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Year-end tax planning: 31 मार्च की तारीख बेहद करीब है. यानी इनकम टैक्स भरने वालों के पास अब लास्ट मिनट टैक्स प्लानिंग का यह आखिरी मौका है.
Last minute income tax saving checklist : मौजूदा वित्त वर्ष खत्म होने में अब कुछ ही दिन बचे हैं. ऐसे में अगर आपको यह सवाल परेशान कर रहा है कि आखिरी वक्त में टैक्स बचाने के लिए और क्या करें? तो यहां दी जा रही जानकारी आपके लिए काफी काम की साबित हो सकती है. अगर आप अब भी इन बातों पर ध्यान दें, तो कानूनी तरीके से टैक्स की बचत कर सकते हैं. इसके लिए सबसे पहले तो आपको यह चेक करना होगा कि आपने नियमों के तहत उपलब्ध टैक्स बचाने के सभी तरीकों पर अमल कर लिया है या नहीं. यहां दिए गए टैक्स सेविंग टिप्स और चेकलिस्ट इस जरूरी काम में आपकी मदद कर सकते हैं.
एन्युअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) जरूर चेक कर लें
31 मार्च से पहले जितनी जल्दी हो सके, अपने एन्युअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) को जरूर चेक कर लें. अगर उसमें कोई खामी मिले, तो उसे रिपोर्ट करके वक्त रहते ठीक करवा लें, ताकि भविष्य में इनकम टैक्स रिटर्न के साथ कोई मिसमैच न हो. अगर आप वित्त वर्ष खत्म होने से पहले इन तमाम बातों का ध्यान रखकर सही कदम उठाएंगे, तो टैक्स के बोझ को सही और कानूनी तरीके से कम करने में जरूर सफल होंगे.
टैक्स छूट के लिए जरूरी डॉक्युमेंट वक्त रहते जमा कर दें
नौकरीपेशा लोगों के लिए हाउस रेंट अलाउंस (HRA) या लीव ट्रैवल अलाउंस (LTA) पर टैक्स छूट क्लेम करने के लिए जरूरी सभी डॉक्युमेंट वक्त रहते अपने एंप्लॉयर के पास जमा कर देने चाहिए. इसी तरह सेक्शन 80C या 80D समेत दूसरे तमाम प्रावधानों के तहत छूट लेने के लिए जरूरी दस्तावेज भी वक्त पर जमा कर दें. हालांकि आप 80C के तहत टैक्स छूट का दावा तो आईटीआर फाइल करते समय भी कर सकते हैं, लेकिन HRA और LTA के मामले में ऐसा कर पाएंगे.
सेक्शन 80C और 80D का पूरा इस्तेमाल करें
अगर आपने पुरानी टैक्स रिजीम का विकल्प चुना है, तो चेक कर लें कि आपने सेक्शन 80C का लाभ लेने के लिए साल में 1.5 लाख रुपये के निवेश की लिमिट पूरी कर ली है या नहीं. अगर इसमें कोई कमी रह गई है, तो 31 मार्च तक आप इसे पूरा कर सकते हैं. इसी तरह मेडिकल इंश्योरेंस पर सेक्शन 80D के तहत अपने और अपने माता-पिता के स्वास्थ्य बीमा की पूरी लिमिट का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. 6 साल से कम उम्र के लोगों के लिए यह लिमिट 25 हजार रुपये सालाना और सीनियर सिटिजन्स के लिए 50 हजार रुपये सालाना है.
टैक्स-लॉस हार्वेस्टिंग से बचाएं टैक्स
अपने पोर्टफोलियो में शामिल घाटे वाले शेयर, म्यूचुअल फंड या किसी और ऐसे ही निवेश का इस्तेमाल करके आप अपनी इनकम टैक्स देनदारी में कमी ला सकते हैं. टैक्स बचाने की इस रणनीति को टैक्स लॉस हार्वेस्टिंग (Tax loss harvesting) कहते हैं. टैक्स लॉस हार्वेस्टिंग एक ऐसी रणनीति है, जिसका इस्तेमाल घाटे को मुनाफे में एडजस्ट करने के लिए किया जाता है.
कैसे काम करती है टैक्स लॉस हार्वेस्टिंग
टैक्स-लॉस हार्वेस्टिंग नुकसान पर शेयर या म्यूचुअल फंड बेचकर अपनी टैक्स देनदारी कम करने का तरीका है. इसके लिए आपको अपने किसी घाटे में चल रहे एसेट को नुकसान उठाकर बेचना पड़ता है. इस ट्रांजैक्शन में हुए घाटे को आप किसी मुनाफे वाले निवेश पर की गई वसूले गए प्रॉफिट से एडजस्ट कर सकते हैं. इससे आपकी कुल टैक्स देनदारी घट जाती है.
टैक्स लॉस हार्वेस्टिंग के लिए पोर्टफोलियो में बदलाव
टैक्स लॉस हार्वेस्टिंग की रणनीति पर अमल कैसे कर सकते हैं, यह एक उदाहरण की मदद से समझते हैं. मान लीजिए आपने साढ़े तीन साल पहले किसी शेयर में 5 लाख रुपये और इक्विटी म्यूचुअल फंड में 2 लाख रुपये लगाए थे. मान लीजिए आपके उस इक्विटी निवेश की मौजूदा वैल्यू घटकर 3.5 लाख रुपये रह गई है, जबकि इक्विटी फंड में लगाए गए 2 लाख रुपये की वैल्यू बढ़कर 4 लाख रुपये हो गई है. अब अगर आप अपने इक्विटी फंड को बेचकर 2 लाख रुपये का मुनाफा निकाल लेना चाहते हैं, तो उस पर आपको लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) टैक्स देना पड़ेगा. इक्विटी फंड को 3 साल से ज्यादा हो गए हैं, लिहाजा उसे बेचने पर एक वित्त वर्ष के दौरान होने वाले 1 लाख रुपये तक के मुनाफे पर कोई टैक्स नहीं लगेगा. यानी आपको टैक्स सिर्फ 1 लाख रुपये पर देना होगा. लेकिन अगर आप 5 लाख रुपये में खरीदे गए शेयर को 31 मार्च से पहले 3.5 लाख रुपये में यानी 1.5 लाख रुपये का घाटा उठाकर बेच देते हैं, तो आप इस लॉन्ग टर्म कैपिटल लॉस को इक्विटी फंड पर हुए 2 लाख रुपये के मुनाफे में एडजस्ट कर सकते है. इस एडजस्टमेंट के बाद आपका कुल मुनाफा 50 हजार रुपये ही रह जाएगा. चूंकि एक वित्त वर्ष के दौरान 1 लाख रुपये तक के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर कोई टैक्स नहीं लगता, लिहाजा आपको इस 50 हजार रुपये पर कोई टैक्स नहीं भरना होगा. जबकि घाटा एडजस्ट नहीं करने पर आपको 1 लाख रुपये की रकम पर टैक्स भरना पड़ता.
घाटा उठाकर क्यों बेचें शेयर?
सवाल ये है कि अगर आप अपने इक्विटी शेयर को बेचने की जगह लंबे समय के लिए होल्ड करना चाहते हैं, तो सिर्फ टैक्स बचाने के लिए उसे घाटा उठाकर क्यों बेचें? इस समस्या का बड़ा आसान सा उपाय है. अगर आप चाहें तो उसी शेयर को 31 मार्च से पहले घाटे में बेचने के कुछ ही दिनों बाद नए वित्त वर्ष में फिर से खरीदकर होल्ड कर सकते हैं. इस तरह टैक्स बचाने में कानूनी तौर पर कुछ भी गलत नहीं है. इतना ही नहीं, अगर किसी एक वित्त वर्ष के दौरान आपका लॉन्ग टर्म कैपिटल लॉस, लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन से एडजस्ट करने के बाद भी बचा रह जाता है, यानी घाटा उस वित्त वर्ष के मुनाफे से ज्यादा है, तो आप उसे अगले 8 वित्त वर्ष तक कैरी-फॉरवर्ड भी कर सकते हैं. लेकिन ऐसा करने के लिए अपना आयकर रिटर्न 31 जुलाई की डेडलाइन से पहले भरना जरूरी है. इसके अलावा यह जानना भी जरूरी है कि शॉर्ट टर्म कैपिटल लॉस को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन, दोनों से एडजस्ट किया जा सकता है. लेकिन लॉन्ग टर्म कैपिटल लॉस को सिर्फ लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन से ही एडजस्ट किया जा सकता है.