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Invest in Mutual Funds : म्यूचुअल फंड में निवेशक भारी संख्या में पैसा लगा रहे हैं, जिससे बैंकों की डिपॉजिट ग्रोथ सुस्त पड़ गई है. (Pixabay)
Mutual Fund Strategy : आज से 25 साल या 30 साल पहले की बात करें तो ज्यादातर निवेशकों की सोच प्रॉपर्टी, गोल्ड या बैंक डिपॉजिट तक ही सीमित रहती थी. ऐसे निवेशकों का ध्यान खींचने के लिए साल 1995 में, कुछ पब्लिक सेक्टर और प्राइवेट सेक्टर म्यूचुअल फंड्स (एमएफ) ने एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड ऑफ इंडिया बनाया. हालांकि, इसके बाद भी कई दशकों तक म्यूचुअल फंड के मजबूत प्रदर्शन के बावजूद, भारतीय निवेशकों ने इसे काफी हद तक नजरअंदाज कर दिया. साल 2014 तक, म्यूचुअल फंड (एमएफ) भारतीय परिवारों के फाइनेंशियल एसेट्स का 5 फीसदी से भी कम प्रतिनिधित्व कर रहे थे.
हालांकि साल 2024 तक स्थिति पूरी तरह बदल गई है. म्यूचुअल फंड में निवेशक भारी संख्या में पैसा लगा रहे हैं, जिससे बैंकों की डिपॉजिट ग्रोथ सुस्त पड़ गई है. पिछले दशक में, म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री 6 गुना बढ़ गई है और अब यह बैंक डिपॉजिट के 30 फीसदी के बराबर हो गया है. पिछले 2 दशक में, ज्यादातर इक्विटी फंड ने निवेशकों की संपत्ति में 15-20 गुना बढ़ोतरी की है, जो कि बैंक डिपॉजिट जैसे पारंपरिक निवेश के विकल्प में हासिल किए गए रिटर्न की गई तुलना में लगभग 4-5 गुना अधिक है. इसी के चलते म्यूचुअल फंड में लगातार निवेश बढ़ रहा है.
अभी भी म्यूचुअल फंड की पहुंच 3 लोगों तक
हालांकि, म्यूचुअल फंड अब तक सिर्फ 5 करोड़ निवेशकों तक ही पहुंच पाए हैं, यानी इसकी पहुंच आबादी के करीब 3 फीसदी लोगों तक ही है. अभी तक की बात करें तो एवरेज 10 में से एक भी बैंक अकाउंट होल्डर ने म्यूचुअल फंड प्रोडक्ट में निवेश नहीं किया है. इसके अलावा म्यूचुअल फंड एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) का दो तिहाई हिस्सा टॉप 15 शहरों से आता है, जो यह संकेत देता है कि अभी म्यूचुअल फंड की पहुंच बहुत कम क्षेत्रों और लोगों तक है.
जन धन की तरह जन निवेश की जरूरत
पीएम नरेंद्र मोदी ने 2014 में स्वतंत्रता दिवस पर जन धन अकाउंट के बारे में घोषणा की थी. 10 साल के दौरान इससे बैंकिंग सिस्टम को बहुत ज्यादा लाभ हुआ. आंकड़ों के मुताबिक 14 अगस्त, 2024 तक 53.12 करोड़ जनधन खाताधारक थे, और इन अकाउंट में कुल 2.31 ट्रिलियन रुपए (2.31 लाख करोड़ रुपये) जमा हैं.
सरकार के जन धन पहल ने एक ऐसी पीढ़ी को बैंकिंग सिस्टम के तहत लाने का काम किया, जो पहले बैंकिंग सिस्टम से दूर थे. वहीं अब परिवारों की बढ़ रही आय और बचत के साथ, अब ऐसे ग्राहकों की नई पीढ़ी तैयार हो चुकी है, जो एडवांस लोन और डिपॉजिट प्रोडक्ट के लिए ज्यादा खर्च करने को तैयार हैं. जन धन अकाउंट को ज्यादा प्रोत्साहन केवाईसी मानदंडों के सरल होने से मिला है, जिससे बैंकिंग सुविधा से वंचित लाखों भारतीयों को अपने जीवन में पहली बार बैंक अकाउंट खोलने का मौका मिला.
JAM (जन धन, आधार और मोबाइल) ने देश में पेमेंट इकोसिस्टम में पूरी तरह से क्रांति ला दी है और हर वर्ग की फाइनेंस तक एक समान पहुंच को आसान बनाया है. इसी तरह, म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री को फाइनेंशियलाइजेशन और वेल्थ क्रिएशन के लाभ से अबतक इससे दूर रही जनता तक पहुंचाने के लिए एक समान जन निवेश मूवमेंट की आवश्यकता है. इसके लिए इंडस्ट्री और रेगुलेटर्स के बीच लगातार और सक्रिय रूप से जुड़ाव की भी जरूरत है.
किस तरह की पहल जरूरी
म्यूचुअल फंड को असल में घर घर तक ले जाने के लिए, हमें ग्राहक की ऑन-बोर्डिंग लागत जैसे आरटीए (RTA), सीकेवाईसी (CKYC) और अन्य शुल्कों को कम करना होगा और एसेट मैनेजमेंट कंपनी के लिए सर्विसेज के लिए छोटे टिकट साइज के निवेश को संभव बनाना होगा.
सिर्फ इक्विटी पर निर्भरता से रिस्क
कोविड-19 महामारी के बाद, भारतीय शेयर बाजारों में लगातार तेजी देखी गई है, जिसने बड़ी संख्या में रिटेल निवेशकों को इक्विटी म्यूचुअल फंड की ओर आकर्षित किया है. आज इक्विटी और हाइब्रिड फंड इंडस्ट्री एयूएम का 2/3 से अधिक प्रतिनिधित्व करते हैं, जबकि लगभग एक दशक पहले यह सिर्फ 1/3 था. यह एक अच्छा ट्रेंड है और यह ट्रेंड वेल्थ क्रिएशन में मदद करता है. हालांकि, एयूएम को आकर्षित करने के लिए लगातार तेजी वाले शेयर बाजार पर पूरी तरह से निर्भर रहना एक बड़ा जोखिम है. क्योंकि बाजार साइक्लिक हैं और आगे भी रहेंगे. इक्विटी बाजारों में लंबे समय तक गिरावट म्यूचुअल फंड एयूएम ग्रोथ पर उल्टा असर डाल सकती है. इसलिए किसी भी निवेशक के पोर्टफोलियो को बेहतर रिस्क एडजस्टेड रिटर्न देने और सुरक्षा व लिक्विडिटी की जरूरत को पूरा करने के लिए अलग अलग एसेट क्लास के मिक्स की आवश्यकता होती है.
डेट फंड : हाई सेफ्टी के साथ हाई लिक्विडिटी
इंडिविजुअल निवेशकों के पास इक्विटी फंड एयूएम का 88 फीसदी हिस्सा है, लेकिन डेट फंड एयूएम का 12 फीसदी से भी कम है. इससे साफ होता है कि जहां तक डेट फंड का सवाल है, हम एक इंडस्ट्री के रूप में इसे एवरेज भारतीय बचतकर्ता तक नहीं ले जा सके हैं. एमएफ इंडस्ट्री लिक्विड फंड जैसे कुछ दिलचस्प उत्पाद पेश करती है, जो न सिर्फ हाई सेफ्टी, हाई लिक्विडिटी प्रदान करते हैं, बल्कि बैंक डिपॉजिट की तुलना में डबल रिटर्न दे रहे हैं. लेकिन म्यूचुअल फंड की इस कैटेगरी पर लगभग विशेष रूप से कॉर्पोरेट निवेशकों का ही वर्चस्व बना हुआ है और रिटेल निवेशक इसके बेनेफिट के बारे में काफी हद तक अनजान हैं. जिन्हें जागरूक करने की जरूरत है.
(लेखक : सुरेश सोनी, सीईओ, बड़ौदा बीएनपी परिबा एसेट मैनेजमेंट कंपनी)