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पोर्टफोलियो में एक मल्टी-एसेट फंड शामिल करना इक्विटी, डेट और गोल्ड — इन तीन प्रमुख एसेट क्लास में टैक्टिकल एक्सपोजर के लिए एक समझदारी भरा विकल्प हो सकता है. (AI Image)
by Equitymaster
वॉरेन बफेट (Warren Buffett) का कहना है कि अगर आप समझदारी से निवेश करना जानते हैं, तो बहुत ज़्यादा डायवर्सिफिकेशन का कोई खास मतलब नहीं है. ये बस तब जरूरी होता है जब आपको खुद नहीं पता कि आप क्या कर रहे हैं.
पिछले पांच साल में म्यूचुअल फंड फोलियोज की संख्या बढ़कर जून 2025 तक 241.3 मिलियन हो गई है, जिनमें से 190.7 मिलियन रिटेल और HNI निवेशकों के हैं. इसका मतलब है कि आज बड़ी संख्या में लोग म्यूचुअल फंड के जरिए पैसा बनाने पर भरोसा कर रहे हैं.
भारतीय म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का AUM (एसेट अंडर मैनेजमेंट) अब 74 लाख 41 हजार करोड़ रुपये है.
भारतीय म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री एक डायनामिक फेज़ में है, और निवेश के लिए कई तरह की स्कीम्स मौजूद हैं. फंड हाउसेज़ भी नए फंड ऑफर (NFO) ला रहे हैं, और 10 रुपये की NAV के ऑफर से निवेशकों को आकर्षित कर रहे हैं.
प्रमुख सवाल है कि एक निवेशक को कितने म्यूचुअल फंड्स में निवेश करना चाहिए?
दुर्भाग्यवश, कई निवेशक यह मानते हुए बहुत सारी स्कीमें खरीद लेते हैं कि वे बेहतर डाइवर्सिफाई कर रहे हैं.
परंतु वे अंततः ओवर-डाइवर्सिफिकेशन की गलती कर बैठते हैं और पोर्टफोलियो बेवजह बड़ा और उलझा हुआ हो जाता है.
डाइवर्सिफिकेशन निवेश का मूल मंत्र है, लेकिन अत्यधिक डाइवर्सिफिकेशन से रिटर्न में कमी आ सकती है.
एक और समस्या है — म्यूचुअल फंड ओवरलैप — जब दो या अधिक स्कीम्स एक जैसे अंडरलाइन सिक्योरिटीज़ में निवेश करती हैं.
यदि ओवरलैप ज्यादा हो, तो डाइवर्सिफिकेशन का उद्देश्य विफल हो जाता है और रिस्क कुछ ही स्टॉक्स, सेक्टर्स, मार्केट कैप्स या स्टाइल्स पर केंद्रित हो जाता है.
इसके अलावा, हर अतिरिक्त स्कीम
- बस जगह घेरती है
- कोई अतिरिक्त लाभ नहीं देती
- पोर्टफोलियो की मॉनिटरिंग बोझिल बना देती है
- रिस्क को जरूरी नहीं कि कम करे
इसलिए ज़रूरी है कि आप केवल उन स्कीम्स को पोर्टफोलियो में शामिल करें जो यूनिक हों और आपकी जोखिम क्षमता, निवेश उद्देश्य, वित्तीय लक्ष्यों और लक्ष्य की समयसीमा से मेल खाती हों.
याद रखें: अपने पड़ोसी, दोस्त, रिश्तेदार, सहकर्मी या एजेंट की सलाह पर स्कीम्स न लें.
NFO या किसी स्कीम के पिछले रिटर्न्स के लालच में न आएं — Past Returns भविष्य की गारंटी नहीं होते.
एक म्यूचुअल फंड खुद में डायवर्सिफिकेशन देता है, तो अगर आपने सही स्कीम्स चुनी हैं, तो ज्यादा स्कीम्स की ज़रूरत नहीं है.
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इक्विटी फंड्स: कितने होने चाहिए?
सही संख्या: 5 से 7 यूनिक स्कीम्स
कोर पोर्टफोलियो (65-70%)
- 1. Large Cap Fund
- 2. Flexi-Cap या Multi-Cap Fund
- 3. Value Fund
- 4. Contra Fund
सैटेलाइट पोर्टफोलियो (30-35%)
- 1. Aggressive Hybrid Fund
- 2. Mid-Cap Fund
- 3. Small-Cap Fund (अगर रिस्क प्रोफाइल हाई है)
इन सबका निवेश क्षितिज: 7–8 साल या उससे अधिक
टैक्स बचत के लिए
Equity Linked Savings Scheme (ELSS) में निवेश करें — पुरानी टैक्स व्यवस्था में ₹1.5 लाख तक की कटौती मिल सकती है.
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डेट फंड्स: कितने सही हैं?
सही संख्या: 3 से 4 स्कीम्स
निवेश अवधि के अनुसार:
1 साल से कम: Liquid Funds
1-2 साल: Short Duration Fund
2-3 साल*: Banking & PSU Debt Fund
3 साल या अधिक*: Dynamic Bond Fund
ध्यान रखें: डेट फंड्स बैंक FD जैसे पूरी तरह सुरक्षित नहीं होते.
लिक्विडिटी और क्रेडिट क्वॉलिटी जरूर देखें.
गोल्ड फंड्स: पोर्टफोलियो में क्यों ज़रूरी?
आर्थिक अनिश्चितता में हेज और वैल्यू स्टोर के रूप में एक Gold ETF या Gold Savings Fund ज़रूरी हो सकता है.
Gold ETF खरीदने के लिए Demat अकाउंट चाहिए, जबकि Gold Savings Fund सीधे फंड हाउस या एजेंट के माध्यम से लिया जा सकता है.
टैक्टिकल अलोकेशन: मल्टी एसेट फंड क्यों?
- Equity + Debt + Gold में बैलेंस बनाने के लिए Multi-Asset Fund बेहतर विकल्प है.
- फंड मैनेजर मार्केट आउटलुक के अनुसार Allocation बदल सकते हैं.
- कुछ फंड्स Silver ETF, REITs, InvITs, अंतरराष्ट्रीय स्टॉक्स और डेरिवेटिव्स में भी निवेश करते हैं.
होल्डिंग पीरियड: 3–5 साल
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निष्कर्ष: कुल कितने Mutual Funds?
टाइप | स्कीम्स की संख्या |
इक्विटी फंड्स | 7 |
डेट फंड्स | 4 |
गोल्ड फंड्स | 1 |
मल्टी एसेट फंड | 1 |
कुल संख्या | 13 |
अगर आप एक सेक्टर फंड या इंटरनेशनल फंड भी शामिल करें, तब भी कुल स्कीम्स 15 से ज्यादा नहीं होनी चाहिए.
निवेश का मंत्र
गुणवत्ता पर ध्यान दें, मात्रा पर नहीं.
सोच-समझकर निवेश करें
आपका निवेश सुखद और सफल हो.
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से है. यह किसी स्टॉक की सिफारिश नहीं है और इसे ऐसे नहीं लिया जाना चाहिए.
वेबसाइट मैनेजर, इसके कर्मचारी और लेख लिखने वाले लेखक या कॉन्ट्रीव्यूटर द्वारा इस लेख में जिन कंपनियों या निवेश विकल्पों का जिक्र किया गया है, उनमें खुद भी खरीद या बेचने की स्थिति में हो सकते हैं या उनके पास पहले से निवेश हो सकता है. लेख में दिए गए विचार और डेटा की व्याख्या पूरी तरह से लेखकों की निजी राय है. निवेशकों को चाहिए कि वे अपने वित्तीय लक्ष्य, संसाधन और जरूरत के अनुसार किसी स्वतंत्र सलाहकार से सलाह लेने के बाद ही निवेश का निर्णय लें.
Note: This content has been translated using AI. It has also been reviewed for accuracy.
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