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ITR-2 Notified: इनकम टैक्स विभाग ने जारी किया ITR-2 फॉर्म, क्या हैं 5 बड़े बदलाव, किन टैक्सपेयर्स को होगा फायदा

ITR-2 new rules : इनकम टैक्स विभाग ने वित्त वर्ष 2024-25 (AY 2025-26) के लिए आईटीआर-2 फॉर्म को नोटिफाई कर दिया है. यह फॉर्म उन टैक्सपेयर्स के लिए जरूरी है जिनकी आमदनी 50 लाख से 1 करोड़ रुपये के बीच है.

ITR-2 new rules : इनकम टैक्स विभाग ने वित्त वर्ष 2024-25 (AY 2025-26) के लिए आईटीआर-2 फॉर्म को नोटिफाई कर दिया है. यह फॉर्म उन टैक्सपेयर्स के लिए जरूरी है जिनकी आमदनी 50 लाख से 1 करोड़ रुपये के बीच है.

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Viplav Rahi
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ITR-2 Notified: इनकम टैक्स विभाग ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए आईटीआर-2 फॉर्म नोटिफाई कर दिया है. (X/@IncomeTaxIndia)

ITR-2 Notified: इनकम टैक्स विभाग ने वित्त वर्ष 2024-25 (आकलन वर्ष 2025-26) के लिए आईटीआर-2 फॉर्म को नोटिफाई कर दिया है. यह फॉर्म उन टैक्सपेयर्स के लिए जरूरी है जिनकी आमदनी 50 लाख से 1 करोड़ रुपये के बीच है, जिनकी एक से अधिक प्रॉपर्टी है या जिन्हें कैपिटल गेन से इनकम होती है. इस बार फॉर्म में कुछ बड़े बदलाव किए गए हैं, जिनका सीधा फायदा लाखों टैक्सपेयर्स को मिलेगा. आइए जानते हैं ITR-2 से जुड़ी जरूरी बातें और इसमें हुए प्रमुख बदलाव.

बदलाव 1: एसेट एंड लाइबिलिटी रिपोर्टिंग की सीमा बढ़ी

पहले अगर टैक्सपेयर की सालाना आय 50 लाख रुपये से अधिक होती थी, तो उसे आईटीआर में अपनी संपत्तियों और देनदारियों की पूरी जानकारी (Schedule AL) देनी होती थी. लेकिन अब यह सीमा बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये कर दी गई है. इसका मतलब है कि 50 लाख से 1 करोड़ रुपये की सालाना इनकम वालों को अब यह डिटेल नहीं देनी पड़ेगी. इससे मध्यम वर्ग के टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत मिलेगी.

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बदलाव 2: TDS सेक्शन की जानकारी देना अनिवार्य

अब ITR-2 में जहां-जहां TDS कटा है, वहां केवल कटौती करने वाले की जानकारी नहीं, बल्कि यह भी बताना होगा कि TDS किस सेक्शन के तहत कटा है – जैसे कि सेक्शन 194C, 194J आदि. इससे इनकम और कटौती का सही मिलान करना आसान होगा.

बदलाव 3: कैपिटल गेन रिपोर्टिंग में बड़ा अपडेट

Schedule CG यानी पूंजीगत लाभ की जानकारी देने वाले सेक्शन में दो अहम बदलाव किए गए हैं.
अब टैक्सपेयर को यह बताना होगा कि प्रॉपर्टी या निवेश की बिक्री 23 जुलाई 2024 से पहले हुई या उसके बाद. इसकी वजह यह है कि बिक्री की तारीख के हिसाब से टैक्स की दर तय होगी.

अगर 23 जुलाई 2024 के बाद कोई जमीन या बिल्डिंग बेची जाती है, तो टैक्सपेयर को दो विकल्प मिलेंगे:

  • इंडेक्सेशन के साथ 20% टैक्स

  • बिना इंडेक्सेशन के 12.5% टैक्स

इससे टैक्सपेयर को टैक्स प्लानिंग में लचीलापन मिलेगा.

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बदलाव 4: बायबैक पर अब मिलेगा कैपिटल लॉस का लाभ

1 अक्टूबर 2024 के बाद अगर किसी शेयर का बायबैक होता है और टैक्सपेयर उस पर डिविडेंड इनकम दिखाता है, तो अब वह उससे होने वाला पूंजीगत नुकसान (capital loss) भी दिखा सकता है. पहले यह विकल्प नहीं था. यह निवेशकों के लिए एक पॉजिटिव बदलाव है.

बदलाव 5: विदेशी संपत्ति और डिजिटल एसेट्स पर ज्यादा रिपोर्टिंग

ITR-2 में अब Schedule FA (Foreign Assets) और FSI (Foreign Source Income) के जरिए विदेशी संपत्ति और विदेशी स्रोतों से आय की जानकारी विस्तार से देनी होगी.

इसके अलावा वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (जैसे क्रिप्टो करेंसी) की हर लेन-देन को Schedule VDA में दर्ज करना होगा. इन पर 30% टैक्स लगेगा.

इसके साथ ही हाई वैल्यू वाले ट्रांजेक्शंस पर Legal Entity Identifier (LEI) का उल्लेख भी अनिवार्य कर दिया गया है.

किन लोगों को भरना होगा ITR-2 फॉर्म?

ITR-2 फॉर्म उन टैक्सपेयर्स के लिए है जो सैलरी या पेंशन से आमदनी कमाते हैं, लेकिन ITR-1 के दायरे में नहीं आते. उदाहरण के लिए अगर किसी व्यक्ति की आय एक से अधिक मकानों से है, 50 लाख रुपये से अधिक की कुल इनकम है, या उसने शेयरों, म्यूचुअल फंड, प्रॉपर्टी आदि में निवेश से पूंजीगत लाभ (capital gains) कमाया है, तो उन्हें ITR-2 भरना होगा. इसके अलावा अगर कोई टैक्सपेयर विदेश में संपत्ति रखता है, तो भी उसे ITR-2 का ही इस्तेमाल करना होगा.

आईटीआर-2 भरते समय किन गलतियों से बचें?

  • विदेशी बैंक अकाउंट या संपत्तियों की जानकारी न देना

  • नाबालिग बच्चों की इनकम या ब्याज की आय को नजरअंदाज करना

  • डिडक्शन क्लेम करने वाले दस्तावेज न लगाना

ऐसी लापरवाही नोटिस और पेनल्टी का कारण बन सकती है.

आईटीआर-2 भरने के लिए किन दस्तावेजों की होगी जरूरत?

  • फॉर्म 16 और फॉर्म 16A

  • फॉर्म 26AS

  • किराए की रसीदें (अगर HRA क्लेम कर रहे हैं)

  • शेयर या म्यूचुअल फंड में कैपिटल गेन का स्टेटमेंट

  • बैंक पासबुक और एफडी की रसीदें

  • किराये की आय से जुड़े दस्तावेज

  • टैक्स सेविंग डिडक्शन के प्रमाण जैसे बीमा की रसीदें, डोनेशन, स्कूल फीस आदि

ITR-2 में बदलाव से टैक्सपेयर को मिलेगा फायदा

आईटीआर-2 में किए गए बदलाव टैक्स फाइलिंग को ज्यादा पारदर्शी, सुविधाजनक और लचीला बनाते हैं. 50 लाख से 1 करोड़ रुपये की आय वालों के लिए यह खासतौर पर राहत की खबर है. साथ ही, नए फॉर्म में डिजिटल एसेट्स, विदेशी आय, और बायबैक जैसी आधुनिक लेन-देन की बेहतर रिपोर्टिंग का प्रावधान किया गया है, जो टैक्स कानूनों की पारदर्शिता और पालन किए जाने को मजबूत करेगा.

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