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Small Cap Funds Return: स्मॉल-कैप म्यूचुअल फंड प्रमुख रूप से 5,000 करोड़ रुपये से कम मार्केट कैपिटलाइजेशन वाली कंपनियों के शेयरों में निवेश करते हैं. (Pixabay)
Small Cap Mutual Funds: नवंबर में इक्विटी म्यूचुअल फंड (equity-mutual-funds) को लेकर निवेशक भले ही कुछ सतर्क रहे हों, लेकिन स्मॉलकैप फंड (smallcap funds) कैटेगरी पर भरोसा बना हुआ है. इक्विटी सेग्मेंट की इस कैटेगरी में फ्लो मजबूत बना हुआ है. मजबूत और लगातार फ्लो और बाजार की फेवरेबल परिस्थितियों की वजह से नवंबर के अंत में स्मॉलकैप म्यूचुअल फंड कैटेगरी का एसेट बेस सालाना आधार पर 69 फीसदी बढ़कर 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है. एम्फी के आंकड़ों के मुताबिक इस साल यानी 2023 में नवंबर तक स्मॉलकैप फंड योजनाओं में 37,178 करोड़ का निवेश आया है, जबकि लार्जकैप से इस दौरान 2688 करोड़ रुपये की निकासी देखी गई है.
क्या हैं स्मॉल कैप फंड
स्मॉल-कैप म्यूचुअल फंड प्रमुख रूप से 5,000 करोड़ रुपये से कम मार्केट कैपिटलाइजेशन वाली कंपनियों के शेयरों में निवेश करते हैं. यह इक्विटी म्यूचुअल फंड की एक सब-कैटेगरी है और इनका प्रदर्शन बाजार के उतार-चढ़ाव से प्रभावित होता है. स्मॉल कैप कंपनियों में बाजार में गिरावट के दौरान अधिक अस्थिरता यानी वोलैटिलिटी दिखती है. हालांकि बेस्ट स्मॉल-कैप म्यूचुअल फंड में लंबी अवधि में हाई रिटर्न देने की क्षमता होती है. स्मॉल-कैप फंड में, फंड मैनेजर पोर्टफोलियो का कम से कम 65 फीसदी स्मॉल-कैप शेयरों में निवेश करता है.
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स्मॉलकैप में क्यों हो रहा है इतना निवेश
स्मॉलकैप में इस साल की रैली छोड़ दें तो लंबे समय तक इंडेक्स ने अंडरपरफॉर्म किया था. जिसके चलते स्मॉलकैप का वैल्यूएशन आकर्षक स्तरों पर था. दूसरा ग्लोबल स्तर पर भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत दिख रही है. रेटिंग एजेंसियां भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर पॉजिटिव हैं. वहीं दुनियाभर के बाजारों की तुलना में भारतीय बाजार में स्टेबिलिटी और फ्लेक्सिबिलिटी है. इसीलिए घरेलू के साथ साथ विदेशी निवेशकों का भरोसा भारत की ग्रोथ स्टोरी पर बना हुआ है. वे इसी ग्रोथ के भागीदार बनने के लिए मिडकैप और स्मॉलकैप में पैसे डाल रहे हैं. क्योंकि लार्जकैप में बेहतर रिजल्ट नहीं आ रहे.
1 साल में बेस्ट रिटर्न वाले 10 फंड
Axis Nifty Smallcap 50 Index: 50 फीसदी
ABSL Nifty Smallcap 50 Index: 50 फीसदी
Bandhan Small Cap: 46.50 फीसदी
ITI Small Cap: 46.46 फीसदी
Franklin Ind Smaller Companies: 45.77 फीसदी
Quant Small Cap: 42.56 फीसदी
Nippon Ind Small Cap: 42.29 फीसदी
HSBC Small Cap: 42.28 फीसदी
Sundaram Small Cap: 40.43 फीसदी
Motilal Oswal Nifty Smallcap 250: 39.86 फीसदी
(सोर्स: वैल्यू रिसर्च)
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किन्हें करना चाहिए निवेश
एग्रेसिव इन्वेस्टर्स जो हाई रिटर्न के लिए रिस्क लेने को तैयार हैं, वे स्मॉल कैप फंडों में निवेश करते हैं. यानी अगर आप बाजार का रिस्क लेने की क्षमता है तो स्मॉल कैप कैटेगरी में निवेश करने पर विचार कर सकते हैं. स्मॉलकैप की तुलना में लार्जकैप में स्टेबिलिटी होती है और वे बाजार के उतार चढ़ाव का अच्छे से सामना कर सकते हैं. लेकिन वोलेटिलिटी के दौरान स्मॉलकैप ज्यादा अस्थिर होते हैं. लेकिन जब मजबूत घरेलू मैक्रो कंडीशंस में बाजार बेहतर प्रदर्शन कर रहा होता है तो स्मॉलकैप में हाई रिटर्न मिलने की उम्मीद ज्यादा होती है. इन फंडों में ग्रोथ की अपार संभावनाएं हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि स्मॉल-कैप कंपनियों के पास एग्रेसिव एक्सपेंशन स्ट्रैटेजी होती है जो उनकी ग्रोथ को खासतौर से लंबी अवधि में काफी हद तक बढ़ावा दे सकती है.
टैक्स के क्या हैं नियम
अगर बेची गई यूनिट का होल्डिंग पीरियड 1 साल से कम है, तो शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स पर 15 फीसदी टैक्स लगाया जाता है, भले ही प्राप्त राशि कुछ भी हो. अगर होल्डिंग पीरियड 1 साल से अधिक है तो 1 लाख रुपये से अधिक के लाभ पर 10 फीसदी का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स लागू होता है. दूसरी ओर, अगर कम्युलेटिव कैपिटल गेंस एक वित्त वर्ष के लिए 1 लाख रुपये के भीतर है, तो यह टैक्स-फ्री है.