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Tax Free Bond : टैक्स फ्री बॉन्ड में कैसे करते हैं रिटर्न का कैलकुलेशन, कूपन रेट और यील्ड का समझें गणित

Tax Free Bonds : टैक्स फ्री बॉन्‍ड एक तरह का फिक्स्ड इनकम विकल्प है, जहां मिलने वाला ब्याज टैक्स फ्री होता है. ये बॉन्‍ड आमतौर पर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों या सरकार के समर्थन से चलने वाली कंपनियों द्वारा जारी किए जाते हैं.

Tax Free Bonds : टैक्स फ्री बॉन्‍ड एक तरह का फिक्स्ड इनकम विकल्प है, जहां मिलने वाला ब्याज टैक्स फ्री होता है. ये बॉन्‍ड आमतौर पर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों या सरकार के समर्थन से चलने वाली कंपनियों द्वारा जारी किए जाते हैं.

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Sushil Tripathi
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Yield and Coupon Rates in Tax Free Bonds

Bond Yield Rate : किसी बांड के लिए कूपन रेट वह ब्याज दर है जो वह सालाना भुगतान करता है, जबकि इसकी यील्ड उस बॉन्ड के लिए रिटर्न की दर है. (Pixabay)

Return in Tax Free Bonds : टैक्स फ्री बॉन्‍ड भी एक तरह का फिक्स्ड इनकम विकल्प है, जहां मिलने वाला ब्याज टैक्स फ्री होता है. यह एक तरह का डेट इन्‍वेस्‍टमेंट है. ये बॉन्‍ड आमतौर पर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों या सरकार के समर्थन से चलने वाली कंपनियों द्वारा जारी किए जाते हैं. इनमें एनटीपीसी, एनएचपीसी, इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी लिमिटेड (IIFCL), नेशनल हाईवे अथॉरिटी आफ इंडिया (NHAI), हाउसिंग एंड अर्बन डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड (HUDCO), इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड (IRFC), पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड (PFC), REC, NABARD जैसी कंपनियां शामिल हैं.

क्यों जारी किए जाते हैं टैक्स फ्री बॉन्ड

इन्हें जारी करने के पीछे उद्देश्य एक निश्चित समय अवधि के लिए किसी खास वजह के लिए फंड जुटाना होता है. इनमें  कंपनियों को जब अपने बिजनेस के विस्तार के लिए पैसों की जरूरत होती है तो वे एक फिक्‍स्‍ड कूपन रेट पर इस तरह के बॉन्‍ड जारी करती हैं. यानी इनमें रिटर्न मिलने की गारंटी होती है. ये बॉन्‍ड शेयर बाजार में लिस्‍ट होते हैं और इनसे मिलने वाले रिटर्न पर टैक्स नहीं लगता है. इनपर कूपन रेट दिया होता है. हालांकि मैच्योरिटी पर यील्ड कूपन रेट से अलग हो सकता है.

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टैक्स फ्री बॉन्ड में कैसे कैलकुलेट होता है यील्ड

परचेज प्राइज: 10,000 रुपये
कूपन रेट: 7%
फेस वैल्यू: 10,000 रुपये
होल्डिंग पीरियड: 5 साल

यहां परचेज प्राइस 10,000 रुपये है, जिस पर कूपर रेट 7 फीसदी है. इस लिहाज से सालाना ब्याज 700 रुपये होगा. यहां यील्ड कैलकुलेट करने के लिए एनुअल इंटरेसट को परचेज प्राइस से डिवाइड करना होगा और फिर 100 से मल्टीप्लाई करना होगा. 

यील्ड (%) = (सालाना ब्याज / परचेज प्राइस * 100)
         = (700 / 10,000) * 100 = 7)

यानी यील्ड 7% होगा. 

किसी बांड के लिए कूपन रेट वह ब्याज दर है जो वह सालाना भुगतान करता है, जबकि इसकी यील्ड उस बॉन्ड के लिए रिटर्न की दर है. इस तरह से 7% की कूपन रेट के साथ 10,000 रुपये का बॉन्ड सालाना 700 रुपये का ब्याज देता है. 

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यील्ड में क्यों आता है अंतर

जबकि किसी बांड की यील्ड को कुछ अलग-अलग तरीकों से कैलकुलेट किया जा सेकता है. वर्तमान यील्ड, कूपन रेट की तुलना बॉन्ड के मौजूदा मार्केट प्राइस से करती है. इसलिए, अगर 7% कूपन रेट वाला 10,000 रुपये का बॉन्ड 10,000 रुपये में बिकता है, तो वर्तमान यील्ड भी 7% है. हालांकि, क्योंकि बॉन्ड के मार्केट प्राइस में उतार-चढ़ाव हो सकता है, इस बॉन्ड को 10,000 रुपये से ज्यादा या कम कीमत पर खरीदना संभव हो सकता है. यदि यही बांड 8000 रुपये में खरीदा जाता है, तो वर्तमान उपज 8 फीसदी से अधिक हो जाती है. वहीं अगर ज्यादा कीमत में खरीदा जाता है तो यील्ड में कमी आती है. 

कितने तरह के बॉन्ड

इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड
हाउसिंग बॉन्ड
पावर बॉन्ड
रेलवे बॉन्ड
पब्लिक सेक्टर यूनिट बॉन्ड

टैक्स-फ्री बॉन्ड की खासियत

टैक्स-फ्री इनकम
फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट
गारंटीड रिटर्न
कम जोखिम
लिक्विडिटी
लंबी मेच्योरिटी अवधि
हाई क्रेडिट रेटिंग
नॉन-कन्वर्टिबल
ट्रेड करने योग्य
लॉक-इन अवधि

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किसे करना चाहिए निवेश

टैक्स फ्री बांड उनके लिए बेहतर विकल्प है, जो बाजार का ज्यादा रिस्क नहीं लेना चाहते. कह सकते हैं कि जो इक्विटी में एक्सपोजर नहीं चाहते हैं, लेकिन किसी सुरक्षित जगह पैसा लगाकर एफडी या आरडी जैसे विकल्पों से ज्यादा फायदे की उम्मीद करते हैं. वहीं जो अपना पैसा लंबी अवधि तक के लिए किसी रिस्क फ्री निवेश के विकल्प में लगाना चाहते हैं. टैक्स फ्री बॉन्‍ड में आरडी या एफडी की तुलना मे कुछ बेहतर रिटर्न आ सकता है. वहीं इनकम पर टैक्स भी नहीं देना होता. यह उन टैक्स पेयर्स के लिए और बेहतर विकल्प है, जो हायर टैक्स ब्रैकेट में आते हों. टैक्स फ्री बॉन्ड एक्सचेंज पर मिलते हैं. आप इन बॉन्ड को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज से खरीद सकते हैं. भले ही इन बॉन्ड्स पर टैक्सेबल बॉन्ड की तुलना में यील्ड कम हो सकता है, लेकिन टैक्स न देने के चलते असली रिटर्न ज्यादा हो सकता है.

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