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Why invest in Index Fund: इंडेक्स फंड यानी कम जोखिम में बेहतर रिटर्न, किन्हें करना चाहिए निवेश? कितना लगता है टैक्स?

Index Fund का क्या है मतलब? इसमें निवेश करने का क्या है फायदा? इंडेक्स फंड और दूसरे एक्टिव म्यूचुअल फंड्स में क्या है अंतर? निवेश से पहले जानिए इंडेक्स फंड से जुड़े तमाम सवालों के जवाब.

Index Fund का क्या है मतलब? इसमें निवेश करने का क्या है फायदा? इंडेक्स फंड और दूसरे एक्टिव म्यूचुअल फंड्स में क्या है अंतर? निवेश से पहले जानिए इंडेक्स फंड से जुड़े तमाम सवालों के जवाब.

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Viplav Rahi
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SIP investment in equity mutual funds

Index Mutual Fund: इंडेक्स म्यूचुअल फंड आम निवेशकों के लिए कम जोखिम में बेहतर रिटर्न हासिल करने का बेहतर तरीका हो सकता है. (Image: Pixabay)

Index Fund for Low Risk High Return Investment: लंबी अवधि में वेल्थ क्रिएशन के लिए इक्विटी यानी शेयर बाजार में निवेश को सबसे बेहतर विकल्पों में शामिल किया जाता है. लेकिन इक्विटी में निवेश के साथ ज्यादा रिस्क भी जुड़ा है. खास तौर पर उन निवेशकों के लिए, जिन्हें शेयर बाजार से जुड़ी पेचीदा बातों की पूरी जानकारी नहीं होती. ऐसे निवेशक अगर थोड़ा बहुत जोखिम उठाकर बेहतर रिटर्न पाना चाहते हैं, तो उन्हें आम तौर पर म्यूचुअल फंड्स में निवेश की सलाह दी जाती है. लेकिन बाजार में तरह-तरह के म्यूचुअल फंड्स उपलब्ध हैं. लिहाजा सही फंड का चुनाव करना भी नए निवेशकों को मुश्किल लग सकता है. ऐसे में जो इनवेस्टर कम जोखिम में इक्विटी इनवेस्टमेंट का फायदा लेना चाहते हैं, उनके लिए इंडेक्स फंड अच्छा विकल्प साबित हो सकता है. Nifty 50 ने पिछले 5 साल में कुल मिलाकर 84.73 और 10 साल में कुल मिलाकर 225.35 फीसदी का एब्सोल्यूट रिटर्न (absolute return) दिया है. 

Index Fund का मतलब क्या है? 

इंडेक्स फंड (Index Fund) का मतलब समझने से पहले आपको इंडेक्स के बारे में बुनियादी जानकारी होनी चाहिए. भारतीय शेयर बाजार में शेयरों की खरीद-बिक्री के लिए दो प्रमुख एक्सचेंज हैं - 1. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और 2. बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE). इनमें लिस्टेड अलग-अलग कंपनियों को कई अलग-अलग इंडेक्स यानी सूचकांकों में बांटा गया है, ताकि उनके रुझान पर नजर रखने में आसानी हो. अलग-अलग सेक्टर्स या कंपनियों के मार्केट कैपिटलाइजेशन के आधार पर बहुत सारे इंडेक्स बने हुए हैं. लेकिन NSE का सबसे प्रमुख इंडेक्स Nifty 50 है, जिसे आमतौर पर सिर्फ निफ्टी भी कहा जाता है. इसमें नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड 50 सबसे बड़ी कंपनियों को शामिल किया जाता है. इसी तरह बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सबसे लोकप्रिय सूचकांक Sensex है, जिसमें BSE में लिस्टेड 30 सबसे बड़ी कंपनियां शामिल हैं. इंडेक्स में हर कंपनी का वेटेज अलग-अलग होता है. 

इंडेक्स को फॉलो करती है Index Fund की चाल  

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अब करते हैं इंडेक्स फंड की बात. कई म्यूचुअल फंड ऐसे होते हैं, जिनका पैसा सिर्फ किसी खास इंडेक्स में शामिल कंपनियों में ही लगाया जाता है. इसकी वजह से उस इंडेक्स फंड की चाल उसी इंडेक्स को फॉलो करती है, जिसमें उसने पैसे लगाए हैं. यानी निफ्टी 50 इंडेक्स फंड का सारा पैसा निफ्टी 50 में शामिल कंपनियों में ही लगाया जाता है. वो भी उस इंडेक्स में कंपनियों के वेटेज के अनुपात में. यानी अगर किसी कंपनी का इंडेक्स में वेटेज 10 फीसदी है तो उस इंडेक्स फंड की 10 फीसदी रकम उस कंपनी के शेयर में निवेश की जाएगी. 

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Index Fund में निवेश के फैसले फंड मैनेजर पर निर्भर नहीं 

इंडेक्स फंड की एक खास बात यह है कि इसमें निवेश का फॉर्मूला पहले से तय होने के कारण किसी फंड मैनेजर को यह तय नहीं करना पड़ता कि किसी शेयर में कितने पैसे लगाने हैं. इसीलिए इंडेक्स फंड को पैसिव फंड भी कहते हैं. पैसिव फंड होने के चलते इसमें फंड मैनेजरों को दी जाने वाली महंगी फीस/कमीशन की बचत होती है. यही वजह है कि इंडेक्स फंड्स का एक्सपेंस रेशियो (Total Expense Ratio) बाकी फंड्स की तुलना में काफी कम होता है. जिससे निवेशकों का मिलने वाला नेट रिटर्न बेहतर होने की गुंजाइश बढ़ जाती है. फंड मैनेजरों द्वारा मैनेज किए जाने वाले एक्टिव फंड्स म्युचुअल फंड्स में जहां एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) एक्सपेंस रेशियो के जरिए 2 फीसदी तक खर्च वसूलती है, वहीं इंडेक्स फंड्स में ये खर्च आमतौर पर 0.5 फीसदी से 1 फीसदी के बीच होता है.

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Index Fund में जोखिम कम, रिटर्न ज्यादा

इंडेस्क फंड को बाकी म्यूचुअल फंड्स के मुकाबले कम जोखिम वाला भी माना जाता है. इसकी बड़ी वजह ये है कि प्रमुख इंडेक्स लंबी अवधि के दौरान आमतौर पर लगातार ऊपर की तरफ ही बढ़ते रहे हैं. मिसाल के तौर पर Nifty 50 ने पिछले 5 साल में 84.73 फीसदी और 10 साल में 225.35 फीसदी का एब्सोल्यूट रिटर्न (absolute return) दिया है. इसी तरह बीएसई के Sensex ने पिछले 5 साल में 84.55 फीसदी और 10 साल में 220.99 फीसदी का एब्सोल्यूट रिटर्न (absolute return) दिया है. वहीं Nifty Midcap का रिकॉर्ड तो और भी जबरदस्त है. इस इंडेक्स ने पिछले 5 साल में 143.92 फीसदी और 10 साल में 455.62 फीसदी का एब्सोल्यूट रिटर्न (absolute return) दिया है. यहां हम आपको यह भी बता दें कि मिडकैप इंडेक्स में निवेश पर रिटर्न के साथ ही साथ रिस्क भी ज्यादा होता है, लिहाजा इसमें उन्हीं निवेशकों को पैसे लगाने चाहिए, जिनकी जोखिम उठाने की क्षमता अधिक हो. 

पोर्टफोलियो डाइवर्सिफाई करना आसान

इंडेक्स फंड में पैसे लगाने पर छोटे निवेशकों के लिए पोर्टफोलियो डाइवर्सिफाई करना भी आसान हो जाता है. इससे नुकसान की आशंका घट जाती है, क्योंकि अगर एक कंपनी के शेयर में गिरावट आती है तो अक्सर किसी और कंपनी में तेजी से नुकसान की भरपाई हो जाती है. एक्सपेंस रेशियो कम होने की वजह से इंडेक्स फंड में नेट रिटर्न एक्टिव फंड के मुकाबले बेहतर होने की संभावना तो रहती ही है. 

किन निवेशकों को करना चाहिए Index Fund में निवेश

जो म्यूचुअल फंड निवेशक कम से कम जोखिम के साथ अच्छा रिटर्न चाहते हैं, उनके लिए इंडेक्स फंड सही विकल्प हो सकता है. इसमें लगाए गए पैसे एक्टिव फंड्स की तरह किसी फंड मैनेजर की समझदारी के हिसाब से निवेश नहीं किए जाते, बल्कि इसका फॉर्मूला पहले से तय रहता है. लिहाजा सही इंडेक्स फंड का चुनाव करना तुलनात्मक रूप से ज्यादा आसान होता है. मसलन, जो निवेश कम रिस्क लेना चाहते हैं, वे टॉप 50 या टॉप 30 कंपनियों में पैसे लगाने वाले निफ्टी या सेंसेक्स आधारित इंडेक्स फंड में पैसे लगा सकते हैं. जबकि ज्यादा रिटर्न के लिए ज्यादा रिस्क लेने की क्षमता रखने वाले निवेशक मिडकैप इंडेक्स पर आधारित फंड्स में निवेश कर सकते हैं. 

Index Fund पर कितना लगता है टैक्स?

इंडेक्स फंड आमतौर पर इक्विटी में निवेश करते हैं, लिहाजा इनमें निवेश करने पर वे सभी लाभ मिलते हैं, जो इक्विटी ओरिएंटेड फंड्स (EOF) पर मिलते हैं. मिसाल के तौर पर निवेश को 12 महीने से कम समय में निकालने पर हुए मुनाफे पर 15 फीसदी की दर से शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स (STCG) टैक्स देना होता है. वहीं, 12 महीनों से ज्यादा समय तक होल्ड करने के बाद बेचने पर अगर एक साल में 1 लाख रुपये से ज्यादा मुनाफा हो, तो उस पर 10 फीसदी की दर से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) टैक्स लगता है. यानी 1 लाख रुपये तक के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन यानी मुनाफे पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ता. 

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