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Personal Loan vs Car Loan : पुरानी कार खरीदने के लिए कौन सा लोन सही रहेगा? (File Photo : Reuters)
Car Loan vs Personal Loan : जीएसटी में कटौती के बाद सिर्फ नई कारों के दाम ही नहीं घटे हैं. पुरानी कारें या सेकेंड हैंड कारें भी अब पहले से कम कीमत में मिल रही हैं. ऐसे में बहुत से लोग अब यूज्ड या प्री-ओन्ड (Used or Pre-owned) कार खरीदने का मन बना रहे होंगे. मौजूदा माहौल में उन्हें पुरानी कार में सस्ती या बजट-फ्रेंडली डील में काफी ऑप्शन मिल जाएंगे. लेकिन पुरानी कार खरीदते समय एक सवाल कई बार उठता है. अगर पुरानी कार को फाइनेंस कराना है, तो क्या करें? सामान्य कार लोन से कुछ ज्यादा ब्याज पर मिलने वाले यूज्ड कार लोन की तरफ जाएं या पर्सनल लोन लेना बेहतर रहेगा? इस बारे में फैसला करने से पहले दोनों ऑप्शन को डिटेल में समझना जरूरी है.
पुरानी गाड़ी के लिए कार लोन
गाड़ी पुरानी हो या नई, कार लोन हमेशा सिक्योर्ड लोन (secured loan) होते हैं. क्योंकि इसमें लोन लेकर खरीदी गई गाड़ी गिरवी (collateral) रहती है. कार लोन की पूरी रकम चुकाने तक कार पर बैंक का हक रहता है, जिसे हाइपोथिकेशन (Hypothecation) कहते हैं. हाइपोथिकेशन का जिक्र कार के रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC) पर भी होता है, जिसे लोन खत्म होने के बाद हटवाना पड़ता है.
पुरानी गाड़ी खरीदने के लिए कार लोन लेने के फायदे
पुरानी गाड़ी खरीदने के लिए कार लोन लेने का एक फायदा ये है कि सिक्योर्ड लोन होने की वजह से आमतौर पर इनकी ब्याज दर पर्सनल लोन की ब्याज दर से कम होती है. इसके अलावा ये लोन चुकाने के लिए 7 साल तक का समय मिलता है, जिससे EMI कम होती है और लोन को आसानी से मैनेज किया जा सकता है. जिनकी क्रेडिट हिस्ट्री ज्यादा मजबूत नहीं है, उन्हें पर्सनल लोन की तुलना में कार लोन मिलने की ज्यादा उम्मीद रहती है. बशर्ते जिस कार के लिए लोन लेना है, वो बैंक या एनबीएफसी के पैमाने पर सही हो.
पुरानी गाड़ी के लिए कार लोन लेने से जुड़ी दिक्कतें
बैंक और NBFCs पुरानी कारों के लिए जो लोन देते हैं, उनकी ब्याज दर और शर्तें नई कार से थोड़ी अलग होती हैं. यूज्ड कार लोन की दरें आम तौर पर नई कार के लोन से थोड़ी अधिक रहती हैं. पुरानी गाड़ी के लिए कार लोन लेने में एक बड़ी लिमिटेशन ये है कि लोन की रकम पुरानी कार की कैलकुलेट की गई वैल्यू पर निर्भर होती है. अगर कार का वैल्यूएशन कम है, तो लोन भी कम ही मिलेगा. इसके अलावा कार लोन पूरी तरह चुकाए जाने तक कार पर बैंक का हक रहता है. लोन खत्म होने के बाद हाइपोथिकेशन हटाने के लिए कागजी कार्रवाई करनी पड़ती है. कार अगर 7-8 साल से ज्यादा पुरानी हो तो उस पर लोन लेना मुश्किल होता है. लोन लेने वाले की प्रोफाइल के साथ-साथ ये भी देखा जाता है कि कार कितनी पुरानी है, कितने किलोमीटर चल चुकी है और उसकी रीसेल वैल्यू कितनी होगी.
कार खरीदने के लिए पर्सनल लोन
पर्सनल लोन अनसिक्योर्ड (unsecured loan) लोन होता है. यानी इसमें किसी गारंटी या गिरवी की जरूरत नहीं होती. इसमें बैंक या एनबीएफसी लोन लेने वाले की इनकम, क्रेडिट प्रोफाइल, क्रेडिट स्कोर और EMI चुकाने की क्षमता देखकर लोन पास करता है.
पर्सनल लोन पर कार लेने के फायदे
इसमें कार गिरवी नहीं रखी जाती. पहले दिन से ही कार पर आपका पूरा हक रहता है. पर्सनल लोन से मिले पैसों का इस्तेमाल सिर्फ कार खरीदने तक सीमित नहीं है. आप इसका इस्तेमाल इंश्योरेंस, RTO रजिस्ट्रेशन या पुरानी कार को खरीदने के बाद उसकी मेजर रिपेयरिंग के लिए भी कर सकते हैं. पर्सनल लोन के जरिये आप अपनी मनचाही पुरानी कार खरीद सकते हैं, उसके वैल्यूएशन या 7-8 साल से ज्यादा पुराने होने से कोई फर्क नहीं पड़ता.
पर्सनल लोन से कार खरीदने के नुकसान
अनसिक्योर्ड लोन होने की वजह से पर्सनल लोन की ब्याज दर आमतौर पर कार लोन से थोड़ी ज्यादा होती है. हालांकि अगर आप अपने बैंक के पुराने और प्रिफर्ड कस्टमर हैं और क्रेडिट प्रोफाइल अच्छा है, तो आपको काफी बेहतर दर पर भी लोन मिल सकता है. पर्सनल लोन चुकाने की अवधि आमतौर पर कार लोन के मुकाबले कम होती है, इसलिए उतने ही लोन के लिए ज्यादा EMI भरनी पड़ सकती है. पर्सनल लोन पूरी तरह आपके क्रेडिट स्कोर और इनकम पर आधारित होता है. इसलिए अगर आपका क्रेडिट प्रोफाइल कमजोर है, तो पर्सनल लोन लेने में दिक्कत हो सकती है या ज्यादा ब्याज देना पड़ सकता है.
आपके लिए दोनों में क्या बेहतर होगा
दोनों में आपके लिए कौन सा ऑप्शन सही है, ये इस बात से तय होगा कि आपकी जरूरतें और प्रायोरिटी क्या है और आप जिस कार को खरीदने की सोच रहे हैं, उसकी उम्र और कंडीशन कैसी है. आप जो यूज्ड कार खरीदना चाहते हैं, अगर वो 5-6 साल से ज्यादा पुरानी नहीं है और उसकी कंडीशन अच्छी है, तो कार लोन लेना बेहतर हो सकता है. क्योंकि इस पर आपको ब्याज कम देना होगा और चुकाने के लिए ज्यादा समय भी मिलेगा. लेकिन इस दौरान कार पर बैंक का हक रहेगा और कागजी प्रॉसेस पर्सनल लोन से ज्यादा होगी.
वहीं, अगर आप पुरानी कार किसी डीलर की बजाय किसी व्यक्ति से निजी तौर पर खरीद रहे हैं, कार ज्यादा पुरानी है या फिर आपको कार की कीमत के अलावा इंश्योरेंस, सर्विसिंग वगैरह के लिए भी एक्स्ट्रा पैसे चाहिए, तो पर्सनल लोन ज्यादा सुविधाजनक होगा. इसमें कार शुरू से ही आपके नाम पर होगी और पैसे खर्च करने में ज्यादा आजादी भी मिलेगी.
कुल मिलाकर, दोनों में से कौन सा ऑप्शन सही है, ये आपकी परिस्थितियों और प्रायोरिटी पर निर्भर है. कोई भी फैसला करने से पहले दोनों बातें चेक कर लें - एक तो यह कि आपको पर्सनल लोन कितना और किस ब्याज दर पर मिल रहा है. और दूसरे, आप जो कार खरीदना चाहते हैं, उस पर कार लोन की दर, अवधि और रकम कितनी होगी. इसके बाद दोनों की तुलना करके सही फैसला करें.