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पोस्ट ऑफिस की NSC स्कीम या फिर 5 साल की एफडी, निवेशकों को कहां मिलेगा ज्यादा फायदा? पैसे लगाने से पहले यहां डिटेल देखें. (AI Image : Gemini)
सीनियर सिटिजन के पास अपनी सेविंग को सुरक्षित तरीके से रखने और उस पर बेहतर व निश्चित रिटर्न पाने के कई विकल्प हैं. इनमें सबसे लोकप्रिय हैं पोस्ट ऑफिस द्वारा पेश किए जाने वाले नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NSC) और बैंकों द्वारा उपलब्ध 5 साल की टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट (FD).
दोनों स्कीम्स में 5 साल का लॉक-इन पीरियड होता है, और दोनों इनकम टैक्स की धारा 80C के तहत टैक्स में छूट भी प्रदान करती हैं. हालांकि, ब्याज दर, कंपाउंडिंग फ्रीक्वेंसी, टैक्स नियम और फ्लेक्सिबिलिटी के मामले में ये स्कीम्स एक दूसरे से अलग हैं, जो अंततः मैच्योरिटी अमाउंट को प्रभावित कर सकती हैं. इन अंतर को समझना सीनियर सिटिजन को उनकी वित्तीय जरूरतों, टैक्स स्लैब और लिक्विडिटी की आवश्यकताओं के आधार पर सही निवेश निर्णय लेने में मदद करता है.
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दोनों में से किसी स्कीम में सीनियर सिटिजन को कहां ज्यादा फायदा मिलने की संभावना है. टैक्स स्लैब, लिक्विडिटी जैसे ऐसे तमाम पहलुओं के बारे में यहां डिटेल देखकर सही विकल्प में पैसे लगाने पर विचार कर सकते हैं.
NSC क्या है?
नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NSC) एक सरकारी स्मॉल सेविंग स्कीम है, जो पूरी तरह सुरक्षित और लंबी अवधि तक निवेश चाहने वाले लोगों के लिए बनाई गई है. यह पूरे भारत में पोस्ट ऑफिस के माध्यम से उपलब्ध है और इसमें 5 साल का लॉक इन पीरियड है. ब्याज एनुअल रूप से कंपाउंड होता है और री-इनवेस्ट भी किया जा सकता है, जिससे यह टैक्स बचत और बड़ा फंड जुटाने का भरोसेमंद विकल्प बनता है.
5 साल की FD
बैंक द्वारा पेश किए जाने वाले टैक्स सेविंग एफडी में निवेशकों को बेहतर ब्याज दर के साथ टैक्स लाभ भी मिलता है यदि जमा राशि मैच्योरिटी तक रखी जाए. मिनिमम निवेश 10,000 रुपये है और धारा 80C के तहत अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक की राशि टैक्स बचत के लिए पात्र है. सीनियर सिटिजन के लिए ब्याज दर बैंक के अनुसार बदलती है, जैसे: बंधन बैंक 7.25%, SBI 7.05%, ICICI 7.10%, और IDBI बैंक 6.85%.
टैक्स नियम कितना अलग?
FDs: ब्याज पूरी तरह से आयकर स्लैब के अनुसार टैक्स योग्य है. यदि ब्याज किसी वित्त वर्ष में 50,000 रुपये (वरिष्ठ नागरिकों के लिए 1,00,000 रुपये) से अधिक है, तो बैंक TDS काटता है.
NSC: ब्याज कर योग्य है, लेकिन इसे रिइनवेस्टेड माना जाता है, इसलिए धारा 80C के तहत कटौती योग्य है, केवल आखिरी साल का ब्याज कर योग्य होता है और इसे अन्य सोर्स से आमदनी (Income from Other Sources) के रूप में दिखाना होता है.
कितना है लॉक-इन पीरियड?
दोनों NSC और टैक्स-सेविंग एफडी में अनिवार्य 5 साल का लॉक-इन होता है. जल्द निकासी की अनुमति आमतौर पर नहीं है, सिर्फ विशेष परिस्थितियों जैसे मृत्यु या अदालत के आदेश में NSC के लिए अपवाद हैं.
कहां, कितना मिल रहा इंटरेस्ट रेट?
NSC (अक्टूबर–दिसंबर 2025 तिमाही के लिए): सालाना 7.7% ब्याज दर, एनुअली कंपाउंडिंग, मैच्योरिटी पर भुगतान.
5 साल की टैक्स सेविंग FD: बैंक के अनुसार इसमें फिलहाल सालाना ब्याज 6.5% से 7.5% तक है.
रिटर्न की तुलना करें तो NSC में टैक्स-सेवर FD के मुकाबले थोड़ा ज्यादा ब्याज मिल रहा है और यह सरकार द्वारा समर्थित स्कीम है, जबकि बैंक एफडी 5 लाख रुपये तक DICGC द्वारा बीमित होते हैं. अगर मौजूदा रिटर्न की तुलना करें तो बैंक FD की वास्तविक सालाना ब्याज को NSC की ब्याज दर से मिलाकर देखें; अगर FD का रिटर्न ज्यादा है तो यह बेहतर विकल्प हो सकता है. लेकिन जिनके पास ज्यादा FD निवेश हैं, उन्हें TDS (Tax Deducted at Source) का ध्यान रखना जरूरी है, क्योंकि FD का ब्याज पूरी तरह कर योग्य होता है और आपकी आयकर स्लैब के अनुसार टैक्स देना पड़ता है.
कुल मिलाकर निवेशकों को पैसा लगाने से पहले उपरोक्त पहलुओं पर विचार करके अपनी सहूलियत के हिसाब से निवेश विकल्प पर फैसला लेने की नसीहत दी जाती है.
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