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ITR Filing 2025 : इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की अंतिम तारीख 15 सितंबर 2025 नजदीक है, और अंतिम समय तक इंतजार करने से तकनीकी समस्याओं या गलतियों की संभावना बढ़ सकती है. (AI Generated Image)
ITR Filing 2025: Common mistakes to avoid during income tax filing this year : इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने की अंतिम तारीख तेजी से नजदीक आ रही है. असेसमेंट ईयर 2025–26 के लिए सरकार ने पहले 31 जुलाई की डेडलाइन को बढ़ाकर 15 सितंबर कर दिया था. लेकिन अंतिम समय तक इंतजार करना जोखिम भरा हो सकता है, क्योंकि इससे आयकर पोर्टल पर तकनीकी समस्याओं या गलतियों की संभावना बढ़ जाती है, जो रिटर्न की जांच या रिफंड में देरी का कारण बन सकती हैं.
इनकम टैक्स विभाग ने ITR-1 से लेकर ITR-7 तक सभी जरूरी फॉर्म्स के लिए ऑफलाइन एक्सेल यूटिलिटीज भी उपलब्ध करा दी हैं. विभाग की बढ़ती तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर निर्भरता के कारण लापरवाही से रिटर्न फाइल करना महंगा पड़ सकता है. ऐसे में, टैक्सपेयर्स को ITR भरते समय इन 7 आम गलतियों से बचने की सलाह दी जाती है.
तकनीकी गलतियों से बचें
फर्जी डिडक्शन
टैक्स कम करने के लिए सेक्शन 80C, 80G या 80U के तहत कटौतियों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाना लुभावना हो सकता है. लेकिन आयकर विभाग के AI-आधारित सिस्टम आपकी क्लेम्स को वार्षिक जानकारी विवरण (AIS) से क्रॉस-चेक करते हैं. गलत कटौतियां आसानी से पकड़ी जा सकती हैं और नोटिस या जुर्माने का कारण बन सकती हैं.
फॉर्म 16 पर ज्यादा भरोसा
सैलरीड कर्मचारी अक्सर बचत खाते के ब्याज, डिविडेंड या म्यूचुअल फंड कैपिटल गेन को शामिल करना भूल जाते हैं क्योंकि ये फॉर्म 16 में नहीं दिखते. AIS इन सभी विवरणों को कैप्चर करता है, इसलिए इन्हें न दिखाने पर कंप्लायंस संबंधी सवाल उठ सकते हैं.
विदेशी संपत्ति का खुलासा
विदेश से लौट रहे भारतीय अक्सर निष्क्रिय विदेशी खाते, स्टॉक ऑप्शन या पेंशन होल्डिंग का खुलासा करना भूल जाते हैं. हालांकि अब 20 लाख रुपये से कम की चल संपत्ति की गैर-रिपोर्टिंग पर जुर्माना नहीं है, लेकिन रिपोर्ट करना अभी भी अनिवार्य है.
जॉब बदलने में चूक
साल में कई नियोक्ताओं के पास काम करने वाले पेशेवरों को सभी फॉर्म 16 की इनकम को समेकित करना चाहिए. AIS ये विवरण ऑटो-पॉपुलेट करता है, इसलिए कोई चूक आय में मेल न खाने और नोटिस जारी होने का कारण बन सकती है.
आम ITR फाइलिंग की गलतियों से बचें
गलत ITR फॉर्म का चयन
अगर कैपिटल गेन या विदेशी संपत्ति शामिल है और आप ITR-1 चुन लेते हैं, तो रिटर्न दोषपूर्ण माना जा सकता है और छुपाने का शक उठ सकता है. ITR-1 उन टैक्सपेयर्स के लिए है जिनकी सालाना आय सैलरी और पेंशन से 50 लाख रुपये तक है. जिनकी लंबी अवधि की कैपिटल गेन 1.25 लाख रुपये से अधिक है या जिनके पास विदेशी खाते हैं, उन्हें ITR-2 फॉर्म का उपयोग करना चाहिए.
रिकॉर्ड में मेल न होना
टैक्सपेयर्स अक्सर फॉर्म 16, फॉर्म 26AS और AIS को फाइलिंग से पहले मिलान करना भूल जाते हैं. TDS, ब्याज आय या संपत्ति लेनदेन में कोई भी अंतर है, उसे डिडक्टर से संपर्क करके या AIS पोर्टल पर सुधार दर्ज कराकर ठीक करना जरूरी है. बिना सुधार के फाइल करने पर नोटिस और रिफंड में कटौती हो सकती है.
व्यक्तिगत विवरण और ITR वेरिफिकेशन
रिफंड केवल प्री-वैलिडेटेड बैंक अकाउंट के जरिए प्रोसेस होता है. अकाउंट नंबर, IFSC या पैन और ईमेल जैसी व्यक्तिगत जानकारी में कोई गलती भुगतान में देरी कर सकती है. इसके अलावा, सिर्फ फाइल करना पर्याप्त नहीं है. Aadhaar OTP, नेट बैंकिंग या अन्य अनुमोदित माध्यम से ई-वेरिफिकेशन करना अनिवार्य है, अन्यथा ITR अधूरी मानी जाएगी.