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SIP का टारगेट पूरा हो गया या बीच रास्ते में है? सेंसेक्स के 80 हजार पहुंचने पर क्या करें निवेशक

SIP Investors : एक्सपर्ट का कहना है कि एसआईपी कर रहे हैं तो बाजार की तेजी से घबराने की बजाय, एसआईपी में बने रहें. बल्कि बाजार में अगर गिरावट आती है तो और यूनिट खरीदें. यानी बाजार की गिरावट पर निवेश बढ़ा दें.

SIP Investors : एक्सपर्ट का कहना है कि एसआईपी कर रहे हैं तो बाजार की तेजी से घबराने की बजाय, एसआईपी में बने रहें. बल्कि बाजार में अगर गिरावट आती है तो और यूनिट खरीदें. यानी बाजार की गिरावट पर निवेश बढ़ा दें.

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Sushil Tripathi
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Long Term SIP : मौजूदा घरेलू मैक्रोज के आधार पर, निवेशकों को लंबी अवधि का लक्ष्य बनाकर इक्विटी में एसआईपी जारी रखना चाहिए. (Pixabay)

Mutual Funds Strategy : शेयर बाजार अपने रिकॉर्ड हाई पर है. 3 जुलाई को बीएसई बेंचमार्क सेंसेक्स ने पहली बार 80 हजार का लेवल ब्रेक किया. 12 दिसंबर 2023 को सेंसेक्स 70 हजार तक पहुंचा था, यानी 7 महीनों से कम समय में इसने 10 हजार अंकों की तेजी दिखाई है. वहीं 2 साल की बात करें तो सेंसेक्स 53 हजार से 27 हजार अंक बढ़कर 80 हजार के लेवल तक पहुंचा है. कोविड के समय की बात करें तो सेंसेक्स मार्च 2020 में 26 हजार के लेवल पर था. तबसे इसमें 54 हजार अंकों की तेजी आ चुकी है. सवाल यह है कि इक्विटी में इतनी बड़ी रैली रैली आने के बाद इक्विटी म्यूचुअल फंड निवेशकों को क्या करना चाहिए. एसआईपी भुना लें या अभी भी जारी रखें. 

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अवास्तविक नहीं है बाजार की तेजी

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कोटक सिक्योरिटीज के इक्विटी हेड, श्रीकांत चौहान का कहना है कि 4 साल पहले देखें तो मार्च 2020 में सेंसेक्स 26000 के लेवल के आस पास आ गया था, जो अब करीब 54000 अंक बढ़कर 80000 के पार है. यह अवास्तविक लगता जरूर है, लेकिन यह सच भी है. यह निवेशकों को भरोसा दिलाता है कि इक्विटी बाजारों ने लंबे समय में अच्छा प्रदर्शन किया है, हमें निवेश करते समय और उसके बाद भी धैर्य और आत्मविश्वास की आवश्यकता है. मौजूदा घरेलू मैक्रोज के आधार पर, निवेशकों को लंबी अवधि का लक्ष्य बनाकर इक्विटी में एसआईपी जारी रखना चाहिए. म्यूचुअल फंड स्ट्रैटेजीज, स्टॉक मार्केट में सीधे निवेश करने से अलग होती है. लंबी अवधि के निवेशक जिनके पास अच्छी तरह से डाइवर्सिफाइड पोर्टफोलियो हैं और एसआईपी के जरिए निवेश करते हैं, उन्हें लंबी अवधि तक निवेश को बनाए रखना चाहिए.

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बाजार कमजोर हो तो यूनिट खरीदें

बीपीएन फिनकैप के डायरेक्टर एके निगम का कहना है कि बाजार में रैली पहली बार नहीं है. रैली और फिर कंसोलिडेशन ये बाजार के नेचर में है. इसलिए बाजार भले ही 80 हजार के पार चला गया है, आगे भी इसमें तेजी आती रहेगी. इसलिए एसआईपी कर रहे हैं तो बाजार की तेजी से घबराने की बजाय, एसआईपी में बने रहें. बल्कि बाजार में अगर गिरावट आती है तो और यूनिट खरीदें. यानी बाजार की गिरावट पर निवेश बढ़ा दें. 

अगर आपके गोल पूरे हो गए

निगम का कहना है कि अगर आपके फाइनेंशियल गोल पूरे हो गए हैं तो आप इक्विटी से अपना पैसा किसी ज्यादा सुरक्षित विकल्प में शिफ्ट कर सकते हैं. इसे ऐसे समझ सकते हैं कि मान लिया आपने बच्चे के हायर एजुकेशन के लिए एसआईपी शुरू किया था. आपका लक्ष्य इसके जरिए 15 लाख जुटाने का था. अगर आपके एसआईपी की वैल्यू 15 लाख हो गई है या बिल्कुल इसके करीब है, तो आपको बाजार के इस वैल्युएशन पर अपना पैसा किसी सुरक्षित विकल्प में शिफ्ट करने की सलाह है. इससे लक्ष्य तक आपको एक भी पैसा नुकसान नहीं होगा. आप अपना पैसा एफडी या डेट विकल्पों में शिफ्ट कर सकते हैं.

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पहली बार के निवेशकों के लिए 

अगर आप बाजार में नए हैं तो आपको एसेट अलोकेशन स्ट्रैटेजी पर चलना होगा, जहां इक्विटी, डेट और गोल्ड का सही रेश्यो हो. इक्विटी में एक्सपोजर चाहते हैं तो अभी के दौर में लार्जकैप और मल्टी कैप फंड बेहतर विकल्प हैं. एसेट अलोकेशन अपनी उम्र और जोखिम लेने की क्षमता के आधार पर तय कर सकते हैं. 

रिस्क लेने की कितनी है क्षमता

अगर 21 से 40 साल की उम्र है और रिस्क ले सकते हैं तो इक्विटी में 80 फीसदी और डेट में 20 फीसदी अलोकेट रख सकते हैं. उम्र अगर 40 से 55 साल है तो मॉडरेट रिस्क कैटेगरी में आएंगे. ऐसे में आप इक्विटी और डेट में 60 और 40 फीसदी या 50 और 50 फीसदी रेश्यो तय कर सकते हैं. उम्र 55 साल से ज्यादा है यानी आप रिस्क लेने की क्षमता के आधार पर कन्जर्वेटिव इन्वेस्टर है, तो इक्विटी और डेट में एक्सपोजर 40 फीसदी और 60 फीसदी होना चाहिए. 

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