/financial-express-hindi/media/media_files/2025/08/01/upi-new-rules-ai-generated-image-2025-08-01-09-09-18.jpg)
UPI को 2016 में NPCI ने शुरू किया था, और आज यह देशभर में सबसे भरोसेमंद पेमेंट सिस्टम बन चुका है. (AI Image)
UPI New Rules from August 2025: अगर आप भी दिन में कई बार UPI से पेमेंट करते हैं, बैलेंस चेक करते हैं या ट्रांजैक्शन स्टेटस देखते हैं, तो अब जरा सावधान हो जाइए. 1 अगस्त 2025 से UPI पेमेंट सिस्टम में बड़े बदलाव लागू हो गए हैं, जो सीधा असर आपकी रोज की डिजिटल आदतों और मोबाइल ऐप यूज पर डालेंगे. ये नियम सिर्फ तकनीकी सुधार नहीं हैं - ये आपकी जेब और समय, दोनों को नए ढंग से प्रभावित करने वाले हैं.
इन बदलावों का मकसद UPI सर्वर पर बढ़ते लोड और बार-बार आ रहे आउटेज की समस्या को रोकना है. NPCI (नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया) ने कहा है कि ये नियम सिस्टम को अधिक स्थिर, तेज़ और सुरक्षित बनाने के लिए बेहद जरूरी थे. तो चलिए विस्तार से जानते हैं कि अब आपके लिए क्या बदला है.
अब दिन में सिर्फ 50 बार ही बैलेंस चेक कर पाएंगे
पहले अकाउंट बैलेंस चेक करने पर कोई सीमा नहीं थी, लेकिन अब हर दिन अधिकतम 50 बार ही बैलेंस देखा जा सकेगा. यह नियम खास तौर पर उन यूज़र्स के लिए लागू किया गया है जो बार-बार अकाउंट बैलेंस देखने की आदत में हैं.
पेमेंट स्टेटस जानने के लिए मिनिमम 45 सेकंड इंतजार जरूरी
पेमेंट भेजने के तुरंत बाद स्टेटस चेक करने वालों के लिए अब एक लिमिट है. नई गाइडलाइन के अनुसार, पेमेंट ऑथेंटिकेशन के बाद कम से कम 45 से 60 सेकंड बाद ही ट्रांजैक्शन स्टेटस की रिक्वेस्ट भेजी जा सकेगी.
ऑटोपेमेंट्स अब सिर्फ नॉन-पीक आवर्स में ही प्रोसेस होंगे
अगर आपने Netflix, बिजली या पानी का बिल ऑटोपे पर सेट किया है, तो ध्यान दें - अब ये ट्रांजैक्शन केवल नॉन-पीक आवर्स (10:00–13:00 और 17:00–21:30 को छोड़कर) ही प्रोसेस किए जाएंगे. इसका मकसद यह है कि पीक टाइम पर सिर्फ कस्टमर-इनिशिएटेड पेमेंट्स को ही प्राथमिकता दी जाए.
ट्रांजैक्शन हिस्ट्री या लिंक्ड अकाउंट्स सिर्फ 25 बार देख सकेंगे
अब यूज़र्स किसी एक UPI ऐप पर दिन में केवल 25 बार ही अपने अकाउंट की डिटेल्स या ट्रांजैक्शन हिस्ट्री देख सकेंगे. इससे सर्वर पर बार-बार unnecessary API कॉल्स से बचा जा सकेगा.
क्यों जरूरी थे ये बदलाव?
NPCI के मुताबिक, हर महीने भारत में UPI के ज़रिए 16 अरब से ज्यादा ट्रांजैक्शन हो रहे हैं. इस वजह से अक्सर सर्वर लोड, स्लो ट्रांजैक्शन और आउटेज जैसी समस्याएं आती हैं. 21 मई 2025 को जारी सर्कुलर में NPCI ने सभी PSP और एक्वायरिंग बैंकों को आदेश दिया कि वे UPI API कॉल्स (Transactions Per Second) की मॉनिटरिंग करें और कस्टमर व सिस्टम इनिशिएटेड यूसेज को अलग-अलग कैटेगराइज़ करें.