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शादी और EMI: सिर्फ एक दिन के जश्न की कीमत, जो सालों तक परिवार पर रहती है। Photograph: (Image: AI Generated)
शादी का खर्च क्या खुशियों की शुरुआत है या कर्ज का बोझ?
आज के उपनगरों में एक अच्छा हॉल प्रति प्लेट कम से कम ₹1,500 चार्ज करता है, और ज़्यादातर यह ₹2,000 के करीब होता है। ऐसे में 500 मेहमानों के लिए सिर्फ खाने का बिल ही लगभग ₹10 लाख तक पहुँच जाता है। होटलों कि बात करें तो वो इससे भी महंगे हैं। और यह तो शादी का केवल एक हिस्सा है। गहने, पोशाक, सजावट, साउंड सिस्टम, फोटोग्राफी और अनगिनत ऐड-ऑन जल्दी ही बजट को और ऊपर ले जाते हैं।
एक समय पर जो मौका साधारण पारिवारिक समारोह दिखता है, वह धीरे-धीरे करोड़ों रुपये के उद्योग में बदल जाता है। परिवारों को यह पता होता है, फिर भी वे यह सब करते हैं। मैंने अक्सर अपने आप से पूछा – ऐसा क्यों होता है? इसका जबाब कई परतों में छुपा है।
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परंपरा और सामाजिक दबाव
शादी की तैयारी में परंपरा का महत्व है, मेहमानों का सम्मान दिखाने की आवश्यकता है, और कई समुदायों में शादी को लेकर एक तरह की प्रतिस्पर्धा भी रहती है। कोई भी अपनी बेटी के इतने ख़ास और बड़े दिन पर किसी भी तरह कि कोई कमी नहीं रखना चाहता। सोशल मीडिया आग में घी का काम करता है, जिससे आम परिवार भी महसूस करते हैं कि उन्हें एक “सपनों सी” शादी की तैयारी करनी ही चाहिए।
लेकिन सपनों की कीमत होती है। और यही वह जगह है जहाँ परेशानी शुरू होती है। बहुत कम मध्यम वर्गीय परिवारों के पास ₹10–15 लाख नकद बचत होती है। शादी भले ही छोटे पैमाने पर 300 लोगों के लिए हो,खर्च आसानी से ₹10 लाख पार कर जाता है। ऐसे में वे पर्सनल लोन, गोल्ड लोन, या म्यूचुअल फंड और बीमा पॉलिसीस को गिरवी रखकर पैसा जुटाते हैं। बैंक और ऋणदाता “वेडिंग लोन” ऑफर, आसान EMI और त्वरित डिस्बर्सल के साथ खुशी-खुशी मदद करने को तैयार रहते हैं।
जो शुरुआत में उत्साह का मौका लगता है, वह अक्सर वर्षों की रीपेमेंट या कर्ज़ चुकाने में बदल जाता है। जश्न कुछ दिनों का होता है, लेकिन EMI सालों तक रहती है।
कर्ज़ लेकर शादी शुरू करना क्यों गलत है
मैं अक्सर सोचता हूँ कि शादी के शुरूआती कुछ महीने खुशी और उम्मीद भरे होने चाहिए चाहिए। लेकिन, मुझे पता है ज़्यादातर लोग इन दिनों को तमाम सपनों और प्लान्स से भरे रखना चाहते हैं। लेकिन जब शादी कर्ज़ के जरिए फंड की जाती है, तो ये दिन, ये महीने अक्सर पहाड़ पर चढ़ने जैसे महसूस होतेहैं। EMI तो केवल शुरुआत भर होती है। लेकिन यह कर्ज़ बाकी जीवन को कैसे प्रभावित करता है, यह बात मुझे परेशान करती है।
हाल के डेटा बताते हैं कि शादी के लिए कर्ज़ लेना कितना आम हो गया है। IndiaLends द्वारा किए सर्वे के अनुसार, लगभग 26 प्रतिशत दूल्हा-दुल्हन जो अपनी शादी स्वयं फंड करने की योजना बनाते हैं, पर्सनल लोन लेने पर विचार करते हैं। इनमें से अधिकतर₹1 लाख से ₹5 लाख तक उधार लेने की योजना बनाते हैं। WeddingWire India की रिपोर्ट में बताया गया है कि 2024 में भारत में औसत शादी का खर्च ₹29.6 लाख रहा, जिसमें लगभग एक-तिहाई कपल्स ने ₹30 लाख से अधिक खर्च किया, और कई ने ₹50 लाख से भी ऊपर।
ये आंकड़े सिर्फ बड़े नहीं हैं; ये गहरी सच्चाई भी दिखाते हैं। जब कपल्स केवल शादी के एक हिस्से के लिए ₹1–5 लाख उधार लेते हैं, तो यह भविष्य के कई चीज़ों पर भारी बोझ डालता है।
मैंने कई दोस्तों को देखा है जो अपना पहला घर खरीदने की योजना को इस कारण स्थगित कर देते हैं कि डाउन पेमेंट के लिए पैसा पहले ही शादी के खर्च में चला गया। कुछ कपल्स बच्चे पालने या इमरजेंसी सेविंग्स की कोशिश में लगे रहने के बाबजूद,अब भी कपड़े, गहने और कैटरिंग के बिल चुका रहे होते हैं। कुछ माता-पिता केवल वेन्यू या सजावट के खर्च के लिए संभालकर रखे गए सोने को गिरवी रख देते हैं या बीमा पॉलिसियों का उपयोग करते हैं। यह कर्ज़ अनजाने में दूसरे सपनों को पूरा करने का समय चुरा लेता है।
कुछ परिवार बिना उधार लिए भी शादी कर पाते हैं, यह सराहनीय है। लेकिन जो लोग लोन लेते हैं, वे अक्सर देखते हैं कि आरंभ में आसान लगने वाला EMI शेड्यूल धीरे-धीरे तनाव का स्रोत बन जाता है। पर्सनल और वेडिंग लोन पर ब्याज दर आमतौर पर10% से 24% प्रति वर्ष होती है, जो क्रेडिट स्कोर पर निर्भर करती है। जब EMI इतनी उच्च दरों पर जमा होती है, तो बचत, इमरजेंसी सेविंग और भविष्य की योजनाओं के लिए जगह कम रह जाती है।
कर्ज़ के बाद की समस्याएँ
वेडिंग लोन की समस्या केवल EMI भरने तक सीमित नहीं है। यह अनजाने में जीवन के अन्य पहलुओं में घुसपैठ कर जाता है। मैंने कपल्स को देखा है जो अपनी शादी के पहले साल का आनंद लेने की बजाय, महीने के खर्चों और कैश फ्लो के बारे में सोचने लगते हैं। यह घर में बातचीत का स्वर बदल देता है। एक डिनर टेबल की बातचीत जो वीकेंड की योजनाओं के बारे में होनी चाहिए थी, वह कर्ज़ की चुकौती की तारीखों की चर्चा में बदल जाती है।
मैं कुछ ऐसे फैमिलीज़ को जानता हूँ जो छोटा फ्लैट खरीदने की योजना इसलिए टाल देते हैं क्योंकि डाउन पेमेंट का पैसा पहले ही शादी के कर्ज़ में फंस चुका है। कुछ माता-पिता चुपचाप गोल्ड बेचते हैं, ताकि लोन नियंत्रण में रहे। अन्य अपनीरिटायरमेंट फंड से पैसा निकालते हैं, जिसे वे शायद पूरी तरह पुनः नहीं बना पाएंगे। ये निर्णय खुलकर चर्चा का विषय नहीं बनते, लेकिन इनका दीर्घकालिक प्रभाव होता है।
कर्ज़ लेने के बाद मानसिकता भी बदल जाती है। शादी के लिए लोन लेने वाले लोग अक्सर अन्य जीवनशैली के खर्चों के लिए भी उधार लेना सामान्य मानने लगते हैं। मैंने ऐसे लोगों को देखा है जो इंटीरियर्स, छुट्टियों या अन्य खर्चों के लिए भी लोन लेते हैं, क्योंकि ज़रूरत और विलासिता के बीच की सीमा धुंधली हो जाती है।
और सबसे कठिन बात? बाहर की दुनिया कुछ नहीं देखती। मेहमान खाना खाते हैं, सजावट की तारीफ करते हैं और आगे बढ़ जाते हैं। सोशल मीडिया पर लाइक कुछ ही दिनों में धुंधले हो जाते हैं। लेकिन परिवारEMI के बोझ के साथ जीता रहता है। यही अंतर है बाहर की तारीफ और अंदर के संघर्ष में, जो वेडिंग कर्ज़ को सबसे भारी बनाता है।
कर्ज़ लेने से पहले विचार करें
मेरी राय में सवाल सिर्फ यह नहीं है कि आपको लोन लेना चाहिए या नहीं, बल्कि सवाल यह है कि क्यों लेना चाहिए। लोन अगर सही इस्तेमाल हो, तो लंबे समय तक फायदा दे सकता है। घर खरीदना, बिजनेस शुरू करना, शिक्षा में निवेश – ये ऐसे उद्देश्य हैं जहाँ उधार लेना सही है, क्योंकि यह पैसा एक संपत्ति या सुरक्षा बनाता है और ब्याज से ज्यादा मूल्य देता है।
वास्तविक लागत सिर्फ ब्याज दर नहीं है
शादी के लिए उधार लेना अलग है। शादी एक मेमोरी है, संपत्ति नहीं। यह निश्चित रूप से एक महत्वपूर्ण याद है, लेकिन दिन समाप्त हो जाने के बाद केवल तस्वीरें, वीडियो और लोग जो कहानियाँ सुनाते हैं, वही बचती हैं।
अगर लोन लेना जरूरी ही है, तो खुद से पूछें: क्या यह लोन मुझे कुछ आगे बढ़ने में मदद करेगा, या केवल कुछ घंटों की भव्यता के बाद एक बिल छोड़ जाएगा? यही सरल फिल्टर है। लोन का उपयोग अपने भविष्य को बनाने के लिए करें, केवल जश्न के लिए नहीं।
अंतिम चेतावनी
शादियाँ खूबसूरत पड़ाव हैं, लेकिन वित्तीय शांति की कीमत पर नहीं। मेरे अनुभव और दूसरों के संघर्ष से यह साफ़ पता लगता है। लोन शक्तिशाली उपकरण हो सकता है जब यह घर, शिक्षा या व्यवसाय जैसी स्थायी चीज़ों के लिए लिया जाए। लेकिन अगर केवल कुछ घंटे की भव्यता के लिए लिया जाए, तो यह जश्न की खुशी से ज़्यादा, लंबे समय तक भारी बोझ बन जाता है।
शादी की योजना बनाते समय खुद से पूछें – क्या आप यादें बनाने के लिए उधार ले रहे हैं या संपत्ति बनाने के लिए? यादें अनमोल हैं, लेकिन वो EMI नहीं चुकातीं। महंगी शादी खुशहाल शादी की गारंटी नहीं देती, लेकिन भारी कर्ज़ शुरुआती वर्षों को कठिन बना सकता है।
यादें अनमोल हैं, लेकिन EMI नहीं चुकाती।
मेरी सादगीपूर्ण अपील: शादीशुदा जिंदगी की शुरुआत प्यार से करें, कर्ज़ से नहीं। अगर लोन लेना ही है, तो वह भविष्य बनाने के लिए होना चाहिए, कुछ घंटे के दिखावे के लिए नहीं।
एक छोटी, कर्ज़-मुक्त शादी पल में साधारण लग सकती है, लेकिन यह स्वतंत्रता और शांति देती है – ये दो ऐसे उपहार हैं जो किसी भी उधारी से बेहतर हैं।
डिसक्लेमर
नोट : इस लेख में फंड रिपोर्ट्स, इंडेक्स इतिहास और सार्वजनिक सूचनाओं का उपयोग किया गया है. विश्लेषण और उदाहरणों के लिए हमने अपनी मान्यताओं का इस्तेमाल किया है.
इस लेख का उद्देश्य निवेश के बारे में जानकारी, डेटा पॉइंट्स और विचार साझा करना है. यह निवेश सलाह नहीं है. यदि आप किसी निवेश विचार पर कदम उठाना चाहते हैं, तो किसी योग्य सलाहकार से सलाह लेना अनिवार्य है. यह लेख केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है. व्यक्त किए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत हैं और उनके वर्तमान या पूर्व नियोक्ताओं का प्रतिनिधित्व नहीं करते.
पार्थ परिख को वित्त और अनुसंधान में दस से अधिक वर्षों का अनुभव है. वर्तमान में वह फिनसायर में ग्रोथ और कंटेंट स्ट्रेटेजी के प्रमुख हैं, जहां वह निवेशक शिक्षा पहल और लोन अगेंस्ट म्यूचुअल फंड्स (LAMF) जैसे उत्पादों और बैंकों तथा फिनटेक्स के लिए वित्तीय डेटा समाधानों पर काम करते हैं.
Note: This content has been translated using AI. It has also been reviewed by FE Editors for accuracy.
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