पर भी सख्ती
अब SME कंपनियों को IPO लाने से पहले बीते 3 सालों में से कम-से-कम दो साल में 1 करोड़ रुपये का EBITDA दिखाना होगा. साथ ही, ऑफर फॉर सेल (Offer for Sale) 20% से ज्यादा नहीं हो सकता और जनरल कॉर्पोरेट परपज (General Corporate Purpose) का हिस्सा 10 करोड़ रुपये या 15%, जो भी कम हो, से ज्यादा नहीं हो सकता.
Tick Size बढ़ी
इससे शेयर्स की कीमत में छोटे-छोटे उतार-चढ़ाव की गुंजाइश कम होगी और सिर्फ गंभीर निवेशक ही बाजार में टिक पाएंगे.
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बताया जा रहा है कि जून 2025 में SME कंपनियों ने नई गाइडलाइंस लागू होने से पहले IPO लाने की होड़ मचा दी थी. जून महीने में ही 30 SME IPO आए, जिससे कंपनियों ने 1,380 करोड़ रुपये से अधिक जुटा लिए. इन कंपनियों ने पुराने, नरम नियमों का फायदा उठाकर खुद को लिस्ट कराया.
जिन IPO की तारीख 30 जून तक थी, वे डुअल बिडिंग सिस्टम का फायदा उठा सकीं. यानी पुराने या नए नियमों में से किसी को चुन सकती थीं. लेकिन 11 जुलाई 2025 के बाद सिर्फ नए नियम ही लागू रहेंगे.
क्या होगा आगे?
शॉर्ट टर्म में SME IPO की रफ्तार थोड़ी धीमी हो सकती है, लेकिन बाजार विशेषज्ञ मानते हैं कि ये बदलाव सही दिशा में उठाया गया कदम है. यह बाजार में साफ-सुथरे और मज़बूत कंपनियों को ही टिकने देगा और निवेशकों को बेहतर सुरक्षा देगा. इन नियमों के जरिए रेगुलेटर्स का मकसद SME सेक्टर को स्पेकुलेशन से मुक्त करना और इसे दीर्घकालिक निवेश के लिए बेहतर प्लेटफॉर्म बनाना है.
अगर आप SME IPO में निवेश करना चाहते हैं, तो अब आपको सिर्फ पैसा ही नहीं, सही जानकारी, रिसर्च और अनुशासन भी साथ लाना होगा. क्योंकि अब यह खेल सिर्फ तेजी के भरोसे नहीं, समझदारी के साथ ही जीता जा सकेगा.