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Digital Form 16 : डिजिटल फॉर्म 16 से इनकम टैक्स रिटर्न भरना हुआ और आसान, जानिए कैसे करता है काम?

ITR Filing 2025: डिजिटल फॉर्म 16 क्या है और इसकी क्या खासियतें हैं? इनकम टैक्स रिटर्न फाइनलिंग में ये कैसे मददगार है, यहां एक-एक कर डिटेल पढ़ सकते हैं.

ITR Filing 2025: डिजिटल फॉर्म 16 क्या है और इसकी क्या खासियतें हैं? इनकम टैक्स रिटर्न फाइनलिंग में ये कैसे मददगार है, यहां एक-एक कर डिटेल पढ़ सकते हैं.

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FE Hindi Desk
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Digital Form 16 : फॉर्म 16 का डिजिटल वर्जन आपके एम्प्लॉयर द्वारा सीधे TRACES पोर्टल से तैयार किया जाता है, जिससे आपकी सैलरी, डिडक्शन और टैक्स (TDS) की जानकारी एकदम सही और साफ मिलती है. (Image: Pixabay)

Digital Form 16 Simplifies ITR Filing: अब आयकर विभाग ने टैक्सपेयर्स की सुविधा के लिए डिजिटल फॉर्म 16 की शुरुआत की है, जिससे इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरना अब और भी आसान हो गया है. इस नए सिस्टम के जरिए कुछ ही मिनटों में रिटर्न फाइल किया जा सकता है, क्योंकि जरूरी जानकारी अपने आप भर जाती है. जिन लोगों को ऑडिट नहीं करवाना होता, उनके लिए ITR भरने की अंतिम तारीख 31 जुलाई 2025 है, जबकि बिज़नेस, प्रोफेशनल्स और कंपनियों जैसे मामलों में जहां ऑडिट जरूरी है, उनके लिए ITR भरने की आखिरी तारीख 31 अक्टूबर 2025 रखी गई है.

फॉर्म 16 क्या होता है?

फॉर्म 16 एक ऐसा दस्तावेज है जिसे नौकरी देने वाला (एम्प्लॉयर) आपको देता है. इसमें दिखाया जाता है कि आपकी सैलरी से कितना टैक्स काटा गया है. इसे TDS सर्टिफिकेट भी कहते हैं. यह जरूरी डॉक्युमेंट है जो आमतौर पर मई के आखिरी तक आपको मिल जाता है. इससे आपको ITR भरने में आसानी होती है.

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डिजिटल फॉर्म 16 की खासियतें

नया डिजिटल फॉर्म 16 ITR फाइलिंग प्रोसेस को आसान बना रहा है, जिससे टैक्सपेयर्स को अब कुछ ही मिनटों में अपना काम निपटाने में मदद मिलेगी. यह इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज़, जो सीधे TRACES पोर्टल से जेनरेट होता है, ट्रेडिशनल फॉर्म 16 का एक विश्वसनीय और सटीक विकल्प है.

TRACES से सीधा कनेक्शन: डिजिटल फॉर्म 16 सीधे TRACES पोर्टल से जेनरेट होता है, जो आयकर विभाग का एक विश्वसनीय पोर्टल है. यह सुनिश्चित करता है कि फॉर्म में दी गई सैलरी इनकम, टीडीएस (TDS) और डिडक्शंस (Deductions) से संबंधित सभी जानकारी पूरी तरह से सही और भरोसेमंद है. पहले, करदाताओं को पारंपरिक फॉर्म 16 के डेटा को फॉर्म 26AS और AIS से मिलान करना पड़ता था, जो अब डिजिटल फॉर्म 16 के साथ आवश्यक नहीं है.

आसान टैक्स कैलकुलेशन: डिजिटल फॉर्म 16 टैक्स कैलकुलेशन को काफी सरल बनाता है. इससे रिटर्न फाइलिंग में लगने वाला समय कम हो जाता है और रिफंड की प्रक्रिया भी तेज होती है.

ITR फाइलिंग हुआ और आसान: नौकरीपेशा लोगों के लिए यह एक बड़ी राहत है. आयकर विभाग की रिटर्न फाइलिंग वेबसाइट पर डिजिटल फॉर्म 16 अपलोड करते ही, ITR फॉर्म में सैलरी इनकम, टीडीएस और डिडक्शंस जैसी सभी आवश्यक जानकारी अपने आप भर जाती है, जिससे मैनुअल एंट्री की जरूरत खत्म हो जाती है.

गलतियों की संभावना कम: डिजिटल फॉर्म 16 के उपयोग से टैक्स कैलकुलेशन में गलतियों की संभावना काफी कम हो जाती है, जिससे सही और सटीक रिटर्न फाइलिंग सुनिश्चित होती है.

समय की बचत: यह नई प्रणाली रिटर्न फाइलिंग प्रक्रिया को अत्यधिक कुशल बनाती है, जिससे करदाताओं का काफी समय बचता है. आयकर रिटर्न फाइल करने की अंतिम तिथि आमतौर पर 31 जुलाई होती है, और समय पर फाइलिंग न करने पर जुर्माना और ब्याज लग सकता है. डिजिटल फॉर्म 16 इस प्रक्रिया को तेज और त्रुटिहीन बनाकर समय पर फाइलिंग में मदद करता है.

सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल: डिजिटल फॉर्म 16 पासवर्ड-प्रोटेक्टेड होता है, जिसमें डेटा की सुरक्षा के लिए एक मानक फॉर्मेट का उपयोग किया जाता है. इससे वित्तीय डेटा पूरी तरह सुरक्षित रहता है. इसके अतिरिक्त, यह पर्यावरण के अनुकूल भी है क्योंकि यह डिजिटल होने के कारण प्रिंट करने की आवश्यकता नहीं होती, जिससे कागज का उपयोग कम होता है.

कुल मिलाकर, डिजिटल फॉर्म 16 आयकर फाइलिंग को आसान, तेज, सुरक्षित और अधिक विश्वसनीय बनाकर करदाताओं के लिए एक महत्वपूर्ण सुविधा प्रदान करता है.

डिजिटल फॉर्म 16 कैसे करता है काम?

अब फॉर्म 16 आपको डिजिटल रूप में मिलेगा, जिसे आपका एम्प्लॉयर सीधे TRACES पोर्टल से बनाता है. इसमें आपकी सैलरी, टैक्स और कटौतियों की पूरी जानकारी होती है. आप इस डिजिटल डॉक्युमेंट को टैक्स भरने वाली वेबसाइट पर अपलोड कर सकते हैं. सिस्टम खुद-ब-खुद आपकी जानकारी भर देगा. इससे समय भी बचेगा और गलती की संभावना भी कम होगी.

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अगर आप ऑनलाइन ITR फाइल करना चाहते हैं, तो डिजिटल फॉर्म 16 आपके लिए एकदम मददगार साबित हो सकता है. अब रिटर्न फाइल करना पहले से कहीं ज़्यादा आसान और तेज़ हो गया है.

कौन-सा ITR फॉर्म किसके लिए है?

ITR फॉर्म - किसके लिए है
ITR-1 (सहज)    नौकरीपेशा लोग जिनकी सालाना इनकम ₹50 लाख तक है
ITR-4 (सुगम)    छोटे व्यापारी या प्रोफेशनल जिनकी इनकम ₹50 लाख तक है
ITR-2    जिनकी इनकम सैलरी से नहीं, पूंजी लाभ (Capital Gain) से है
ITR-5    फर्म, LLP या को-ऑपरेटिव सोसायटी
ITR-6    कंपनियां जो कंपनी अधिनियम के तहत रजिस्टर्ड हैं
ITR-7    ट्रस्ट और चैरिटी संस्थाएं

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