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US Fed Rate Cut के बाद क्या करेगा RBI, क्या करें आम निवेशक? (Image : PIxabay)
What RBI will do after US Fed Rate Cut : यूएस फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve) ने 18 सितंबर को ब्याज दरों में 50 बेसिस पॉइंट्स (bps) की कटौती करके रेट साइकल में एक बड़े बदलाव की शुरुआत कर दी है. अमेरिका के केंद्रीय बैंक के इस बड़े कदम के बाद भारतीय निवेशकों में भी यह सवाल उठने लगा है कि क्या भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) भी जल्द ही ऐसा करेगा. RBI की अगली मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की समीक्षा बैठक 7 से 9 अक्टूबर तक होनी है. आगे समझेंगे कि इस फैसले का भारत के फिक्स्ड रिटर्न निवेशकों पर क्या असर होगा और उन्हें इस समय क्या निवेश रणनीति अपनानी चाहिए. लेकिन पहले जानते हैं कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व का ये कदम क्यों महत्वपूर्ण है.
क्यों अहम है यूएस फेड का कदम
यूएस फेड ने चार साल में पहली बार ब्याज दरों में कटौती की है, जिसे ग्लोबल मार्केट में बदलते रुझान का संकेत भी माना जा रहा है. फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने संकेत दिया कि आगे भी ब्याज दरों में कटौती संभव है. उनका कहना है कि जुलाई में रोजगार के खराब आंकड़े सामने आने के बाद यह कदम अमेरिकी अर्थव्यवस्था में एंप्लॉयमेंट बढ़ाने के लिए उठाया गया है. यूएस फेड के इस कदम को ग्रोथ को तेजी देने वाला माना जा रहा है, जिसका लाभ दुनिया भर के निवेशकों को मिलने की उम्मीद जाहिर की जा रही है.
भारत में फिक्स्ड इनकम निवेशकों पर असर
भारत में बांड यील्ड्स पहले से ही नीचे की ओर जा रही हैं, यूएस फेड द्वारा ब्याज दरों में कटौती से इनमें और गिरावट आने के आसार हैं, जबकि भारतीय बांडों की कीमतें और बढ़ सकती हैं. दरअसल, बॉन्ड यील्ड और बॉन्ड की कीमतों में उलटा संंबंध होता है. यानी बॉन्ड यील्ड घटने पर बॉन्ड की कीमतें बढ़ती हैं. पिछले एक साल में भारत के 10-साल के बांड की यील्ड 7.1% से गिरकर 6.85% के स्तर पर आ चुकी है. जानकारों का अनुमान है कि साल के अंत तक यह और गिरकर 6.55% तक आ सकती है.
निवेशकों को क्या करना चाहिए?
मौजूदा हालात में ऐसे भारतीय निवेशक, जो रेगुलर और तुलनात्मक रूप से स्थिर इनकम के लिए डेट (Debt) में निवेश करना चाहते हैं, इन एसेट्स पर फोकस कर सकते हैं:
लॉन्ग-ड्यूरेशन बांड्स : लंबे मैच्योरिटी पीरियड वाले बांड्स (Long Duration Bonds) में निवेश करने का यह सही समय हो सकता है, क्योंकि ब्याज दरों में कटौती से बांड की कीमतें बढ़ेंगी. इसलिए ब्याज दरों में कटौती के दौर में लॉन्ग ड्यूरेशन बॉन्ड्स में इनवेस्ट करना फायदे का सौदा साबित हो सकता है.
बॉन्ड म्यूचुअल फंड्स: बॉन्ड यील्ड्स गिरने से बॉन्ड म्यूचुअल फंड्स की नेट एसेट वैल्यू (NAV) बढ़ने की संभावना है. लिहाजा उनमें निवेश करने वालों को फायदा हो सकता है.
फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश के क्या हैं विकल्प?
ब्याज दरों में कटौती का असर फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) दरों पर भी पड़ सकता है. जब केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में कटौती करता है, तो कॉमर्शियल बैंक भी अपनी एफडी की डिपॉजिट रेट्स को कम कर सकते हैं. ऐसे में अगर आप स्थिर रिटर्न के लिए निवेश करना चाहते हैं, तो फिलहाल इसका सही वक्त है. अभी निवेश करने पर आप एफडी की ऊंची ब्याज दरों पर अपने फंड लॉक कर सकते हैं, क्योंकि आगे चलकर एफडी की दरें घट सकती हैं. इसके लिए फिलहाल स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI), HDFC और ICICI समेत कई बड़े बैंक ऊंची ब्याज दरों वाले एफडी ऑफर कर रहे हैं.
क्या RBI भी करेगा ब्याज दरों में कटौती?
यूएस फेड के रेट कट करने के बावजूद यह नहीं कहा जा सकता कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) भी फौरन ही ऐसा करेगा. इसके लिए रिजर्व बैंक महंगाई के पूरी तरह काबू में आने का इंतजार कर सकता है, क्योंकि आरबीआई का मुख्य ध्यान अभी भी इंफ्लेशन को कंट्रोल करने पर ही है. साथ ही भारत के आर्थिक विकास दर से आंकड़े भी ठीक-ठाक स्थिति में हैं. हालांकि लॉन्ग टर्म में इस बात के काफी आसार हैं कि आरबीआई भी यूएस फेड के रास्ते पर चलते हुए ब्याज दरें घटा सकता है.
यूएस फेड का ब्याज दरें घटाना, भारतीय निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण संकेत है. लॉन्ग-ड्यूरेशन बांड्स में निवेश करने का यह एक अच्छा मौका हो सकता है, क्योंकि गिरते यील्ड्स से बांड की कीमतों में इजाफा होगा. भविष्य में दरें घटने की उम्मीद को देखते हुए फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश करने वाले निवेशकों के सामने भी अभी ऊंची ब्याज दरों पर फंड लॉक करने के विकल्प मौजूद हैं.