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SIP : आप लम्प सम या एसआईपी में से कौन सा तरीका चुनते हैं, यह आपकी कमाई (कैश फ्लो) और मौजूदा हालात पर निर्भर करेगा. (AI Generated)
SIP or One Time Investment : शेयर बाजार वोलेटाइल बना हुआ है. एक दिन तेजी तो अगले दिन बिकवाली. ऐसे में निवेशकों के मन में कनफ्यूजन हो सकता है कि अभी इक्विटी योजनाओं में निवेश का कौन सा तरीका बेहतर रहेगा. क्या एक बार में पैसे लगाएं (Lump Sum) या अभी थोड़ी थोड़ी रकम रेगुलर इंटरवल में निवेश (SIP) करें. इनमें से कौन सा तरीका सही काम करेगा.
सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी - SIP) एक सुविधा है, जिसके तहत आप हर महीने या हर 3 महीने पर खुद से चुनी गई डेट पर एक तय रकम म्यूचुअल फंड योजनाओं में निवेश करते हैं. आप जो फंड चुनते हैं, आपका पैसा उसी स्कीम में निवेश किया जाता है. चाहे आप एकमुश्त (लम्प सम) निवेश करें या एसआईपी के जरिए थोड़ी थोड़ी रकम निवेश करें, यह आपकी पसंद पर निर्भर करता है. अगर आप एक ही फंड में पैसा लगा रहे हैं, तो गौर करने वाली बात यह है कि निवेश का एक तरीका दूसरे से बेहतर कैसे हो सकता है?
पीजीआईएम इंडिया म्यूचुअल फंड के चीफ बिजनेस ऑफिसर, अभिषेक तिवारी का कहना है कि आप लम्प सम या एसआईपी में से कौन सा तरीका चुनते हैं, यह आपकी कमाई (कैश फ्लो) और मौजूदा हालात पर निर्भर करेगा. जिन लोगों की हर महीने एक तय इनकम होती है, उनके लिए एसआईपी बेहतर विकल्प रहता है, क्योंकि यह उनकी मंथली इनकम और खर्च के हिसाब से चलता है.
लेकिन अगर आपकी इनकम आय तय नहीं है (कभी ज्यादा, कभी कम), तो ऐसे में लम्प सम निवेश का बेहतर तरीका हो सकता है. अगर आपको अचानक बोनस, उपहार या अन्य किसी सोर्स से बड़ी धनराशि मिलती है, तो आप उस राशि को म्यूचुअल फंड स्कीम में एकमुश्त निवेश कर सकते हैं, भले ही उस फंड में आपकी एसआईपी पहले से चल रही हो.
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SIP : बाजार के हर साइकिल (तेजी और मंदी) में होता है निवेश
आप नियमित रूप से निवेश करते हैं, तो आप बाजार के उतार-चढ़ाव (तेजी और मंदी) दोनों स्थितियों में निवेश कर पाते हैं. इससे आप बाजार की छोटी अवधि की अस्थिरता का फायदा उठा पाते हैं. यह एक ऐसी सुविधा है जिसे आप किसी भी तरह के फंड में इस्तेमाल कर सकते हैं. उदाहरण के लिए अगर आप चाहें, तो आप लिक्विड फंड्स में एसआईपी के जरिए निवेश कर अपना इमरजेंसी फंड भी बना सकते हैं. इसके लिए बैंक में एकमुश्त राशि जमा होने की आवश्यकता नहीं होती.
एसआईपी (सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) नियमित निवेश की आदत बनाने का बेहतरीन तरीका या माध्यम है. यह आपके बैंक खाते में पड़े पैसों का सही उपयोग करने का एक अच्छा तरीका है, जिसे निवेश न करने की स्थिति में आप खर्च कर सकते थे. एसआईपी एक व्यवहारिक टूल है, जो हमें निवेश के प्रति अधिक अनुशासित और नियमित बनाता है.
SIP : लंबी अवधि में मिलेगा ज्यादा फायदा
अगर आप रेगुलर सैलरी पाने वाले कर्मचारी है, तो एसआईपी के कई फायदे हैं. अगर आप लम्प सम (एकमुश्त) और एसआईपी की तुलना रिटर्न के मामले में करें, तो लंबी अवधि में एसआईपी के साथ ही शुरू किया गया लम्प सम निवेश ज्यादा बेहतर दिखेगा, क्योंकि भारतीय इक्विटी मार्केट ज्यादातर ऊपर की ओर ही बढ़े हैं.
अंतर यह है कि लम्प सम शायद 10 साल पहले सिर्फ 1 लाख रुपये या 10 लाख रुपये का एक बार का निवेश रहा होगा. लेकिन एसआईपी करने से, आपने ज्यादा पैसा बचाया होगा और निवेश किया होगा, क्योंकि 10 साल तक हर महीने कुछ न कुछ निवेश हो रहा है. इसलिए, एसआईपी का सबसे बड़ा फायदा वास्तव में अनुशासित और नियमित निवेश का व्यवहार है.
आप अपनी एसआईपी को उतने सालों तक जारी रख सकते हैं, जितना आप चाहें. जिस फंड में आप निवेश कर रहे हैं, अगर वह अच्छा प्रदर्शन करता रहे, तो उसे बदलने या रोकने की कोई आवश्यकता नहीं है.
SIP : समय समय पर कर सकते हैं टॉप-अप
म्यूचुअल फंड में निवेश का एक फायदा यह है कि आप अपनी जरूरत के अनुसार कुछ राशि निकाल सकते हैं और बाकी निवेश को जारी रख सकते हैं. यह सुविधा आपको अपने लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करती है.
अगर आप हर साल अपनी एसआईपी अमाउंट बढ़ाना चाहते हैं, तो आप अपने मौजूदा फंड में ही एसआईपी टॉप के जरिए अमाउंट बढ़ा सकते हैं. इसके लिए नया फंड जोड़ने की जरूरत नहीं होती.
एक समझदारी भरा तरीका यह है कि अपने हर तय किए गए लक्ष्य के लिए अलग-अलग एसआईपी रखें. इससे आपको यह पता रहेगा कि कौन-सी एसआईपी से पैसे निकालने हैं, जब आपका कोई खास लक्ष्य पूरा होने के करीब हो.
SIP : 5 बड़े फायदे
1. एसआईपी ऑटोमैटिक होता है, इसलिए यह आपके बैंक खाते के पैसों का सही उपयोग करने का एक अच्छा तरीका है, जिसे आप खर्च कर सकते थे.
2. जिन एसेट क्लास में ज्यादा उतार-चढ़ाव होता है (जैसे शेयर बाजार), उनमें एसआईपी के जरिए रेगुलर अंतराल पर थोड़ी थोड़ी रकम निवेश करना (SIP) बेहतर होता है. वहीं, स्थिर रिटर्न देने वाले एसेट क्लास (जैसे डेट फंड) के लिए, अगर आपके पास पैसा है, तो एकमुश्त (लम्प सम) निवेश भी अच्छा काम कर सकता है.
3. एसआईपी का इस्तेमाल किसी भी लक्ष्य के लिए किया जा सकता है, चाहे वह शॉर्ट टर्म के लिए हो या लॉन्ग टर्म के लिए.
4. हर लक्ष्य के लिए अलग-अलग एसआईपी रखें, ताकि जब कोई लक्ष्य पूरा होने के करीब हो, तो आपको पता हो कि किस एसआईपी से पैसा निकालना है.
5. अगर आप इक्विटी फंड्स में एसआईपी करते हैं और निवेश की अवधि 10 साल या उससे ज्यादा हो, तो निगेटिव रिटर्न मिलने की संभावना बहुत कम होती है.