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आखिर में बात सिर्फ कागज पर सबसे ज्यादा रिटर्न दिखाने की नहीं है, बल्कि इस बात की है कि जब जरूरत हो, तो आप उस पैसे का इस्तेमाल बिना तनाव और बिना नींद खोए कर सकें. (AI Image)
By Parth Parikh
हाल ही में एक फैमिली फंक्शन में किसी ने मेरे पापा से पूछा मिडकैप (Midcap) और स्मॉलकैप (Smallcap) म्यूचुअल फंड्स का रिटर्न जबरदस्त है. क्या अभी पैसा लगाना चाहिए? पापा ने हल्की मुस्कान के साथ सिर हिलाया और बातचीत क्रिकेट, बिजनेस और थोड़ी फैमिली गॉसिप में चली गई. लेकिन घर लौटते वक्त मैंने पूछा - पापा आपने क्या जवाब दिया?
उन्होंने मुस्कुरा कर कहा - बेटा, पैसा लगाना आसान है, लेकिन पैसा कब और कैसे निकालना है, ये समझ सबसे जरूरी होती है. फिर उन्होंने जो कहा - वो हर निवेशक के लिए सबक है. जब मार्केट में मिठास ज्यादा हो, तब सबसे ज्यादा संभलने की जरूरत होती है. इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए, मैं उन 4 संकेतों की बात करना चाहता हूं, जो बताते हैं कि जब स्मॉलकैप फंड्स बहुत अच्छा परफार्म कर रहे हों, तब सतर्क रहना क्यों और कैसे जरूरी है.
जब मुनाफा दिखे, तभी सतर्क हो जाएं
पहला संकेत होता है जब आपका Smallcap या Midcap फंड मूल लक्ष्य से ज़्यादा पोर्टफोलियो का हिस्सा बन जाए. अक्सर जब मार्केट तेजी में होता है, तो लोग अपने एसेट एलोकेशन को भूल जाते हैं और रिटर्न के लालच में पोर्टफोलियो में असंतुलन आने देते हैं. ़
उदाहरण के तौर पर, 2017 की तेजी में कई फंड्स ने 50% से ज़्यादा का रिटर्न दिया. निवेशकों का Smallcap एलोकेशन 20% से बढ़कर 35% या उससे ऊपर पहुंच गया, लेकिन लोगों ने ट्रिम नहीं किया.
फिर 2018 में Smallcap इंडेक्स 29% तक गिर गया और सारी बढ़त साफ हो गई.
इसीलिए, मैंने सीखा कि अगर मेरा टारगेट अलोकेशन 20% है और वो 30-35% तक पहुंच जाता है, तो मुझे भावनाओं में बहने की बजाय धीरे-धीरे ट्रिम करना चाहिए.
जब वैल्यूएशन और AUM रेड अलर्ट दें तो बाहर निकलें
दूसरा संकेत आता है जब फंड का Valuation और उसका AUM यानी कुल साइज दोनों ही उच्च स्तर पर हों. निवेशक आमतौर पर केवल P/E रेशियो देखते हैं, लेकिन मैंने जाना कि फंड का साइज उतना ही ज़रूरी है. 2021 में जब Smallcap इंडेक्स का P/E 70 के पार गया और SBI, Nippon जैसे फंड्स का AUM 15,000-20,000 करोड़ रुपये हो गया, तब फंड मैनेजर्स के लिए नए स्टॉक्स में इन्वेस्ट करना मुश्किल हो गया. उन्होंने या तो कैश रखा या बड़े स्टॉक्स खरीदे, जिससे फंड की गुणवत्ता और संभावित रिटर्न पर असर पड़ा. इसीलिए अब मैं दोनों चीजें साथ देखकर फैसला करता हूं - वैल्यूएशन बहुत ऊंचा और AUM बड़ा हो तो रिस्क ज़्यादा है.
पोर्टफोलियो की क्वालिटी में बदलाव होने पर बाहर निकलें
तीसरा चेतावनी संकेत तब मिलता है जब फंड की पोर्टफोलियो क्वालिटी में बदलाव आने लगे. जब बहुत सारा नया पैसा आता है, तो फंड मैनेजर्स को मजबूरी में उन स्टॉक्स में निवेश करना पड़ता है जो उनके मुख्य लक्ष्य से मेल नहीं खाते. उदाहरण के लिए, कुछ Smallcap फंड्स ने 2021-22 में टॉप-200 कंपनियों में निवेश बढ़ा दिया या कैश होल्डिंग 10% से ज़्यादा कर ली. इसका मतलब था कि फंड को सही जगह पैसा लगाने के मौके नहीं मिल रहे. मैं अब हर तिमाही Fund Fact Sheet और पोर्टफोलियो अलोकेशन को ध्यान से देखता हूं. अगर अचानक बड़ा बदलाव दिखता है, तो वो मेरे लिए एक चेतावनी होती है.
बाहर निकलें, भले ही आपको टैक्स भरना पड़े
चौथा और सबसे आम लेकिन नज़रअंदाज़ किया जाने वाला संकेत है टैक्स का डर. पहले मैं भी सोचता था कि 10% LTCG टैक्स क्यों दूं? लेकिन फिर मैंने देखा कि जब मार्केट गिरता है, तो वो 10% बचाकर भी मैं 30% का नुकसान उठा रहा हूं. अब मेरी सोच साफ है—टैक्स देना नुकसान नहीं, बल्कि मुनाफ़े की सुरक्षा है. उदाहरण के तौर पर, अगर मेरे फंड में ₹5 लाख का मुनाफ़ा हुआ है और मैं उसे ट्रिम कर ₹4.6 लाख सुरक्षित कर लेता हूं, तो 12.5% टैक्स देने के बाद भी मैं बाज़ार गिरने से बच जाता हूं. जबकि अगर मैं टैक्स बचाने के चक्कर में बैठा रहा, तो 25% की गिरावट में ₹1.25 लाख साफ हो जाएगा. यही वजह है कि अब मैं टैक्स को एक 'प्रोफिट प्रोटेक्शन प्रीमियम' मानता हूं.
अंत में, सबसे बड़ा सबक यह है कि लोग फंड खरीदते वक्त तो बहुत रिसर्च करते हैं, लेकिन फंड से बाहर निकलने की प्लानिंग नहीं करते. Smallcap फंड्स में यह और भी जरूरी हो जाता है क्योंकि ये कुछ महीनों में 30-50% तक गिर सकते हैं और फिर सालों तक रिकवर नहीं करते.
इसलिए मेरा मानना है कि जब Valuation, AUM, पोर्टफोलियो क्वालिटी और टैक्स जैसे संकेत दिखाई दें, तो थोड़ा पीछे हटना समझदारी होती है. यह डराने के लिए नहीं, बल्कि आपको सही समय पर सतर्क करने के लिए है. आख़िर में, काग़ज़ पर सबसे ज़्यादा रिटर्न दिखने से ज़्यादा जरूरी है कि आप उस पैसे को ज़रूरत के समय बिना तनाव के इस्तेमाल कर सकें.
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(नोट: यह लेख फंड रिपोर्ट, इंडेक्स इतिहास और सार्वजनिक प्रकटीकरणों से प्राप्त आंकड़ों पर आधारित है. हमने विश्लेषण और चित्रण के लिए अपनी स्वयं की मान्यताओं का उपयोग किया है.
पार्थ पारिख को वित्त और अनुसंधान में एक दशक से अधिक का अनुभव है. वह वर्तमान में फिन्सायर में विकास और सामग्री रणनीति के प्रमुख हैं, जहाँ वे निवेशक शिक्षा पहलों और म्यूचुअल फंड पर ऋण (LAMF) जैसे उत्पादों और बैंकों और फिनटेक के लिए वित्तीय डेटा समाधानों पर काम करते हैं.
Disclaimer: इस लेख का उद्देश्य निवेश पर अंतर्दृष्टि, डेटा बिंदु और विचारोत्तेजक दृष्टिकोण साझा करना है. यह निवेश सलाह नहीं है. यदि आप किसी भी निवेश विचार पर कार्य करना चाहते हैं, तो आपको किसी योग्य सलाहकार से परामर्श करने की दृढ़ता से सलाह दी जाती है. यह लेख केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है. व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं और मेरे वर्तमान या पूर्व नियोक्ताओं के विचारों को प्रतिबिंबित नहीं करते हैं.)