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Investment Strategy : RBI के ब्याज दर घटाने के बाद क्या करें निवेशक? म्यूचुअल फंड्स के लिए कैसी हो इनवेस्टमेंट स्ट्रैटजी

Investment Strategy after RBI Rate Cut: रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में कटौती के बाद निवेशकों को क्या रणनीति अपनानी चाहिए? खासकर म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए मौजूदा हालात में क्या करना बेहतर होगा?

Investment Strategy after RBI Rate Cut: रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में कटौती के बाद निवेशकों को क्या रणनीति अपनानी चाहिए? खासकर म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए मौजूदा हालात में क्या करना बेहतर होगा?

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Viplav Rahi
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Investment Strategy after RBI Rate Cut: भारत में ब्याज दरों में नरमी का दौर निवेश के लिए नया अवसर बन सकता है, बशर्ते सही रणनीति अपनाई जाए. (Image : Freepik)

Investment Strategy after RBI Rate Cut: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा लगातार दूसरी बार ब्याज दरों में कटौती के बाद निवेशकों को निवेश के लिए क्या रणनीति अपनानी चाहिए? खासकर म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए यह एक अहम मोड़ हो सकता है. दरअसल रेपो रेट को 25 बेसिस पॉइंट घटाकर 6% करने से निवेश के माहौल में बदलाव आ सकता है. लिहाजा निवेशकों को अपनी इनवेस्टमेंट स्ट्रैटजी को उसी हिसाब से ढालने की जरूरत पड़ सकती है. आइए जानते हैं कि इस बदलाव के बाद डेट और इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में निवेश के लिए किस तरह की रणनीति अपनानी चाहिए.

डेट फंड इनवेस्टमेंट के मामले में क्या करें 

RBI की ब्याज दर कटौती के बाद डेट म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए यह समय रणनीति में बदलाव करने का है. जब ब्याज दरें गिरती हैं तो लॉन्ग ड्यूरेशन डेट फंड्स में फायदा होने की संभावना बढ़ जाती है. ऐसे में निवेशकों को डायनैमिक बॉन्ड फंड्स, मीडियम टू लॉन्ग ड्यूरेशन फंड्स और हाई क्वालिटी कॉर्पोरेट बॉन्ड फंड्स की तरफ झुकाव रखना चाहिए. इन फंड्स में निवेश करने से ब्याज दरों के घटने पर बॉन्ड यील्ड में गिरावट का फायदा मिल सकता है. जिन निवेशकों को कम जोखिम लेना है, वे शॉर्ट टर्म बॉन्ड फंड्स का विकल्प चुन सकते हैं. लेकिन जो कुछ हद तक रिस्क लेने को तैयार हैं, उनके लिए लंबी अवधि वाले फंड ज्यादा फायदेमंद हो सकते हैं.

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SIP और STP को जारी रखें

ब्याज दरों में गिरावट के दौर में निवेशकों को अपने सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लाम (SIP) और सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान (STP) को जारी रखना चाहिए. इससे बाजार की अस्थिरता से बचाव होता है और लंबी अवधि में बेहतर एवरेज रिटर्न मिल सकता है. डेट फंड्स में SIP और STP के माध्यम से धीरे-धीरे निवेश करके एंट्री का समय बेहतर तरीके से मैनेज किया जा सकता है.

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लॉन्ग टर्म एप्रोच बेहतर है

RBI का पॉलिसी स्टांस अब न्यूट्रल से बदलकर एकोमोडेटिव (Accommodative) यानी विकास को समर्थन देने वाला हो गया है. ऐसे में निवेशकों को कम से कम 3 साल या उससे ज्यादा अवधि के लिए डेट फंड्स में निवेश करने की सोच रखनी चाहिए. इससे ब्याज दरों में आगे और गिरावट होने पर उसका पूरा फायदा उठाया जा सकता है.

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इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में क्या हो रणनीति?

RBI की लगातार दूसरी कटौती से इक्विटी मार्केट पर भी असर पड़ सकता है. मौजूदा माहौल में निवेशकों को इंडेक्स फंड्स, फ्लेक्सीकैप फंड्स और बैलेंस्ड एडवांटेज फंड्स जैसे विकल्पों की ओर ध्यान देना चाहिए. जबकि मिड और स्मॉल कैप फंड्स में एक्सपोजर कम करना समझदारी भरा कदम होगा, क्योंकि इनमें वैल्यूएशन अभी भी ऊंचे बने हुए हैं. दूसरी तरफ, जो निवेशक थोड़ा ज्यादा रिस्क लेने को तैयार हैं, वे बैंकिंग और फाइनेंशियल सेक्टर के स्टॉक्स पर भी विचार कर सकते हैं, लेकिन यह निवेश 5 से 7 साल का टाइम होराइजन के साथ ही करें.

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ग्लोबल अस्थिरता के बीच सावधानी जरूरी 

ग्लोबल लेवल पर बढ़ती अस्थिरता, टैरिफ और सप्लाई चेन से जुड़ी चुनौतियों के बीच निवेशकों के लिए सतर्कता बरतना जरूरी है. RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने भी अपने बयान में इस तरफ इशारा किया है. ऐसे में भारत में ब्याज दरों में नरमी का यह दौर निवेश के लिए एक अवसर बन सकता है, बशर्ते इसके लिए सही रणनीति अपनाई जाए.

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