/financial-express-hindi/media/media_files/2025/06/25/how-to-select-correct-itr-forms-ai-gemini-2025-06-25-16-47-58.jpg)
Selecting Correct ITR Form : इनकम टैक्स सही ढंग से भरने के लिए सही ITR फॉर्म की जानकारी होनी चाहिए. (AI Generated Image)
How To Select Correct ITR Form : इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने का समय आते ही सबसे पहले जो सवाल उठता है, वो यह है कि कौन सा ITR फॉर्म आपके लिए सही है? अगर आप गलत फॉर्म चुन लेते हैं, तो आपका रिटर्न रिजेक्ट हो सकता है या उसकी प्रोसेसिंग और रिफंड मिलने में देरी हो सकती है. ऐसे में जरूरी है कि रिटर्न फाइलिंग से पहले ही यह समझ लिया जाए कि आपकी आमदनी और प्रोफाइल के हिसाब से आपको किस फॉर्म का इस्तेमाल करना है. इनकम टैक्स विभाग ने अलग-अलग इनकम सोर्स, रेजिडेंशियल स्टेटस और प्रोफेशन को ध्यान में रखते हुए कई ITR फॉर्म तय किए हैं.
आइए जानते हैं व्यक्तिगत करदाताओं (individual taxpayers) के लिए इस्तेमाल होने वाले प्रमुख ITR फॉर्म्स के बारे में. साथ ही यह भी जानेंगे कि असेसमेंट ईयर 2025-26 (वित्त वर्ष 2024-25) में कौन सा फॉर्म किसके लिए है.
ITR-1 (सहज) : ये सबसे आसान फॉर्म किनके लिए है
अगर आप सैलरीड एंप्लाई हैं या पेंशन लेते हैं और आपकी कुल सालाना आय 50 लाख रुपये से कम है, तो ITR-1 आपके लिए है. इसके अलावा अगर आपकी आमदनी में एक मकान से होने वाली इनकम, सेविंग्स अकाउंट या फिक्स्ड डिपॉजिट से मिलने वाला ब्याज, फैमिली पेंशन या 5,000 रुपये तक की कृषि आय (Agricultural Income) भी शामिल हैं, तो भी आप ITR-1 (सहज) फॉर्म का इस्तेमाल कर सकते हैं.
ITR-1 (सहज) किनके लिए नहीं है
ITR-1 (सहज) फॉर्म उन लोगों के लिए नहीं है, जिनकी सालाना आय 50 लाख रुपये से अधिक है या एग्रीकल्चरल इनकम 5,000 रुपये से ज्यादा है. इसके अलावा जिन लोगों को पूंजीगत लाभ (capital gains) से कमाई हुई है, बिजनेस या प्रोफेशन से इनकम है या जिनके पास एक से ज्यादा मकान हैं, वे भी ITR-1 नहीं भर सकते. इसके अलावा अगर आप किसी कंपनी में डायरेक्टर हैं या आपने अनलिस्टेड शेयरों में निवेश किया है, तो भी आप ITR-1 नहीं भर सकते.
ITR-2 किन्हें भरना चाहिए
अगर आपकी इनकम 50 लाख रुपये से ज्यादा है, आपको कैपिटल गेन हुआ है, आपने एक से ज्यादा प्रॉपर्टी में निवेश किया है, या आपके पास विदेश में संपत्ति या इनकम है, तो ITR-2 आपके लिए सही रहेगा. यह उन व्यक्तियों और हिंदू अविभाजित परिवारों (Hindu Undivided Families -HUFs) के लिए भी है जिन्हें बिजनेस या प्रोफेशन से आय नहीं होती.
अगर आपने किसी और देश यानी विदेश में इनवेस्ट किया है, वहां आपका कोई बैंक खाता है या आप डबल टैक्सेशन अवॉयडेंस एग्रीमेंट (Double Taxation Avoidance Agreement -DTAA) के तहत टैक्स छूट क्लेम करना चाहते हैं, तब भी ITR-2 फॉर्म ही सही विकल्प होगा.
ITR-3: बिजनेस से प्रोफशन से कमाने वालों के लिए
अगर आप किसी बिजनेस में लगे हुए हैं या आपकी कमाई आपके प्रोफेशन से जुड़ी है, मिसाल के तौर पर डॉक्टर, वकील, इंजीनियर वगैरह, तो ITR-3 आपके लिए सही फॉर्म है. इसके अलावा अगर आप किसी पार्टनरशिप फर्म से सैलरी, कमीशन या बोनस पाते हैं, तो भी यही फॉर्म भरना होता है.
अगर आप क्रिप्टो से कमाई करते हैं, जैसे माइनिंग, स्टेकिंग या ट्रेडिंग, या किसी कंपनी के डायरेक्टर हैं, या आपके पास अनलिस्टेड शेयर हैं, तब भी ITR-3 ही लागू होगा. इसमें सभी प्रकार की इनकम – सैलरी, हाउस प्रॉपर्टी, ब्याज, बिजनेस – को एक साथ डिक्लेयर किया जा सकता है.
ITR-4 (सुगम) किन लोगों के लिए है
अगर आप स्मॉल बिजनेस ओनर या ऐसे प्रोफेशनल हैं, जो प्रिजम्पटिव टैक्सेशन स्कीम (44AD, 44ADA या 44AE) के तहत टैक्स भरते हैं, तो ITR-4 (सुगम) आपके लिए है. यह उन टैक्सपेयर्स के लिए है जिनकी सालाना आय 50 लाख रुपये तक है. अगर 95% से अधिक लेन-देन डिजिटल तरीके से होता है, तो यह इनकम लिमिट 75 लाख रुपये तक हो सकती है.
इसमें आप सैलरी, एक प्रॉपर्टी से किराया, ब्याज या फैमिली पेंशन जैसी आय भी दिखा सकते हैं. लेकिन अगर आपके पास पूंजीगत लाभ या विदेशी आय है, तो यह फॉर्म नहीं चलेगा.
ITR-5, ITR-6 समेत बाकी फॉर्म किनके लिए हैं
ITR-5 उन संस्थाओं के लिए है जो फर्म, LLP, AOP, BOI, को-ऑपरेटिव सोसाइटी, लोकल अथॉरिटी या बिजनेस ट्रस्ट हों.
ITR-6 उन कंपनियों के लिए है जो सेक्शन 11 के तहत टैक्स छूट के लिए क्लेम नहीं करती हैं.
ITR-7 ऐसे लोगों और संस्थाओं के लिए है जिन्हें सेक्शन 139(4A), 139(4B), 139(4C), या 139(4D) के तहत रिटर्न फाइल करना जरूरी होता है, जैसे ट्रस्ट, कॉलेज या राजनीतिक पार्टी.
सही फॉर्म का सेलेक्शन सबसे जरूरी
अगर आप टैक्स फाइलिंग को आसान बनाना चाहते हैं और रिटर्न भरने के बाद भी किसी तरह की परेशानी नहीं चाहते, तो अच्छी तरह समझ लें कि आपके लिए कौन सा ITR फॉर्म भरना सही रहेगा. इससे न सिर्फ रिटर्न सही फॉर्मेट में फाइल होगा, बल्कि टैक्स विभाग से नोटिस मिलने की गुंजाइश भी कम रहेगी. लेकिन अगर कनफ्यूजन बना हुआ है, तो टैक्स एक्सपर्ट्स की सलाह लेने में ही भलाई है.