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बिहार की करीब 20 लाख महिलाओं के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार राज्य जीविका निधि साख सहकारी संघ की शुरूआत की. (Image: YT/@NarendraModi)
Bihar Rajya Jeevika Nidhi Saakh Sahkari Sangh Lanunched by PM Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बिहार राज्य जीविका निधि साख सहकारी संघ लिमिटेड (Bihar Rajya Jeevika Nidhi Saakh Sahkari Sangh Limited) की शुरुआत की. इस मौके पर पीएम ने संस्था के बैंक खाते में 105 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए. जीविका निधि क्या है और ये बिहार की महिलाओं को कैसे मदद पहुंचाएगी, यहां डिटेल देखें.
जीविका निधि साख सहकारी संघ क्या है?
जीविका निधि साख सहकारी संघ एक ऐसी पहल है, जिसके जरिए गांव-गांव में जीविका से जुड़ी बहनों यानी जीविका दीदीओं को आर्थिक सहायता और सपोर्ट दिया जाएगा. इससे वे जो काम करती हैं, जो व्यवसाय चलाती हैं, उसे और मजबूत कर सकेंगी. इसका पूरा सिस्टम डिजिटल है, जिससे किसी के पास जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और सभी काम फोन के माध्यम से आसानी से हो जाएंगे.
जीविका निधि का क्या है मकसद?
जीविका निधि का मकसद - स्वयं सहायता समूहों (SHGs) से जुड़ी ग्रामीण इलाकों की महिलाओं को कम ब्याज दर पर आसानी से लोन उपलब्ध कराना. अब तक ये महिलाएं छोटे-छोटे उद्यम खड़ा करने के लिए माइक्रोफाइनेंस इंस्टीट्यूशन्स (MFIs) से 18–24% तक ब्याज पर कर्ज लेने को मजबूर थीं. नई व्यवस्था उन्हें कम ब्याज और समय पर बड़े लोन उपलब्ध कराएगी.
इस संस्था के सदस्य सभी रजिस्टर्ड क्लस्टर-लेवल फेडरेशन होंगे, जबकि इसके संचालन के लिए बिहार सरकार और केंद्र सरकार दोनों फंडिंग देंगी. सिस्टम पूरी तरह डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर आधारित होगा, जिससे लोन की रकम सीधे महिलाओं के बैंक खातों में ट्रांसफर होगी. पारदर्शिता और सुविधा बढ़ाने के लिए 12,000 सामुदायिक कार्यकर्ताओं को टैबलेट भी दिए जा रहे हैं.
मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार तारीफ करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा - जीविका निधि से विकसित भारत का महत्वपूर्ण आधार है. उनकी मानना है कि महिलाओं को सशक्त बनाना आवश्यक है ताकि उनकी जिंदगी की हर कठिनाई दूर हो पाए. इसके लिए सरकार माताओं, बहनों और बेटियों के जीवन को आसान बनाने हेतु कई कार्यक्रम चला रही है.
सरकार महिलाओं की आमदनी बढ़ाने के लिए उन्हें लखपति दीदी, ड्रोन दीदी और बैंक सखी जैसी भूमिकाओं में भी प्रशिक्षित कर रही है. ये योजनाएं माताओं और बहनों की सेवा का एक बड़ा महायज्ञ हैं और भविष्य में इन्हें और भी तेज किया जाएगा.
पिछले कुछ सालों में जीविका से जुड़ी महिलाओं ने ग्रामीण एंटरप्रेन्योरशिप की नई तस्वीर पेश की है. उनसे कई लघु उद्यम और प्रोड्यूसर कंपनियां खड़ी हुई हैं. उम्मीद है कि यह पहल महिलाओं को महंगे कर्ज से छुटकारा दिलाकर, उन्हें और सशक्त बनाएगी.
फिलहाल, पूरे बिहार से करीब 20 लाख महिलाएं इस कार्यक्रम से जुड़ी हैं, जो आगे चलकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बड़ा बदलाव ला सकती हैं.