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केंद्र सरकार के कर्मचारी NPS और UPS के बीच लागत और लाभ का तुलनात्मक मूल्यांकन कर रहे हैं, क्योंकि एक बार जो विकल्प चुन लिया जाए, उसे बदला नहीं जा सकता. Photograph: (Freepik)
UPS Deadline extended by September 30 after Tepid response: गारंटीड पेंशन वाली यूनिफाइड पेंशन स्कीम को लेकर सरकारी कर्मचारियों से उम्मीद के मुताबिक प्रतिक्रिया नहीं मिली है. जिसे देखते हुए सरकार ने UPS विकल्प को चुनने की डेडलाइन 3 महीने बढ़ाकर अब 30 सितंबर 2025 कर दी है. UPS विकल्प चालू वित्त वर्ष की शुरुआत में सरकारी कर्मचारियों के लिए उपलब्ध कराया गया था और पहले इसकी डेडलाइन 30 जून 2025 तय की गई थी.
सरकार ने अपने बयान में कहा, “विभिन्न पक्षों से मिले रिक्वेस्ट को ध्यान में रखते हुए सरकार ने UPS का विकल्प चुनने की डेडलाइन तीन महीने बढ़ाकर 30 सितंबर 2025 तक कर दी है. यह विस्तार मौजूदा पात्र कर्मचारियों, पूर्व पेंशनर्स और मृत पूर्व पेंशनर्स के वैलिड जीवनसाथियों पर लागू होगा.”
पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण (PFRDA) और वित्त मंत्रालय के अधिकारी UPS के लाभों को लेकर कर्मचारियों और सिविल अकाउंट्स अधिकारियों को जागरूक करने के लिए अभियान चला रहे हैं. इस स्कीम के तहत रिटायरमेंट के समय पिछले 12 महीनों के औसत वेतन का 50% गारंटीड पेंशन के रूप में दिया जाएगा. सरकारी कर्मचारियों की कमजोर प्रतिक्रिया के कारण जागरूकता अभियान ने रफ्तार पकड़ी है.
27 लाख सरकारी कर्मचारी NPS में शामिल
फिलहाल करीब 27 लाख केंद्र सरकार के कर्मचारी मार्केट लिंक्ड नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में शामिल हैं. केंद्र सरकार के कर्मचारी NPS और UPS के बीच लागत और लाभ का तुलनात्मक मूल्यांकन कर रहे हैं, क्योंकि एक बार जो विकल्प चुन लिया जाए, उसे बदला नहीं जा सकता.
UPS को उम्मीद से कम रिस्पांस क्यों?
जानकारों का मानना है कि कई कर्मचारी अभी भी UPS और NPS के बीच के अंतर को पूरी तरह से समझ नहीं पाए हैं, इसलिए वे NPS से ही जुड़े रहना पसंद कर रहे हैं. UPS महंगाई दर से जुड़ी पेंशन देता है, जबकि NPS की एन्युईटी ऐसा लाभ नहीं देतीं.
UPS के तहत, जो कर्मचारी कम से कम 25 सालों की सर्विस पूरी करके रिटायर होते हैं, उन्हें सर्विस के आखिरी 12 महीनों के औसत बेसिक सैलरी का 50% गारंटीड पेंशन के रूप में मिलेगा, और यह पूरी तरह से महंगाई दर के हिसाब से इंडेक्स किया जाएगा.
मौजूदा NPS नियमों के अनुसार, रिटायरमेंट के समय व्यक्ति अपनी कुल एक्युमुलेटेड एनपीएस कॉर्पस का अधिकतम 60% तक टैक्स-फ्री निकासी कर सकता है. बाकी न्यूनतम 40% को एन्युईटी (annuity) में निवेश करना अनिवार्य है ताकि नियमित पेंशन मिल सके.