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NPS में निवेश पर एक साल में कुल 2 लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्स छूट मिलती है.
From online withdrawal to subscriber details modification Check here list on new rule for NPS in last 6 months: नेशनल पेंशन सिस्टम यानी एनपीएस (NPS) एक पेंशन स्कीम है. यह स्कीम रिटायरमेंट के बाद की जरूरतों को पूरा करता है. अपनी पहली नौकरी से जो लोग इस स्कीम में निवेश करते हैं तो उन्हें रिटायरमेंट के बाद पेंशन के रूप में आय हासिल करने में मदद मिलती है. निवेश पर एक साल में कुल 2 लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्स छूट मिलती है.
रिटायरमेंट की प्लानिंग कर रहे निवेशकों के लिए नेशनल पेंशन सिस्टम यानी NPS भी बेहतर विकल्प है. NPS पेंशन सिस्टम केंद्र सरकार द्वारा चलाई जाती है. इस स्कीम के तहत टियर 1 और टियर 2 दो तरह के खाते हैं, जिनमें अलग-अलग निवेश और निकासी की शर्तें होती हैं. एनपीएस में सरकार ने पिछले 6 महीने में कई अहम बदलाव किए गए हैं. अगर आप इस पेंशन स्कीम में निवेश करते हैं तो यहां सभी अहम बदलावों के बारे जान लेनी चाहिए.
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बैंक वेरिफिकेशन के साथ नाम का मिलान जरूरी
एग्जिट और निकासी के लिए बैंक वेरिफिकेशन के साथ नाम मिलान अब अनिवार्य है. इसके साथ ही बैंक डिटेल में बदलाव कराने के लिए वेरिफिकेशन और नाम मिलान जरूरी हो गया है.
NPS Lite/APY के लिए ऑनलाइन निकासी की सुविधा उपलब्ध है.
निवेशक की मृत्यु होने पर जमा राशि निकासी के लिए परिजन पीओपी पर की मदद से अपना काम करा सकते हैं. इसमें अब नाम वेरिफिकेशन और पैनी ड्रॉप के माध्यम से बैंक डिटेल वेरिफिकेशन अनिवार्य कर दी गई है.
पीएफआरडीए ने अपने पीओपी यानी प्वाइंट ऑफ प्रजेंस पर अब ऑनलाइन स्क्रीन आधारित सुविधा लागू है. बता दें कि पॉइंट ऑफ प्रेजेंस (पीओपी) पीएफआरडीए के तहत आने वाला संस्था हैं जो सभी नागरिकों को उनके एनपीएस खाते खोलने और संचालित करने के लिए सेवाएं देता हैं. ये पीओपी सर्विस प्रोवाइडर (पीओपी-एसपी) नामक शाखाओं के अपने नेटवर्क के माध्यम से काम करते हैं.
डाक्युमेंट साइज लिमिट में बढ़ी
सुपरएन्युएशन (Superannuation), इनकैपेसिटी (Incapacitation) और प्री-मेच्योर एग्जिट (Pre-Mature Exit) के लिए निकास की प्रक्रिया के समय अपलोड किए जाने वाले डाक्युमेंट की साइज लिमिट 2MB से बढ़ाकर 5MB कर दी गई है.
नोडल ऑफिस पर अपडेट करा सकते हैं बैंक डिटेल
नोडल ऑफिस अब HRIMS सिस्टम का इस्तेमाल करके बल्क प्रोसेसिंग (bulk processing) के माध्यम से अपने ग्राहकों के लिए बैंक डिटेल अपडेट और उसे अपलोड कर सकते हैं.
NPS खाते से मोबाइल नंबर लिंक कराना जरूरी
निकासी यानी अकाउंट बंद कराते समय ग्राहकों के साथ किसी प्रकार की धोखाधड़ी न होने पाए सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एनपीएस खाते में खास मोबाइल नंबर अब उन्हें जुड़वाना होगा.
NPS Lite खाते से निकासी पर करना होगा वेरिफिकेशन
NPS Lite अकाउंट के मामले में मृत्यु और आंशिक निकासी के लिए अब पेनी ड्रॉप (penny drop) के माध्यम से नाम वेरीफाई अनिवार्य कर दिया गया है.
ग्राहकों को करना ऐसे करना होगा वेरिफिकेशन
NPS Lite के मामले में पंजीकरण करने वाले जीडीएस ग्राहकों को अनिवार्य रूप से नाम मिलान के साथ पेनी ड्रॉप के जरिए वेरिफिकेशन भी कराना होगा.
NPS निवेशक अब एक से अधिक PF विकल्प चुन सकते हैं
ग्राहक अब एनपीएस खाता खोलने की तारीख से तीन महीने बाद एक्टिव चॉइस निवेश (Active Choice investment) के तहत एक से अधिक पेंशन फंड (पीएफ) का विकल्प चुन सकते हैं.
फैमिली या डिसेबिलिटी पेंशन प्रक्रिया में बदलाव
इसके तरीके में बदलाव किए गए हैं. अब कंपनी और कर्मचारी के योगदान का विभाजन और ग्राहक/दावेदार के बैंक डिटेल के लिए अनिवार्य रूप से नाम मिलान के साथ पेनी ड्रॉप के माध्यम से वेरिफिकेशन शामिल है.
नोडल ऑफिस पर सुरक्षा के लिहाज से किए गए हैं ये बदलाव
नोडल ऑफिस पर सेंट्रल रिकॉर्डकीपिंग एजेंसी यानी सीआरए के लिए लॉगिन के दौरान आधार आधारित वेरिफिकेशन लागू किया गया है. सुरक्षा के लिहाज से किए गए बदलाव के बाद अब CRA को लॉगइन करते समय में आधार आधारित वेरिफिकेशन से गुजरना होगा.
NPS पेंशन स्कीम की पढ़िए खासियत
NPS टियर 1 अकाउंट खोलने के लिए आपकी आयु 18 से 70 वर्ष के बीच होनी चाहिए, जबकि टियर 2 को खोलने के लिए आपको पहले से ही टियर 1 का सदस्य होना जरूरी है. लॉक-इन पीरियड की बात करें तो NPS टियर 1 अकाउंट 60 वर्ष तक चलता है और इसमें आपकी जमा राशि लॉक होती है, जबकि टियर 2 में लॉक-इन पीरियड नहीं होती, और आप जब चाहें राशि निकाल सकते हैं. टियर 1 के लिए मिनिमम बैलेंस 500 रुपये है, जबकि टियर 2 के लिए कोई मिनिमम बैलेंस नहीं होती, आप जितनी राशि चाहें जमा कर सकते हैं.
टियर 1 में निवेश पर आपको इनकम टैक्स छूट की सुविधा मिलती है, जबकि टियर 2 में निवेश पर कोई छूट नहीं मिलता है. यह एक वॉलंटरी अकाउंट होता है, जिसे आप टियर 1 के होने पर खोल सकते हैं, और इसमें आपको निवेश और निकालने में फ्लेक्सिबिलिटी मिलती है. इसमें निवेश करने के लिए आपके पास एक स्थायी रिटायरमेंट अकाउंट नंबर (PRAN) होना चाहिए, जो आपको NPS अकाउंट को खोलने पर दिया जाता है. इसलिए कहा जाता है कि NPS टियर I अनिवार्य रूप से रिटायरमेंट अकाउंट है, जबकि टियर II आपके PRAN से जुड़ा एक स्वैच्छिक बचत खाता है. ये स्कीम मार्केट लिंक्ड होती है. NPS में कम से कम 20 साल निवेश करना जरूरी है. अकाउंट खुलने के बाद 60 साल की उम्र तक या मैच्योरिटी तक इसमें योगदान करना होता है. एनपीएस निवेशकों को रिटायरमेंट से पहले आंशिक निकासी की परमिशन मिलती है.
आप एनपीएस खाते से कुल जमा राशि का 25 फीसदी हिस्सा निकाल सकते हैं. इस निकासी के लिए आपका एनपीएस खाता कम से कम 3 साल पुराना होना जरूरी है. NPS अपने ग्राहक को कई तरह के लचीलापन प्रदान करता है. खाताधारक एक वित्त वर्ष में अपनी जरूरत के अनुसार कभी भी एनपीएस फंड में अपना योगदान दे सकते हैं. वह खुद अपने निवेश के विकल्प को चुनकर उसे बदल भी सकते है. इसके साथ ही निवेशकों को अपना खाता ऑनलाइन हैंडल करने की सुविधा मिलती है. रिटायरमेंट पर कोई 60 फीसदी तक राशि निकाल सकता है और बचे फंड से एन्युटी खरीद सकता है. एनपीएस की खासियत यह है कि रिटायरमेंट पर न तो कोई 100 फीसदी फंड निकाल सकता है और न ही 100 फीसदी फंड से एन्युटी खरीद सकता है. कम से कम 40 फीसदी रकम से एन्युटी खरीदना जरूरी है. इस योजना में मंथली पेंशन के लिए एन्युटी खरीदना जरूरी है. यानी यह स्कीम रिटायरमेंट पर पेंशन और एक मुश्त फंड तो देती ही है, एनपीएस में निवेशकों को रिटायरमेंट के पहले टैक्स बेनिफिट मिलते हैं.
बाजार में निवेश करने की वजह से एनपीएस में थोड़ा मार्केट रिस्क रहता है हालांकि इसमें हायर रिटर्न की संभावना होती है. ऐसे में एक बड़ा रिटायरमेंट कॉर्पस चाहने वाले निवेशकों के लिए एनपीएस एक बेहतर विकल्प भी साबित हो सकता है. इसमें एक वित्त वर्ष में 1.5 लाख रुपये तक निवेश पर आयकर कानून की धारा 80C के तहत टैक्स में छूट मिलती है. इसके अलावा सेक्शन 80CCD(1B) के तहत 1.5 लाख रुपये से ऊपर सालाना 50,000 रुपये तक के निवेश पर भी टैक्स बेनिफिट मिलता है. यानी NPS में निवेश पर एक साल में कुल 2 लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्स छूट मिलती है, जो किसी भी और निवेश में उपलब्ध नहीं है.