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Beware Property Buyers: घर खरीदने वालों सावधान! ठीक से चेक नहीं किया बेचने वाले का PAN तो होगा भारी नुकसान

TDS Rules for Property Buyers: अगर आप कोई प्रॉपर्टी खरीदने जा रहे हैं तो यहां दी गई जानकारी को गौर से पढ़ें, वरना आपको आगे चलकर भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है.

TDS Rules for Property Buyers: अगर आप कोई प्रॉपर्टी खरीदने जा रहे हैं तो यहां दी गई जानकारी को गौर से पढ़ें, वरना आपको आगे चलकर भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है.

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Viplav Rahi
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TDS Rules for property buyers: प्रॉपर्टी खरीदने वालों को टीडीएस कटौती से जुड़े नियमों की सही जानकारी होना बेहद जरूरी है. (Image : Pixabay)

Why property buyers should check seller’s PAN status properly: अगर आप फ्लैट, दुकान या ऐसी कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने जा रहे हैं, जिसकी कीमत 50 लाख रुपये या उससे ज्यादा है, तो यहां दी जा रही जानकारी आपको आगे चलकर भारी नुकसान होने से बचा सकती है. दरअसल, इनकम टैक्स के नियमों के मुताबिक अगर आप 50 लाख रुपये या उससे अधिक मूल्य की कोई प्रॉपर्टी खरीदने जा रहे हैं, तो पेमेंट करते समय बिक्री मूल्य की 1 प्रतिशत राशि TDS के तौर पर काटना और उसे सरकार के डिपॉजिट कराना आपकी जिम्मेदारी है. अगर आपने पहले कभी प्रॉपर्टी की खरीद-बिक्री की होगी तो हो सकता है यह नियम आपको मालूम हो. लेकिन इस नियम से जुड़ी एक और शर्त है, जिसके बारे में बहुत सारे लोगों को पता नहीं होता. इसकी वजह से कई बार प्रॉपर्टी खरीदने वालों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. लेकिन यहां दी जा रही जानकारी आपको ऐसे संभावित नुकसान से बचा सकती है.  

पेमेंट के समय TDS कटौती का क्या है नियम

इनकम टैक्स एक्ट के जिस सेक्शन 194 IA के मुताबिक 50 लाख रुपये या उससे ज्यादा वैल्यू की संपत्ति खरीदने वाले को प्रॉपर्टी की वैल्यू की 1 फीसदी रकम टीडीएस के तौर पर काटकर जमा करानी होती है. लेकिन खास बात ये है कि 1 फीसदी कटौती का नियम तभी लागू होता है, जब प्रॉपर्टी बेचने वाले का पैन नंबर वैलिड और एक्टिव हो. यानी टीडीएस काटकर जमा करने के लिए प्रॉपर्टी विक्रेता के जिस पैन नंबर का इस्तेमाल किया जा रहा है, वह पेमेंट के वक्त वैलिड और एक्टिव होना जरूरी है. अगर उस वक्त विक्रेता का पैन आधार से लिंक नहीं होने की वजह से या किसी भी और कारण से वैलिड नहीं है, तो 1 फीसदी टीडीएस कटौती काफी नहीं होगी. रूल्स के मुताबिक अगर खरीदार ने विक्रेता का पैन डिटेल नहीं दिया या विक्रेता का पैन पेमेंट के समय वैलिड नहीं पाया गया, तो टीडीएस कटौती 1 प्रतिशत से बढ़कर सीधे 20 प्रतिशत हो जाएगी. यह टीडीएस काटकर 30 दिन के भीतर जमा कराना प्रॉपर्टी के लिए भुगतान करने वाले यानी खरीदार की जिम्मेदारी है. टीडीएस जमा कराने के लिए फॉर्म 26QB का इस्तेमाल करना होता है. इसके बाद फॉर्म 16B हासिल करके विक्रेता को मुहैया कराना भी खरीदार की ही जिम्मेदारी है.

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बाद में पैन एक्टिवेट कराना काफी नहीं 

अगर आपने इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से नोटिस मिलने के बाद प्रॉपर्टी बेचने वाले से बात करके उसके पैन स्टेटस को वैलिड और एक्टिव करवा लिया, तो भी इससे आपको राहत नहीं मिलेगी. इसकी वजह ये है कि टीडीएस की देनदारी 1 फीसदी होगी या 20 फीसदी. इसका फैसला पेमेंट के वक्त प्रॉपर्टी सेलर के पैन स्टेटस से होता है. यानी पेमेंट के समय अगर सेलर का पैन इनएक्टिव या इनवैलिड है और बाद में ‘वैलिड’ हो जाता है, तो भी टीडीएस की देनदारी 20 फीसदी ही बनी रहेगी. आयकर नियमों के तहत अगर प्रॉपर्टी खरीदते समय टीडीएस काटकर पेमेंट करने की जिम्मेदारी खरीदार को दी गई है, तो विक्रेता के पैन स्टेटस की जांच करने का जिम्मा भी उसी का है.

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क्या हो सकता है कम TDS काटने का नतीजा?

अगर आपने 50 लाख रुपये या उससे ज्यादा कीमत वाली प्रॉपर्टी के लिए 1 फीसदी टीडीएस काटकर पेमेंट किया और बाद में पता चला कि प्रॉपर्टी सेलर का जो पैन नंबर आपने दिया था, वो भुगतान के समय वैलिड और एक्टिव नहीं था, तो आयकर विभाग आपको बाकी 19 फीसदी टीडीएस भरने के लिए नोटिस दे सकता है. आयकर विभाग के नोटिस में आपसे 19 फीसदी टीडीएस के साथ ही साथ बकाया रकम पर 1 फीसदी प्रति माह के हिसाब से ब्याज और पेनाल्टी देने की मांग भी की जा सकती है. जुर्माने की रकम बकाया टैक्स की रकम के बराबर हो सकती है. चूंकि आपको प्रॉपर्टी बेचने वाले ने वैलिड पैन नंबर नहीं दिया, लिहाजा आप उससे 19 फीसदी अतिरिक्त टीडीएस और उस पर लगने वाली पेनाल्टी का भुगतान करने को कह सकते हैं. लेकिन आयकर विभाग तो नोटिस आपको ही जारी करेगा. इस परेशानी से बचने का सही तरीका यही है कि आप प्रॉपर्टी के लिए पेमेंट करने से पहले न सिर्फ विक्रेता का पैन डिटेल हासिल कर लें, बल्कि यह भी चेक करें कि वो पैन नंबर उस वक्त वैलिड है या नहीं.

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