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Shielding our Health: कैंसर से सर्वाइव कर गए लोगों को पॉलिसी खरीदने से पहले पिछले चिकित्सा और इलाज का रिकॉर्ड (मौजूदा स्थितियों का पूरा खुलासा) जमा करना होता है. (pixabay)
Importance of Cancer Insurance: आज के दौर पर मेडिकल ट्रीटमेंट का खर्च लगातार बढ़ता जा रहा है. वहीं गंभीर बीमारियों की इलाज प्रक्रिया लंबा चलने से किसी का भी फाइनेंस पूरी तरह से बिगड़ सकता है. इसी में कैंसर जैसी मेडिकल इमरजेंसी भी शामिल है. ऐसे में कैंसर इंश्योरेंस प्लान आपके स्वास्थ्य के लिए रक्षा कवच बन सकता है. एक कैंसर हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी (Medical Insurance) आपको इलाज के बारे में चिंता किए बिना बेस्ट ट्रीटमेंट पाने में मदद कर सकती है. इस तरह के कवरेज से मिलने वाली वित्तीय सुरक्षा आपको राहत दे सकती है. हालांकि कैंसर इंश्यसोरेंस को लेकर बहुत से लोगो में जागरुकता नहीं है. यहां आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जीआईसी लिमिटेड के चीफ- टेक्नोलॉजी एंड हेल्थ यूडबल्यू और क्लेम्स, गिरीश नायक ने कैंसर इंश्योरेंस पर कुछ जरूरी जानकारियां दी हैं.
असल में कैंसर इंश्योरेंस एक खास तरह की पॉलिसी है, जिसे खरीदी गई कैंसर इंश्योरेंस पॉलिसी के नियमों और शर्तों में दी गई फ्री जांच अवधि के बाद बीमारी से पीड़ित लोगों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है. एक कैंसर-स्पेसिफिक पॉलिसी अस्पताल में भर्ती, कीमोथेरेपी, सर्जरी सहित कैंसर डायग्नोस्ड और इलाज से जुड़ी लागत के लिए कवर प्रदान करती है. जैसे ही किसी व्यक्ति को कैंसर का पता चलता है, कैंसर बीमा पॉलिसी एक्टिव हो जाती है. जब बीमा लेने वाले को कैंसर का पता चलता है, तो बीमा कंपनी द्वारा सम एश्योर्ड के बराबर एकमुश्त राशि का भुगतान किया जाता है. इस राशि का उपयोग कैंसर के इलाज की लागत को कवर करने के लिए किया जा सकता है.
क्या कैंसर से सर्वाइव कर गए लोगों के लिए मेडिकल इंश्योरेंस लेना आसान है?
अलग अलग कंप्रेंहेंसिव हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी उपलब्ध हैं, जो पॉलिसी अवधि के दौरान डायग्नोस्ड (बीमारी की पहचान) होने पर कैंसर सहित कई तरह प्रकार की बीमारियों को कवर करती हैं. ये क्षतिपूर्ति पॉलिसी हैं, जो अधिकतम बीमा राशि (इंश्योर्ड अमाउंट) तक इलाज की वास्तविक लागत को कवर करती हैं. अधिकांश कैंसर-स्पेसिफिक योजनाएं एक तरह से डिफाइन-बेनेफिट व्यवस्थाएं हैं. हालांकि, ऐसी कुछ बीमा कंपनियां हैं, जिन्होंने ऐसी योजनाएं तैयार की हैं, जो किसी ऐसे व्यक्ति को क्षतिपूर्ति कवरेज प्रदान करती हैं, जिसे एक खास वेटिंग पीरियड के बाद पहले से ही कैंसर का पता चला है. ये योजनाएं कवरेज और एक्स्ट्रा बेनेफिट प्रदान करती हैं, जिनमें एकमुश्त भुगतान, ओरल कीमोथेरेपी जैसे आधुनिक इलाज का कवरेज, 90 दिनों तक अस्पताल में भर्ती होने से पहले का खर्च आदि शामिल हैं.
क्या इसमें कुछ शर्तें हैं?
कैंसर से सर्वाइव कर गए लोगों को पॉलिसी खरीदने से पहले पिछले चिकित्सा और इलाज का रिकॉर्ड (मौजूदा स्थितियों का पूरा खुलासा) जमा करना होता है. अगर कोई इंश्योरेंस कंपनी पॉलिसी जारी करना चुनती है, तो इंश्योरेंस द्वारा विशिष्ट बीमारी से संबंधित इलाज के लिए भुगतान करने से पहले आम तौर पर 24 से 48 महीने का पहले से मौजूद बीमारी का वेटिंग पीरियड आवश्यक होगा. इसके अलावा, बेनेफिट पॉलिसी के लिए जहां किसी बीमारी पर एक फिक्स डिफाइन पेआउट होता है, बीमारी की शुरुआती पहचान होने पर, जीवित रहने की अवधि (वह समय सीमा जिसमें इंश्योरेंस अप्रभावी होता है, जो 30 से 90 दिनों तक हो सकता है) लागू हो सकती है. बेनेफिट पेमेंट आमतौर पर जीवित रहने की अवधि के बाद होता है.
कैंसर से सर्वाइव कर गए लोगों के लिए मेडिकल इंश्योरेंस का प्रीमियम कैसे अलग है?
प्रीमियम और कवरेज की डिटेल पॉलिसी के प्रकार, हिस्ट्री या कैंसर के प्रकार, ग्राहक के मेडिकल कंडीशन आदि जैसे फैक्टर के आधार पर अलग हो सकती हैं. हालांकि, पॉलिसी को इस तरह से डिजाइन किया जा सकता है कि ग्राहकों को कैंसर होने के बावजूद भी कवर किया जा सके. इसके लिए, उन्हें कैंसर का निदान न होने पर तुलनात्मक रूप से अधिक प्रीमियम का भुगतान करना पड़ सकता है. इंश्योरेंस के लिए प्रीमियम दरें ग्राहक की आयु और कैंसर के इलाज के लिए क्षेत्र के आधार पर प्राइसिंग से भी प्रभावित हो सकती हैं.
कैंसर बीमा कब खरीदना चाहिए?
अगर आपकी फैमिली में कैंसर का इतिहास रहा है. अगर आपको लगता है कि पर्यावरण या अन्य कारणों से आपको कैंसर होने का खतरा अधिक है. आपके पास बड़े मेडिकल बिलों का भुगतान करने के लिए पर्याप्त बचत नहीं है. आपकी नियमित स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी में पर्याप्त कवरेज नहीं है. भारत में कैंसर इंश्योरेंस के तहत लंग कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर, ओवरिन कैंसर, पेट का कैंसर, हाइपॅालेरिंक्स कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर और सर्वाइकल कैंसर कवर होते हैं.