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Continue SIP : लॉन्ग टर्म एसेट क्रिएशन के लिए निवेश बनाए रखना या एसआईपी (SIP) जैसे साधनों से निवेश बढ़ाना समझदारी होगी. Photograph: (Freepik)
Time to panic or stay put : भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान बेस्ड आतंकवादी ग्रुप को निशाना बनाते हुए 7 मई 2025 को तड़के बड़ा एक्शन लिया. भारत ने अपने अभियान ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के तहत पाकिस्तान और पीओके के 9 ठिकानों पर भारी एयर स्ट्राइक की, जिसके बाद से दोनों देशों में टेंशन पीक पर है. हालांकि इस टेंशन का भारतीय शेयर बाजार पर कुछ खास असर नहीं दिख रहा है, लेकिन निवेशकों के मन में यह चिंता जरूर है कि आगे टेंशन बढ़ने पर बाजार में उन्हें नुकसानहो सकता है. यहां सवाल उठता है कि इस तरह के संषर्घ के दौरान इससे पहले भारतीय बाजार का मिजाज कैसा रहा है? क्या तब निवेशकों को नुकसान हुआ था या हमारे बाजारों पर टेंशन का ज्यादा असर नहीं हुआ था.
कोटक म्यूचुअल फंड ने इस पर अपनी एक रिपोर्ट जारी की है. कोटक म्यूचुअल फंड की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने बीते कुछ साल में इस तरह के कुछ संघर्ष देखे हैं, लेकिन हिस्ट्री बताती है कि ऐसे मौकों पर जो निवेशक बाजार में बने रहे, उन्हें आगे चलकर फायदा ही हुआ. यहां तक कि संघर्ष जारी रहने पर भी बाजार पर शॉर्ट टर्म के लिए मामूली असर हुआ, जबकि टेंशन खत्म होने के एक साल बाद बेहतर रिटर्न हासिल हुआ.
पिछले 2 सर्जिकल स्ट्राइक का सीमित असर
2016 के बाद हुए उरी और बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक का शेयर बाजार पर सीमित असर रहा. निफ्टी 50 इंडेक्स में बेहद शॉर्ट टर्म मामूली बदलाव हुए, लेकिन दोनों सर्जिकल स्ट्राइक के एक साल बाद पॉजिटिव रिटर्न देखने को मिला.
उरी सर्जिकल स्ट्राइक के वक्त 18 से 28 सितंबर 2016 तक का समय देखें तो स्ट्राइक वाले दिन निफ्टी 50 में 0.4 फीसदी तेजी रही थी, जबकि उरी पर आतंकी हमले से सर्जिकल स्ट्राइक के बीच निफ्टी 50 में -0.3 फीसदी की मामूली गिरावट आई थी. जबकि सर्जिकल स्ट्राइक के एक साल बाद इंडेक्स 11.3 फीसदी मजबूत हुआ.
इसी तरह से बालाकोट एयर स्ट्राइक के वक्त पुलवामा पर आतंकी हमले से लेकर स्ट्राइक तक यानी 14 से 26 फरवरी 2019 के बीच निफ्टी 50 में -0.4 फीसदी का मामूली बदलाव आया, जबकि पुलवामा अटैक के दिन इंडेक्स 0.8% फीसदी मजबूत हुआ था. इसी तरह से बालाकोट स्ट्राइक के एक साल बाद तक निफ्टी 50 इंडेक्स 8.9 फीसदी मजबूत हुआ.
कारगिल वार : शुरुआती टेंशन के बाद मजबूत हुए बाजार
इतिहास बताता है कि शुरुआती घबराहट के बाद बाजार मजबूत रह सकते हैं, हालांकि शॉर्ट टर्म में उतार-चढ़ाव हो सकते हैं. कारगिल युद्ध (1999), जो एक बड़ा संघर्ष था, के ऐतिहासिक आंकड़े बताते हैं कि शुरुआती घबराहट के बाद इक्विटी बाजार मजबूत बने रहे. निफ्टी 50 इंडेक्स ने युद्ध की अवधि के दौरान और युद्ध के एक साल बाद दोनों अवधि में महत्वपूर्ण पॉजिटिव रिटर्न देखा, भले ही उससे एक महीने पहले गिरावट आई थी.
कारगिल वार (1999) 3 मई से 26 जुलाई 1999 तक चला था. जंग से एक पहीने पहले बाजार में -8.3% गिरावट आई. जबकि जंब के दौरान बाजार 36.6% मजबूत हुआ और जंग के बाद निफ्टी 50 इंडेक्स ने 29.4% रिटर्न दिया.
जियो-पॉलिटिकल टेंशन : लॉन्ग टर्म ग्रोथ पर असर नहीं
जियो-पॉलिटिकल टेंशन से भले ही बाजार में अस्थिरता आती है, लेकिन भारत की लॉन्ग टर्म ग्रोथ स्टोरी को नुकसान नहीं होता है. लंबी अवधि में बाजार का प्रदर्शन मुख्य रूप से इकोनॉमिक फैक्टर्स और कंपनियों की अर्निंग से तय होता है.
फुल फेज्ड वार की उम्मीद कम
सरकार की कार्रवाई से फुल फेज्ड वार की संभावनाएं कम लग रही है. ऐसी स्थिति जिसमें सीमित अवधि के लिए संघर्ष हो, उसका बाज़ारों पर सीमित प्रभाव पड़ने की उम्मीद होती है, जिसके बाद वे स्थिर हो सकते हैं. हालांकि जंग बढ़ती है तो मैक्रो इकोनॉमिक वैरिएिबल्स पर असर होगा, जैसे महंगाई बढ़ेगी, कुछ समय के लिए बाजार में गिरावट आएगी.
निवेशक क्या करें?
कोटक म्यूचुअल फंड का कहना है कि ऐसी स्थिति में पैनिक सेलिंग से बचें और निवेश बनाए रखें. घबराकर एग्जिट करना ठीक नहीं है. लॉन्ग टर्म वेल्थ क्रिएशन के लिए निवेश बनाए रखना या एसआईपी (SIP) जैसे साधनों से निवेश बढ़ाना समझदारी होगी. हिस्ट्री देखें तो साफ है कि बड़े संघर्षों के दौरान बाजार अस्थायी गिरावट के बाद वापस उभर कर समने आते हैं.
SIP : अगर संभव है तो एसआईपी में टॉप-अप करें, इसे बंद करने की बिल्कुल न सोचें.
Lump sum : संभव हो तो निवेश और बढ़ाएं, पैनिक होकर सेल करने की बिल्कुल न सोचें.
(नोट : हमने यहां म्यूचुअल फंड हाउस की रिपोर्ट के आधार पर जानकारी दी है. हालांकि जरूरी नहीं है कि पिछला प्रदर्शन आगे भी जारी रहे. बाजार में जोखिम होते हैं, इसलिए निवेश के पहले अपने स्तर पर एडवाइजर से सलाह लें.)