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Vishwakarma Scheme: पीएम विश्वकर्मा में छोटे कारीगरों शिल्पकारों को बड़े फायदे, सिर्फ 5% ब्याज पर 3 लाख का लोन, पहचान और भी बहुत कुछ

पीएम विश्वकर्मा योजना से अगस्त 2025 तक लगभग 30 लाख कारीगर जुड़ चुके हैं, जिनमें से 26 लाख की स्किल वेरिफिकेशन पूरी हो गई है और उनमें से 86% ने ट्रेनिंग भी पूरी कर ली है.

पीएम विश्वकर्मा योजना से अगस्त 2025 तक लगभग 30 लाख कारीगर जुड़ चुके हैं, जिनमें से 26 लाख की स्किल वेरिफिकेशन पूरी हो गई है और उनमें से 86% ने ट्रेनिंग भी पूरी कर ली है.

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Mithilesh Kumar
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PM Vishwakarma Scheme

भगवान विश्वकर्मा की जयंती के अवसर पर 17 सितंबर 2023 को पीएम विश्वकर्मा योजना की शुरुआत की गई थी. इस योजना पर सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 से 2027-28 के बीच 13,000 करोड़ रुपये का बजट तय कर रखा है.

PM Vishwakarma Scheme, PMVY: कल यानी 17 सितंबर को देशभर में भगवान विश्वकर्मा की जयंती पर मनाई जाएगी. यह दिन अपनी मेहनत, लगन और प्रतिभा से देश को आगे ले जा रहे सभी शिल्पकारों और रचनाकारों के लिए खास है. 2023 में इसी खास मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम विश्वकर्मा योजना की शुरूआत की. बीते 2 साल में करीब 30 लाख कारीगरों और दस्तकारों ने पीएम विश्वकर्मा योजना में रजिस्ट्रेशन कराया. इनमें से लगभग 26 लाख लोगों की स्किल वेरिफिकेशन हो चुकी है और उनमें से 86% यानी 22.67 लाख लोगों ने बेसिक ट्रेनिंग भी पूरी कर ली है.

कारीगरों और दस्तकारों की जिंदगी सुधारने के लिए शुरू इस योजना का रोज शहर और गांव दोनों जगहों के धंधों को बढ़ावा देने पर है. कारीगरों को विश्वकर्मा के रूप में पहचान मिल सके इसके लिए योजना में कारीगरों और दस्तकारों को स्किल ट्रेनिंग (Skill Training), अपडेटेड औजार (Modern Tools), बिना गारंटी के आसान कर्ज (Collateral-free Credit), डिजिटल ट्रांजैक्शन पर इनसेंटिव (Incentives), ब्रांड प्रमोशन और बाजार से जुड़ने का अवसर (Market Linkages) उपलब्ध कराया जाता है. जिससे कारीगरों को अपने काम की प्रोडक्टिविटी, क्वालिटी और कारोबार बढ़ाने में मदद मिलती है.

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योजना के लिए कौन है पात्र और कैसे करें अप्लाई

लाभार्थी को हाथों और औज़ारों से काम करने वाला कारीगर होना चाहिए.

वह योजना में बताई गई 18 पारंपरिक पारिवारिक धंधों में से किसी एक से जुड़ा हो.

अव्यवस्थित (unorganised) क्षेत्र या स्वरोज़गार के रूप में काम कर रहा हो.

रजिस्ट्रेशन की तारीख पर उसकी उम्र कम से कम 18 साल होनी चाहिए.

पिछले 5 सालों में किसी भी केंद्रीय/राज्य सरकार की इसी तरह की कर्ज़ आधारित योजना से लोन नहीं लिया हो.

योजना का लाभ एक ही परिवार के एक सदस्य को मिलेगा. (परिवार = पति, पत्नी और अविवाहित बच्चे)

लाभार्थी या उसका परिवार का सदस्य सरकारी नौकरी में न हो.

योजना में रजिस्ट्रेशन के लिए कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) के एजेंट कारीगरों को पोर्टल पर आधार-बायोमेट्रिक से दर्ज करते हैं.

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पीएम विश्वकर्मा योजना: छोटे कारीगरों के बड़े फायदे

यह योजना देशभर के छोटे कारीगरों को एक मंच पर लाकर उन्हें पहचान, सहारा और नई ताक़त देती है. इससे उनके पुराने हुनर और परंपराएँ आज की प्रतिस्पर्धा भरी दुनिया में भी कायम रह सकें.

औजारों की मदद (Toolkit Incentive)

सरकार कारीगरों को ₹15,000 का ई-वाउचर देती है ताकि वे अच्छे औज़ार खरीद सकें. साथ ही टूलकिट मैनुअल भी मिलता है, जिसमें ज़रूरी औज़ारों की लिस्ट दी होती है.

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सिर्फ 5% ब्याज पर 3 लाख का लोन  (Credit Support)

कारीगरों को बिना गारंटी के एंटरप्राइज़ डेवलपमेंट लोन दिया जाता है.

पहला लोन: ₹1 लाख, चुकाने की मियाद 18 महीने, शर्त – बेसिक ट्रेनिंग पूरी होनी चाहिए.

दूसरा लोन: ₹2 लाख, चुकाने की मियाद 30 महीने, शर्त – पहला लोन लिया हो और समय पर चुकाया हो, डिजिटल लेन-देन अपनाया हो या एडवांस ट्रेनिंग ली हो.

सरकार ब्याज़ में 8% की सब्सिडी देती है, जिससे कारीगरों के लिए लोन की असली लागत सिर्फ 5% ब्याज़ पर आती है.

डिजिटल इनाम (Digital Incentive)

हर डिजिटल लेन-देन पर ₹1 का इनाम दिया जाता है (ज़्यादा से ज़्यादा 100 लेन-देन प्रति माह). इससे कारीगर UPI/QR कोड से जुड़कर ज्यादा ग्राहक तक पहुँच सकते हैं और नकद पर निर्भरता घटती है.

पहचान (Recognition)

कारीगरों को पीएम विश्वकर्मा आईडी कार्ड और सर्टिफिकेट दिया जाता है. इससे उनके काम और धंधे को सरकारी मान्यता मिलती है.

हुनर बढ़ाना (Skill Upgradation)

कारीगरों को आधुनिक औज़ारों और मशीनों की जानकारी देने के लिए ट्रेनिंग कराई जाती है. हर प्रशिक्षु को ₹500 रोज़ाना भत्ता भी मिलता है.

मार्केटिंग सहारा (Marketing Support)

कारीगरों को मिलता है –

उनके सामान की क्वालिटी सर्टिफिकेशन

मेले, प्रदर्शनियों और ट्रेड शो से बाज़ार तक पहुँच

ब्रांडिंग और विज्ञापन

ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म (जैसे GeM) पर लिस्टिंग

उद्यमी पहचान (Entrepreneur Identity)

कारीगरों को उद्योग आधार प्लेटफॉर्म (Udyam Assist Platform) पर पंजीकृत किया जाता है. इससे उन्हें Udyam Registration Number और सर्टिफिकेट मिलता है, यानी वे आधिकारिक तौर पर उद्यमी (Entrepreneur) की श्रेणी में आ जाते हैं.

हुनर से सफलता तक, विश्वकर्मा योजना का असर

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना छोटे कारीगरों और दस्तकारों के लिए एक बड़ी उम्मीद बनकर सामने आई है. सरकार का दावा है कि सिर्फ 2 साल में ही यह योजना अपने 5 साल के लक्ष्य को छूने की राह पर है. 31 अगस्त 2025 तक लगभग 30 लाख कारीगर योजना से जुड़ चुके हैं, जिनमें से 26 लाख की स्किल वेरिफिकेशन पूरी हो गई है और उनमें से 86% ने ट्रेनिंग भी पूरी कर ली है.

कारीगरों को आधुनिक औजारों से लैस करने के लिए सरकार ने 23 लाख से ज्यादा ई-वाउचर (Toolkit Incentive) दिए हैं. वहीं कारोबार बढ़ाने के लिए 4.7 लाख से ज्यादा लोन मंजूर किए गए हैं, जिनकी कुल राशि करीब 41,188 करोड़ रुपये है.

यह योजना दक्षिण के कर्नाटक और आंध्र प्रदेश से लेकर पश्चिम के राजस्थान और महाराष्ट्र तक, देश के हर कोने तक पहुंची है. अलग-अलग पेशों जैसे राजमिस्त्री, दर्जी, फूलों की माला बनाने वाले, बढ़ई और मोची तक सभी को जोड़ा गया है. इनमें सबसे ज्यादा रजिस्ट्रेशन राजमिस्त्रियों के हुए हैं.

राज्यों और पेशों की झलक

टॉप पर कौन राज्यटॉप पर पेशा
कर्नाटकसबसे ज्यादा राजमिस्त्री
महाराष्ट्रदर्जी
मध्य प्रदेशमाला बनाने वाले
राजस्थानबढ़ई
आंध्र प्रदेशमोची

यूपी के वाराणसी निवासी अजय प्रकाश विश्वकर्मा बताते हैं कि पहले महंगे साहूकारों से 15-20% ब्याज पर लोन लेते थे, अब योजना से 5% ब्याज़ पर कर्ज़ मिला. आधुनिक औज़ार खरीदे, ट्रेनिंग ली और आज अपने धंधे में आगे बढ़ रहे हैं. अजय बढ़ई का काम करते हैं.

असम के नगांव की रहने वाली रशीदा खातून चटाई बनाने का काम करती है. वह अपने पति के साथ मिलकर काम करती हैं. वह बताती है कि उन्हें योजना से 1 लाख का लोन और 7 दिन की ट्रेनिंग मिली है. अब उनका कारोबार फैल रहा है और परिवार को स्थायी घर मिला है.

इसी बिहार के समस्तीपुर के रहने वाल सियाराम ठाकुर पेशे से नाई का काम करते हैं. सियाराम पिछले 30 साल से साइकिल पर घूमकर यह काम करते आ रहे हैं. योजना से आधुनिक सलून ट्रेनिंग और औजार मिले. अब अपनी दुकान है और रोजाना 500-1000 रुपये तक की कमाई हो रही है. पत्नी नूतन देवी कहती हैं कि अब बच्चों की पढ़ाई और घर चलाना आसान हो गया है.

यह योजना कारीगरों को उनकी पहचान देती है, हुनर निखारती है, आधुनिक औज़ार और आसान कर्ज़ दिलाती है, साथ ही मार्केट और डिजिटल दुनिया से भी जोड़ती है. इससे परंपरागत धंधे सिर्फ़ बच ही नहीं रहे, बल्कि कारीगर अब उद्यमी बनकर देश और दुनिया में अपनी जगह बना रहे हैं.

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