/financial-express-hindi/media/media_files/3assW9RRQrfsUkrSqfLB.jpg)
Mutual Fund SIP: एसआईपी एक ऐसी सुविधा है जो निवेशकों को नियमित अंतराल पर एक निश्चित रकम म्यूचुअल फंड में निवेश करने की अनुमति देती है.
Mutual Fund SIP, NPS, SCSS or PPF: रिटायरमेंट प्लान तब बहुत जरूरी हो जाती है जब एक उम्र के बाद यानी बुढ़ापे में रेगुलर आमदनी के जरिया नहीं होता है. नौकरीपेशा वाले लोग आमतौर पर रिटायरमेंट के लिए सरकारी स्कीम्स, सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIPs जैसे विकल्पों पर विचार करते हैं. सबसे बड़ी चुनौती तब आती है जब किसी इंसान के पास रिटायरमेंट के लिए सीमित पैसे होते हैं और वह सरकारी स्कीम्स और शेयर बाजार, दोनों में से किस विकल्प में पैसे लगाए इसे लेकर कन्फ्यूज हो जाता है. इस स्थिति में सबसे अच्छी रणनीति यह हो सकती है कि आप उस दौरान मिलने वाले संभावित रिटर्न के बारे में जान लें, जिसमें आप अपनी सेविंग लगाना चाहते हैं.
मिसाल के लिए अगर आप किसी सरकारी स्कीम में निवेश करना चाहते हैं, तो उसमें मिलने वाले ब्याज दर की जानकारी हासिल कर सकते हैं. साथ ही आप इस भी पहलु को समझ सकते है कि सरकारी स्कीम में पैसा लगाने पर अगले 10 से 20 सालों में कितनी मैच्योरिटी वैल्यू होगी. इसी तरह, आप उस म्यूचुअल फंड के औसत रिटर्न की जांच कर सकते हैं जिसमें आप निवेश करना चाहते हैं और उसके अनुसार निवेश करने के बारे में फैसला ले सकते. सरकारी स्कीम और SIP, दोनों में से कौन सा निवेश विकल्प बेहतर होगा यहां दिए पहलुओं के बारे में समझकर फैसला ले सकते हैं.
एसआईपी के माध्यम से निवेश
एसआईपी निवेशकों को नियमित रूप से म्यूचुअल फंड में एक निश्चित रकम निवेश करने में सक्षम बनाता है. यह विकल्प लोगों में बचत करने की आदत को बढ़ावा देता है. बैंकबाजार डॉट कॉम के सीईओ आदिल शेट्टी कहते हैं कि एसआईपी में मार्केट रिस्क होता हैं, लेकिन इसने बीते कुछ सालों में सालाना 12% से 15% के बीच रिटर्न दिया है. हालांकि ये रिटर्न गारंटीड नहीं हैं, लेकिन इस निवेश विकल्प में महंगाई दर का सामना करने और बड़ा फंड जुटाने में मददगार साबित हो सकता है.
आइए अब एक नजर सरकारी स्कीम पर डालते हैं.
सरकारी स्कीम्स
नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS)
एनपीएस एक सरकारी विनियमित सेवानिवृत्ति बचत योजना है जिसमें प्रबंधन लागत कम है. यह एक मार्केट लिंक्ड स्कीम है. इसमें आमतौर पर 8% से 10% के बीच रिटर्न मिल सकता है. NPS में निवेश करने वाले लोग इनकम टैक्स की धारा 80C और 80सीसीडी(1) के तहत कुल 2 लाख रुपये तक टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं. स्कीम में रिटयरमेंट के समय पार्शियल एन्युइटी खरीदना जरूरी है, जिससे रिटायरमें के बाद एक स्थिर आय सुनिश्चित होती है.
सीनियर सिटिजन सेविंग स्कीम (SCSS)
एससीएसएस विशेष रूप से 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए डिज़ाइन किया गया है. यह 8.20% प्रति वर्ष की निश्चित ब्याज दर प्रदान करता है, जिसकी अवधि पाँच वर्ष है, जिसे तीन वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है. अर्जित ब्याज निवेशक की आय स्लैब के अनुसार कर योग्य है, लेकिन यह योजना एक सुरक्षित और अनुमानित रिटर्न प्रदान करती है.
पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF)
पीपीएफ एक दीर्घकालिक निवेश विकल्प है जिसमें 15 साल की लॉक-इन अवधि होती है. वर्तमान में यह 7.10% प्रति वर्ष की ब्याज दर प्रदान करता है. पीपीएफ में योगदान धारा 80 सी के तहत कर कटौती के लिए पात्र हैं, और रिटर्न पूरी तरह से कर-मुक्त हैं. यह योजना अपनी सुरक्षा और कर लाभों के लिए लोकप्रिय है.
किस निवेश विकल्प में कितना मिलेगा रिटर्न, कैलकुलेशन से समझिए
आइए प्रत्येक विकल्प में 20 सालों तक मासिक 10,000 रुपये निवेश करने के संभावित परिणामों की तुलना करें.
एसआईपी
10% का औसत वार्षिक रिटर्न मानते हुए, आपका निवेश लगभग 76 लाख हो जाएगा.
एनपीएस
9% के औसत रिटर्न के साथ, यह धनराशि लगभग 66 लाख हो जाएगी.
पीपीएफ
7.10% ब्याज दर पर कुल धनराशि लगभग 52 रुपये लाख होगी.
एसआईपी से उच्च रिटर्न की संभावना होती है, हालांकि बाजार जोखिम के साथ. दूसरी ओर, एनपीएस और पीपीएफ जैसी सरकारी योजनाएं स्थिर, अनुमानित रिटर्न और कर लाभ प्रदान करती हैं, जो उन्हें जोखिम से बचने वाले निवेशकों के लिए उपयुक्त बनाती हैं. एक संतुलित रिटायरमेंट पोर्टफोलियो में एसआईपी और सरकारी योजनाएं दोनों को शामिल किया जा सकता है, जो व्यक्तिगत वित्तीय लक्ष्यों और जोखिम सहनशीलता के अनुरूप हो. इसलिए, आप उपयुक्त वित्तीय लक्ष्यों और जरूरतों के आधार पर अपना रिटायरमेंट पोर्टफोलियो बना सकते हैं.
(Credit : Sanjeev Sinha)