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EPF New Rule: प्रॉविडेंट फंड के नियम में हुआ बदलाव, पैसे निकालना होगा आसान, ऐसे कर सकते हैं क्लेम

EPF withdrawals: ईपीएफओ ने ऑटो क्लेम प्रोसेसिंग के नियमों में अहम बदलाव किया है, जिसे मेंबर्स के लिए कुछ खास कामों के लिए पैसे निकालना पहले से आसान हो गया है.

EPF withdrawals: ईपीएफओ ने ऑटो क्लेम प्रोसेसिंग के नियमों में अहम बदलाव किया है, जिसे मेंबर्स के लिए कुछ खास कामों के लिए पैसे निकालना पहले से आसान हो गया है.

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FE Hindi Desk
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EPFO rने ऑटो क्लेम्स प्रोसेसिंग से जुड़े नियमों में अहम बदलाव किया है. (File Photo : Financial Express)

EPFO rule change for auto claims processing: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने ऑटो क्लेम्स प्रोसेसिंग से जुड़े नियमों (EPF Withdrawal Rules) में अहम बदलाव किया है, जिसका फायदा उन तमाम लोगों को मिल सकता है, जो अपने प्रॉविडेंट फंड से पैसे निकालना चाहते हैं. दरअसल ईपीएफओ ने ऑटो क्लेम्स प्रोसेसिंग के लिए पैराग्राफ 68J के तहत क्लेम की क्वालीफाइंग लिमिट बढ़ा दी है. ईपीएफओ ने हाल ही में जारी एक सर्कुलर में बताया है कि ऑटो क्लेम्स प्रोसेसिंग की इस सीमा को अब 50,000 रुपये से बढ़ाकर 1 लाख रुपये कर दिया गया है. इतना ही नहीं, नई सीमा को अब एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर में भी लागू कर दिया गया है. यानी ईपीएफओ के सदस्य अब इस बदलाव का फायदा आसानी से ले सकते हैं. 

EPFO के सर्कुलर में क्या कहा गया है 

16 अप्रैल 2024 को जारी ईपीएफओ के सर्कुलर में बताया गया है कि पैरा 68J के तहत ऑटो क्लेम सेटलमेंट की सीमा को 50,000 रुपये से बढ़ाकर 1,00,000 रुपये तक करने की मंजूरी मिल गई है. इतना ही नहीं, इस बदलाव को एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर में 10 अप्रैल 2024 को अपडेट भी कर दिया गया है.

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पैराग्राफ 68-J के तहत क्लेम का क्या है मतलब

ईपीएफओ के सदस्य अपने और अपने आश्रितों के मेडिकल खर्चों के लिए ईपीएफ योजना के पैराग्राफ 68-J के तहत एडवांस के लिए आवेदन कर सकते हैं. पैराग्राफ 68-J के अनुसार, सदस्य कुछ खास परिस्थितियों में मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए फंड से एडवांस लेने के लिए अप्लाई कर सकते हैं. बीमारी के इलाज से जुड़ी इन खास परिस्थितियों में इनमें एक महीने या उससे अधिक समय तक अस्पताल में भर्ती होना, अस्पताल में बड़ी सर्जरी कराना, टीबी, लेप्रोसी, लकवा, कैंसर, मानसिक बीमारी या दिल की बीमारी जैसे कारण शामिल हैं. खास बात ये है कि पैराग्राफ 68-J के तहत एडवांस लेने के लिए किसी सदस्य को अब कोई प्रोफार्मा, मेडिकल सर्टिफिकेट या किसी और तरह का प्रमाण पत्र या दस्तावेज नहीं देना पड़ेगा. 

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शारीरिक रूप से दिव्यांग सदस्य भी अपनी मुश्किलों को कम करने के लिए पैराग्राफ 68-एन के तहत इक्विपमेंट खरीदने के मकसद से एडवांस के लिए एप्लीकेशन दे सकते हैं. ध्यान रहे कि इस नियम के तहत एडवांस लेने के लिए किसी लाइसेंस प्राप्त डॉक्टर या ईपीएफओ द्वारा नॉमिनेटेड अधिकारी से मेडिकल प्रमाण पत्र देना जरूरी.

कितना मिल सकता है एडवांस?

  • मेंबर का 6 महीने का मूल वेतन + महंगाई भत्ता

  • प्रॉविडेंट फंड में मेंबर का अपना कंट्रीब्यूशन + उस मिला ब्याज, 

  • और उपकरण की वास्तविक लागत. 

इन तीनों में से जो भी रकम सबसे कम होगी, पैरा 68-J और पैरा 68-N के तहत मिलने वाले एडवांस की अधिकतम राशि उतनी ही होगी.

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ऑनलाइन क्लेम की प्रक्रिया क्या है?

ऑनलाइन क्लेम करने के लिए इन स्टेप्स को पूरा करना होगा:

  • स्टेप 1 : यूएएन क्रेडेंशियल का उपयोग करके सदस्य इंटरफ़ेस में लॉगिन करें.
  • स्टेप 2 : यह चेक कर लें कि यूएएन के सामने दी गई केवाईसी की जानकारी और सर्विस एलिजिबिलिटी कंडीशन्स सही और पूरी तरह से दर्ज की गई हैं.
  • स्टेप 3 : सही क्लेम को सेलेक्ट करें.
  • स्टेप 4 : UIDAI के पास रजिस्टर्ड मोबाइल पर मिले OTP का इस्तेमाल करके ऑनलाइन क्लेम सबमिशन की प्रक्रिया को पूरा करें.

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EPFO से आंशिक निकासी 

ऊपर दी गई जानकारी मेडिकल एडवांस के लिए बारे में है, लेकिन इसके अलावा भी ईपीएफओ मेंबर को कुछ खास कामों के लिए आंशिक निकासी करने की इजाजत होती है. उदाहरण के तौर पर अपनी या अपने बच्चों की शादी, मेडिकल इमरजेंसी. घर खरीदना, होम लोन चुकाना या घर की मरम्मत कराना. यह ध्यान रखना जरूरी है कि इनमें से ज्यादातर मामलों में आंशिक निकासी के लिए ईपीएफ में सदस्य के नियमित कंट्रीब्यूशन की अवधि 5 से 7 साल तक होनी चाहिए.

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