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Tax Change for Property Investment : वित्त मंत्री ने बजट में प्रॉपर्टी पर इंडेक्सेशन बेनिफिट खत्म कर दिया है. (Image : Financial Express)
Income Tax Department claims indexation benefit removal good for most taxpayers: नए बजट के जरिये लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) टैक्स से जुड़े नियमों में हुए बदलाव से प्रॉपर्टी में निवेश करने वालों में खलबली मची हुई है. आम तौर पर लोग सबसे ज्यादा परेशान इस बात से हैं कि सरकार ने प्रॉपर्टी की बिक्री करते समय उस पर मिलने वाले इंडेक्सेशन बेनिफिट को तत्काल प्रभाव से खत्म कर दिया है. हालांकि इसके साथ ही प्रॉपर्टी पर LTCG टैक्स को 20 फीसदी से घटाकर 12.5 फीसदी भी कर दिया गया है, फिर भी प्रॉपर्टी ओनर्स या इनवेस्टर्स को लग रहा है कि इंडेक्सेशन बेनिफिट नहीं मिलने पर उन्हें अपनी बरसों पुरानी प्रॉपर्टी को बेचने पर पहले की तुलना में ज्यादा टैक्स चुकाना पड़ेगा. लेकिन अब इनकम टैक्स विभाग ने सोशल मीडिया के जरिए इस मसले पर सफाई देते हुए दावा किया है कि नए नियमों से ज्यादातर लोगों को नुकसान नहीं, बल्कि फायदा ही होगा. साथ ही अपने दावे को मजबूती देने के लिए टैक्स कैलकुलेशन के कुछ काल्पनिक उदाहरण भी दिए हैं.
इनकम टैक्स विभाग की सफाई
इनकम टैक्स विभाग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक के बाद एक कई पोस्ट डालकर इस मसले पर सफाई दी है. इसके लिए प्रॉपर्टी की बिक्री पर पुराने और नए नियमों के हिसाब से बनने वाली टैक्स देनदारी के काल्पनिक उदाहरण देकर भी अपना पक्ष रखने की कोशिश की है. कुल मिलाकर आयकर विभाग का कहना यही है कि अधिकांश करदाताओं को नए नियमों की वजह से प्रॉपर्टी बेचते समय कोई नुकसान नहीं बल्कि फायदा ही होगा. अपने सोशल मीडिया पोस्ट में विभाग ने लिखा है,
"टैक्स रेट को इंडेक्सेशन के साथ 20% से घटाकर बिना इंडेक्सेशन के 12.5% करने का रियल एस्टेट में फायदा :
- लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स की दर को इंडेक्सेशन के साथ 20% से घटाकर बिना इंडेक्सेशन के 12.5% करने से रियल एस्टेट से जुड़े तकरीबन सभी मामलों में फायदा होगा.
- रियल एस्टेट के मामले में सालाना नॉमिनल रिटर्न्स आम तौर पर 12 से 16 फीसदी रहते हैं, जो महंगाई दर (inflation) से काफी अधिक हैं. वहीं इंफ्लेशन के लिए इंडेक्सेशन 4-5 फीसदी के दायरे में रहता है, जो होल्डिंग पीरियड पर निर्भर है. इसलिए ज्यादातर टैक्सपेयर्स को टैक्स देनदारी के मामले में भारी बचत होने की उम्मीद है.
- दोनों स्थितियों में टैक्स देनदारी के अंतर को स्पष्ट करने के लिए यहां कुछ उदाहरण भी दिए गए हैं."
इनकम टैक्स विभाग के काल्पनिक उदाहरण
इनकम टैक्स विभाग ने प्रॉपर्टी पर लागू LTCG टैक्स के नए नियम को सही साबित करने के लिए कुछ काल्पनिक उदाहरण भी दिए हैं. इन उदाहरणों में 100 रुपये के खरीद मूल्य वाली काल्पनिक प्रॉपर्टी की 5 साल, 10 साल और 15 साल बाद काल्पनिक कीमत, काल्पनिक सालाना रिटर्न और काल्पनिक बिक्री मूल्य का टेबल दिया गया है. इन काल्पनिक कीमतों और रिटर्न के आधार पर इनकम टैक्स विभाग ने पुराने और नए नियमों के तहत टैक्स देनदारी के कैलकुलेशन भी दिए हैं.
✅Nominal real estate returns are generally in the region of 12-16 per cent per annum, much higher than inflation. The indexation for inflation is in the region of 4-5 per cent, depending on the period of holding. Therefore, substantial tax savings are expected to a vast majority… pic.twitter.com/gjgCqdfAV4
— Income Tax India (@IncomeTaxIndia) July 24, 2024
काल्पनिक उदाहरणों के आधार पर विभाग के दावे
इनकम टैक्स विभाग ने प्रॉपर्टी पर दीर्घकालिक रिटर्न और गेन्स के काल्पनिक उदाहरणों पर आधारित कैलकुलेशन देने के बाद उनकी बुनियाद पर कुछ दिलचस्प दावे भी किए हैं. विभाग का दावा है:
- "बिना इंडेक्सेशन वाले नए टैक्स रेट अधिकांश मामलों में फायदेमंद हैं. अगर कोई प्रॉपर्टी 5 साल तक होल्ड की जाती हैं और इस दौरान उसकी कीमत 1.7 गुना या उससे अधिक बढ़ जाती है, तो नई दर फायदेमंद है.
- अगर कोई प्रॉपर्टी 10 साल तक होल्ड की जाती और इस दौरान उसकी वैल्यू में 2.4 गुना या उससे ज्यादा का इजाफा हो जाता है, तो भी टैक्स की नई दर फायदेमंद है.
- अगर कोई प्रॉपर्टी 2009-10 में (यानी 15 साल पहले) खरीदी गई है और उसकी वैल्यू में 4.9 गुना बढ़ोतरी हो जाती है, तो भी नया टैक्स फायदेमंद है."
इनकम टैक्स विभाग ने आगे दावा किया है, "ऊपर दिए उदाहरणों से साफ है कि टैक्स की पुरानी दर सिर्फ उन्हीं मामलों में फायदेमंद है, जब प्रॉपर्टी पर रिटर्न सालाना 9-11 फीसदी से भी कम है, लेकिन रियल एस्टेट में इतने कम रिटर्न अवास्तविक और दुर्लभ (unrealistic and rare) हैं." यानी विभाग का कहना है कि अगर प्रॉपर्टी पर औसत सालाना रिटर्न 9-11 फीसदी से कम है,तभी टैक्स के नए नियमों से नुकसान होगा, वरना नहीं.
टैक्स ढांचे को सरल बनाने से होता है फायदा : आयकर विभाग
इनकम टैक्स विभाग ने यह भी कहा है कि अगर 50 लाख रुपये तक के कैपिटल गेन को 54EC बॉन्ड्स में या 10 करोड़ रुपये की सीमा के भीतर घर खरीदने या बनाने के लिए निवेश किया जाता है, तो उस पर कुछ शर्तों के तहत टैक्स नहीं देना पड़ेगा. विभाग ने नए टैक्स प्रावधान का फायदा गिनाते हुए कहा है कि "किसी भी टैक्स ढांचे को सरल बनाने से उसका पालन करना, मसलन, कंप्यूटेशन फाइलिंग करना और रिकॉर्ड रखना आसान हो जाता है. इससे अलग-अलग एसेट क्लास के लिए अलग-अलग रेट भी खत्म हो जाते हैं." आयकर विभाग ने स्पष्टीकरण जारी करके लोगों की चिंताएं दूर करने की कोशिश की है, लेकिन इसी सोशल मीडिया पोस्ट पर आ रही प्रतिक्रियाओं को देखकर लगता है कि यह काम इतना आसान नही होगा.