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Which life insurance policy should you buy: लाइफ इंश्योरेंस के इतने सारे ऑप्शन मार्केट में मिल रहे हैं कि किसी भी व्यक्ति को फैसला लेने में कनफ्यूजन हो सकता है. (Image : Pixabay)
Which life insurance policy should you buy: क्या आप अपने लिए एक सही और सटीक लाइफ इंश्योरेंस प्लान खरीदने का फैसला सिर्फ इसलिए नहीं कर पा रहे क्योंकि बाजार में मौजूद जीवन बीमा प्रोडक्ट्स की भारी भीड़ ने आपको कनफ्यूज कर दिया है? अगर आपका जवाब हां में है, तो ऐसे असमंजस में फंसने वाले आप अकेले व्यक्ति नहीं हैं. मनीबैक पॉलिसी, यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (ULIP), पेंशन प्लान.. और भी न जाने क्या-क्या! दरअसल लाइफ इंश्योरेंस स्कीम्स के इतने सारे ऑप्शन मार्केट में मिल रहे हैं कि किसी भी व्यक्ति को फैसला लेने में कनफ्यूजन हो सकता है. हम यहां इसी उलझन को दूर करने की कोशिश करेंगे.
लाइफ इंश्योरेंस क्यों है जरूरी?
सबसे पहली बात तो यह है कि किसी भी ऐसे व्यक्ति के लिए लाइफ इंश्योरेंस प्लान लेना बेहद जरूरी है, जो अपने परिवार की जिम्मेदारी संभाल रहा हो या जिस पर बहुत से लोग आर्थिक तौर पर निर्भर हों. अगर ऐसे व्यक्ति के साथ कोई हादसा हो जाए, तो उनके परिवार के लिए जीवन बीमा पॉलिसी एक बड़ा सहारा साबित हो सकती है. इसलिए तमाम कनफ्यूजन को दूर करके जल्द से जल्द लाइफ इंश्योरेंस प्लान खरीद लेने में ही समझदारी है. अब बात करते हैं कि ज्यादातर लोगों के लिए कौन सा प्लान लेना आमतौर पर सही रहता है.
एंडोमेंट प्लान, ULIP, मनीबैक या पेंशन प्लान में निवेश कितना सही?
एंडोमेंट प्लान हो, यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (ULIP) हों या मनीबैक पॉलिसी या फिर पेंशन प्लान. इन सभी में इंश्योरेंस और इनवेस्टमेंट का कंबिनेशन देखने को मिलता है. इन सबको मिलाकर आप हाइब्रिड इंश्योरेंस प्लान भी कह सकते हैं. ऐसे प्लान को बेचते समय आम तौर पर यही कहा जाता है कि इनमें आपको बीमा और निवेश, दोनों का लाभ मिलता है. सैद्धांतिक तौर पर तो यह बात सही है, लेकिन व्यावहारिक रूप से ऐसा होता नहीं है. इसकी वजह ये है कि हाइब्रिड प्लान आमतौर पर महंगे पड़ते हैं यानी ऊंचा सम-इंश्योर्ड चाहिए तो प्रीमियम काफी अधिक हो जाता है. जिसके चलते इनके जरिये लोग आम तौर पर हाइब्रिड प्लान में पर्याप्त लाइफ कवर नहीं ले पाते. और अगर लाइफ कवर पर्याप्त नहीं हो, तो जीवन बीमा का उद्देश्य ही अधूरा रह जाता है.
हाइब्रिड प्लान अपने दूसरे मकसद यानी इनवेस्टमेंट ऑप्शन के तौर पर भी बहुत सफल नहीं होता. ऐसा इसलिए क्योंकि इनमें निवेश पर मिलने वाला रिटर्न आमतौर पर बेहद मामूली होता है. ऐसा इसलिए क्योंकि निवेश की गई रकम के जरिए ही इंश्योरेंस भी दिया जाता है, जिसके एवज में बीमा कंपनी आपके रिटर्न में से ही नियमित रूप से मॉर्टैलिटी चार्जेज (Mortality Charges) भी काटती है.
प्योर टर्म प्लान के क्या हैं फायदे?
हाइब्रिड प्लान से अलग, प्योर टर्म प्लान (Pure Term Insurance Plan) आपको काफी कम प्रीमियम में ऊंचा कवरेज दे सकते हैं. ऐसा इसलिए संभव हो पाता है, क्योंकि बीमा कंपनी आपसे प्योर टर्म प्लान के लिए जो प्रीमियम वसूल करती है, वह सिर्फ इंश्योरेंस के लिए ही होता है. प्योर टर्म प्लान में कोई सर्वाइवल बेनिफिट नहीं मिलता. यानी बीमा का लाभ इंश्योर्ड व्यक्ति के साथ कोई अनहोनी होने पर ही मिलता है. पहली बार में ऐसा लग सकता है कि प्योर टर्म प्लान के प्रीमियम के लिए किया गया भुगतान सर्वाइवल की स्थिति में पूरी तरह बेकार चला जाता है. लेकिन ऐसा नहीं है. दरअसल प्योर टर्म प्लान का असली फायदा आपको इतना बड़ा लाइफ कवरेज मुहैया कराना है, जिसे किसी भी हाइब्रिड प्लान में अफोर्ड कर पाना बेहद मुश्किल है. मिसाल के तौर पर 1, 2 या 5 करोड़ रुपये का प्योर टर्म प्लान भी काफी अफोर्डेबल होता है, जबकि किसी भी हाइब्रिड प्लान में इतना बड़ा कवरेज लेने के लिए आपको साल में लाखों रुपये का प्रीमियम देना पड़ सकता है.
इंश्योरेंस और निवेश को अलग-अलग रखना बेहतर
अगर आप अपने लाइफ इंश्योरेंस और निवेश के लक्ष्य को अलग-अलग रखें तो दोनों ही मामलों में बेहतर रहेगा. ऐसा करने पर आप कम प्रीमियम पर पर्याप्त कवरेज ले पाएंगे और निवेश पर बेहतर रिटर्न भी कमा लेंगे. ऐसा करने का सबसे सीधा तरीका यही है कि आप जीवन बीमा के लिए प्योर टर्म प्लान पर भरोसा करें. वहीं निवेश के लिए अपने रिस्क प्रोफाइल के हिसाब से पीपीएफ, बैंक एफडी से लेकर म्यूचुअल फंड एसआईपी तक किसी और विकल्प का चुनाव कर सकते हैं. सबसे बेहतर रणनीति तो यही होगी कि आप जीवन बीमा के लिए प्योर टर्म प्लान खरीदें और फिर प्रीमियम में होने वाली बचत को किसी अच्छे म्यूचुअल फंड में एसआईपी के जरिए निवेश कर दें.