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RBI MPC Meeting: रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक के बाद फैसलों की जानकारी देते गवर्नर शक्तिकांत दास. (Screenshot of Video Shared by RBI on X)
Reserve Bank of India Enhances UPI transaction limit for Specified Categories: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने नई मॉनेटरी पॉलिसी में यूपीआई (UPI) के जरिए होने वाले ट्रांजैक्शन यानी लेनदेन के मामले में एक बड़ा एलान किया है. यूपीआई के जरिए होने वाले सामान्य लेनदेन में भुगतान की अधिकतम सीमा फिलहाल 1 लाख रुपये है. लेकिन आरबीआई ने अस्पतालों और शैक्षिक संस्थानों को किए जाने वाले भुगतान के मामले में अब इस ट्रांजैक्शन लिमिट को बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया गया है. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांता दास ने शुक्रवार को मॉनेटरी पॉलिसी की समीक्षाका एलान करते समय इसकी जानकारी दी. रिजर्व बैंक के मुताबिक यूपीआई ट्रांजैक्शन लिमिट में यह इजाफा बयान में बताई गई स्पेसिफाइड कैटेगरी के लिए ही लागू होगा. यानी बाकी ट्रांजैक्शन पर वही लिमिट लागू रहेगी जो अब तक लागू थी.
रिजर्व बैंक के बयान में दी गई पूरी जानकारी
रिजर्व बैंक द्वारा रेगुलेटरी पॉलिसी के बारे में जारी बयान (Statement on Developmental and Regulatory Policies) में इस बदलाव की जानकारी देते हुए कहा गया है, "यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस या UPI की लोकप्रियता में लगातार बढ़ोतरी का सिलसिला जारी है. कुछ खास कैटेगरी को छोड़कर बाकी मामलों में यूपीआई के लिए ट्रांजैक्शन लिमिट अधिकतम 1 लाख रुपये की है. कैपिटल मार्केट्स से जुड़े AMC, ब्रोकिंग, म्यूचुअल फंड्स वगैरह को होने वाले भुगतान और क्रेडिट कार्ड पेमेंट, लोन रीपेमेंट, ईएमआई और इंश्योरेंस को होने वाले पेमेंट जैसी कुछ कैटेगरीज में ट्रांजैक्शन लिमिट 2 लाख रुपये है. इसके अलावा दिसंबर 2021 में रिटेल डायरेक्ट स्कीम और आईपीओ सब्सक्रिप्शन के लिए यूपीआई पेमेंट की ट्रांजैक्शन लिमिट बढ़ाकर 5 लाख रुपये की जा चुकी है. मेडिकल और एजुकेशनल सर्विसेज के लिए यूपीआई के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के मकसद से अस्पतालों और शैक्षिक संस्थानों को किए जाने वाले भुगतान के लिए ट्रांजैक्शन लिमिट को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये किया जा रहा है. इसके लिए जल्द ही अलग से दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे."
लोन ऑफर एग्रीगेटर्स के लिए रेगुलेटरी फ्रेमवर्क
रिजर्व बैंक ने कहा है कि अलग-अलग वित्तीय संस्थानों के लोन ऑफर्स को एक साथ एक इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म पर लाकर पेश करने वाले वेब एग्रीगेटर्स (Web Aggregators of Loan products - WALP) को रेगुलेट करने के लिए एक अलग फ्रेमवर्क जारी किया जाएगा. WALP का काम ग्राहकों को तमाम लोन ऑफर्स की तुलना करके बेस्ट ऑप्शन चुनने में मदद करना है. लेकिन ऐसी सेवाएं ऑफर करने वाले लेंडिंग सर्विस प्रोवाइडर्स (LSP) के कामकाज की निगरानी के लिए फिलहाल कोई अलग रेगुलेटरी फ्रेमवर्क मौजूद नहीं है. आरबीआई का नया रेगुलेटरी फ्रेमवर्क इस कमी को दूर करेगा. इस फ्रेमवर्क का मकसद WALP के कामकाज में पारदर्शिता लाना है, ताकि ग्राहक ज्यादा बेहतर ढंग से अपने हितों की सुरक्षा करते हुए सही फैसले कर पाएं. आरबीआई ने अपने बयान में बताया है कि इस बारे में विस्तृत गाइडलाइन अलग से जारी की जाएंगी. यह फ्रेमवर्क रिजर्व बैंक द्वारा अगस्त 2022 में गठित वर्किंग ग्रुप ऑन डिजिटल लेंडिंग (Working Group on Digital Lending) की सिफारिशों के आधार पर तैयार किया जा रहा है.