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MF Risk Factors: म्यूचुअल फंड में निवेश करने की सोच रहे हैं तो यहां कुछ जरूरी बातें बताई गई हैं जिसके बारे में आपको समझ लेनी चाहिए. (Image: Freepik)
Risks Associated with Mutual Funds: लंबी अवधि वाले वित्तीय लक्ष्यों को हासिल करने के लिए म्यूचुअल फंड एक शानदार विकल्प हो सकता है. यह खासकर उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो शेयर बाजार के बारे में ज्यादा नहीं जानते. इसका मैनेजमेंट पेशेवर वित्तीय प्रबंधकों द्वारा किया जाता है, जो निवेश के लिए उपयुक्त विकल्पों का चयन करते हैं.
म्यूचुअल फंड स्टॉक्स और बांड जैसी विभिन्न संपत्तियों में निवेश करते हैं, जिससे आपके निवेश का जोखिम कम होता है. आमतौर पर म्यूचुअल फंड सुरक्षित होते हैं, लेकिन यह कहना सही नहीं है कि इनमें कोई जोखिम नहीं होता. किसी फंड में अगर आप पैसे लगाने के सोच रहे हैं तो उससे जुड़े इन रिस्क फैक्टर्स को एक बार समझ लें.
शार्प रेशियो: जोखिम का आसान तरीका
शार्प रेशियो किसी फंड के जोखिम का जानने का एक आसान तरीका है जिससे आप निवेश फंड से जुड़े जोखिम को समझ सकते हैं. इस रेश्यो की मदद से आप विभिन्न फंडों की तुलना कर सकते हैं.शार्प रेशियो में, पहले फंड के रिटर्न से रिस्क-फ्री रिटर्न (जो बिना किसी जोखिम के मिलता है) को घटाया जाता है, और फिर इसे रिटर्न के मानक विचलन (जो रिटर्न में उतार-चढ़ाव को दिखाता है) से बांटा जाता है. इससे आपको पता चलता है कि एक फंड का प्रदर्शन कितना अच्छा है और उसमें कितना जोखिम है.
स्टैंडर्ड डेविएशन: अस्थिरता का माप
स्टैंडर्ड डेविएशन का उपयोग फंड की अस्थिरता को मापने के लिए किया जाता है. मान लीजिए, आपके पास दो फंड हैं:
फंड X: औसत वार्षिक रिटर्न 10%, स्टैंडर्ड डेविएशन 2%
फंड Y: औसत वार्षिक रिटर्न 10%, स्टैंडर्ड डेविएशन 5%
आपने दोनों फंडों में 1 लाख रुपये निवेश किए हैं.
फंड X: आपका निवेश 1.10 लाख रुपये तक बढ़ सकता है, लेकिन स्टैंडर्ड डेविएशन 2% के कारण आपका रिटर्न 1.08 लाख से 1.12 लाख रुपये के बीच हो सकता है.
फंड Y: आपका निवेश भी 1.10 लाख रुपये तक बढ़ सकता है, लेकिन स्टैंडर्ड डेविएशन 5% होने पर आपका रिटर्न 1.05 लाख से 1.15 लाख रुपये के बीच हो सकता है.
जैसा कि आप देख सकते हैं, फंड Y में अधिक अस्थिरता है, जिसका मतलब है कि आपका रिटर्न अधिक अनिश्चित हो सकता है. इसलिए, निवेश करने से पहले स्टैंडर्ड डेविएशन को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है.
बीटा: अस्थिरता का संकेतक
बीटा एक माप है जो बताता है कि फंड की सापेक्ष अस्थिरता कितनी है.
अगर बीटा 1 से ज्यादा है, तो इसका मतलब है कि फंड बाजार की तुलना में ज्यादा संवेदनशील है.
अगर बीटा 1 से कम है, तो इसका मतलब है कि फंड बाजार की तुलना में कम संवेदनशील है.
और अगर बीटा 1 पर है, तो इसका मतलब है कि फंड बाजार के साथ ही चलता है.
R-स्क्वायर: प्रदर्शन की सटीकता
R-स्क्वायर का उपयोग फंड के प्रदर्शन को मापने के लिए किया जाता है. यह आंकड़ा बताता है कि फंड का प्रदर्शन बाजार के साथ कितना जुड़ा हुआ है. उदाहरण के लिए, अगर किसी फंड का R-स्क्वायर 0.8 है, तो इसका मतलब है कि उसका प्रदर्शन बाजार के साथ 80% तक सटीकता से जुड़ा हुआ है.
इसके अलावा, म्यूचुअल फंड में निवेश से जुड़े रिस्क टाइप के बारे में समझते हैं.
म्यूचुअल फंड में निवेश से जुड़े जोखिमों के प्रकार
1. बाजार जोखिम (Market Risk)
एचडीएफसी बैंक के मुताबिक बाजार पर कई बाहरी कारक जैसे प्राकृतिक आपदाएं, मंदी, राजनीतिक बदलाव, ब्याज दरों में परिवर्तन, भू-राजनीतिक स्थिति और नीतियों में बदलाव असर डालते हैं. ये सभी कारक आपके निवेश पर मिलने वाले रिटर्न को प्रभावित कर सकते हैं.
2. संकेंद्रण जोखिम (Concentration Risk)
यह तब होता है जब आप अपने सभी निवेश एक ही जगह पर लगाते हैं. उदाहरण के लिए, अगर आप सारा पैसा एक ही सेक्टर (जैसे सेक्टर A) में लगाते हैं और वह सेक्टर मंदी में चला जाता है, तो आपको बड़ा नुकसान हो सकता है. विभिन्न सेक्टरों में निवेश करने से इस जोखिम को कम किया जा सकता है.
3. ब्याज दर का जोखिम (Interest Rate Risk)
ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव का असर डेब्ट म्यूचुअल फंड्स पर इक्विटी फंड्स की तुलना में ज्यादा होता है. जब ब्याज दरें बदलती हैं, तो इससे आपके पोर्टफोलियो में शामिल डेब्ट इंस्ट्रूमेंट्स पर असर पड़ता है और रिटर्न भी प्रभावित होता है.
4. महंगाई का जोखिम (Inflation Risk)
उच्च महंगाई आपके निवेश पर मिलने वाले वास्तविक रिटर्न को कम कर देती है. उदाहरण के लिए, यदि आपको 12% रिटर्न मिलता है और महंगाई की दर 6% है, तो आपका असली रिटर्न केवल 6% रह जाता है.
5. लिक्विडिटी जोखिम (Liquidity Risk)
कभी-कभी म्यूचुअल फंड अपनी कुछ प्रतिभूतियों को नहीं बेच पाता. इससे योजना को नुकसान होता है, जो सीधे आपके रिटर्न को प्रभावित करता है.
6. क्रेडिट जोखिम (Credit Risk)
यह तब होता है जब आपके म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो में शामिल बांड जारीकर्ता अपने वादे को पूरा नहीं करता. इस स्थिति में फंड का प्रदर्शन प्रभावित होता है और आपकी रिटर्न भी घट सकती है.
म्यूचुअल फंड में निवेश के जोखिम को कैसे कम करें?
1. विविधता लाना (Diversification)
अपने निवेश को विभिन्न सेक्टरों और विभिन्न प्रकार की संपत्तियों में फैलाएं. इससे आप किसी एक क्षेत्र के नुकसान से बच सकते हैं.
2. विशेषज्ञ सलाह लें (Expert Advice)
एक SEBI-मान्यता प्राप्त वित्तीय सलाहकार से सलाह लें जो आपके निवेश प्रोफाइल और वित्तीय लक्ष्यों के अनुसार एक अच्छा पोर्टफोलियो तैयार कर सके. बिना किसी सुनने-सुनाने या सोशल मीडिया की सलाह पर निर्णय न लें.
3. निवेश स्विच करें (Switch Investments)
जब आपके निवेश लक्ष्य पूरे हो जाएं, तो सुरक्षित विकल्पों की ओर स्विच करें. उदाहरण के लिए, यदि आपने अच्छे रिटर्न प्राप्त कर लिए हैं, तो इक्विटी एक्सपोजर कम करके डेब्ट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करें.
म्यूचुअल फंड निवेश बाजार के जोखिमों के अधीन होते हैं, लेकिन आप समझदारी से रणनीतियों और विशेषज्ञ सलाह से इन्हें कम कर सकते हैं. जोखिमों के बावजूद, म्यूचुअल फंड सुरक्षित निवेश उपकरणों में से एक हैं जो आपको अच्छे रिटर्न देते हैं. इसलिए, जोखिमों से डरकर म्यूचुअल फंड में निवेश करने से न चूकें; ये आपके जीवन और वित्तीय लक्ष्यों को हासिल करने में मदद करते हैं.