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Investment Strategy for Small Cap Funds: स्मॉल कैप फंड की खूबियों और रिस्क को ध्यान में रखते हुए इनमें निवेश की सही रणनीति कैसे बनाएं? (Image: Financial Express)
Correct strategy to invest in Small Cap Mutual Funds: स्मॉल-कैप म्यूचुअल फंड का रिटर्न आम तौर पर लार्ज-कैप या मिड-कैप फंड की तुलना में बेहतर होता है. यही वजह है कि लार्ज या मिडकैप के मुकाबले ज्यादा रिस्की समझे जाने के बावजूद लोग इनमें पैसे लगाना चाहते हैं. ज्यादातर जानकार भी निवेशकों को यही सलाह देते हैं कि उन्हें अपने पोर्टफोलियो में सीमित ही सही, लेकिन स्मॉल कैप फंड्स (Smallcap Mutual Funds) को भी जरूर जगह देनी चाहिए. तभी पूरे पोर्टफोलियो से लंबी अवधि में आकर्षक औसत रिटर्न हासिल हो पाएगा. लेकिन सवाल ये है कि इस निवेश के लिए सही रणनीति क्या होनी चाहिए? इस सवाल का जवाब तलाशने से पहले लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप फंड्स के पिछले प्रदर्शन पर भी नजर डाल लेते हैं.
क्या बताते हैं पिछले 10 साल के आंकड़े
भारतीय म्यूचुअल फंड्स के प्रदर्शन पर नजर डालें, तो AMFI के 3 अप्रैल 2024 तक अपडेटेड आंकड़ों के मुताबिक, देश के टॉप 10 लार्जकैप फंड्स का पिछले 10 साल का औसत सालाना रिटर्न करीब 15 फीसदी से 18 फीसदी के आसपास था. इसी दौरान देश के टॉप 10 मिडकैप फंड्स का औसत सालाना रिटर्न करीब 21 से 24 फीसदी रहा. इनकी तुलना में 10 साल में टॉप 10 स्मॉल कैप फंड्स का औसत सालाना रिटर्न 20 फीसदी से 28 फीसदी तक था. इन आंकड़ों की तुलना करें तो दो अहम संकेत मिलते हैं - पहला यह कि स्मॉल कैप फंड्स में लंबी अवधि के दौरान बेहतर रिटर्न देने की क्षमता होती है. दूसरा संकेत ये है कि 10 साल के दौरान अधिकतम और कम से कम औसत सालाना रिटर्न देने वाले टॉप 10 स्मॉल कैप फंड्स में फासला (20 से 28%) भी अधिक है. यानी स्मॉल कैप फंड्स में अनिश्चितता अधिक होती है.
कैसे बनाएं निवेश की सही रणनीति
अब सवाल ये है कि स्मॉल कैप फंड की इन दोनों खूबियों - ज्यादा रिस्क और ज्यादा रिटर्न को ध्यान में रखते हुए इनमें निवेश की सही रणनीति कैसे बनाएं? इसके लिए इन अहम बातों का ध्यान रखना जरूरी है.
सबसे पहले तो आपको यह बात ध्यान में रखनी है कि स्मॉल कैप फंड्स में जरूरत से ज्यादा निवेश करना सही नहीं है. ज्यादा रिटर्न के लालच में फंसकर अपने पोर्टफोलियो का काफी बड़ा हिस्सा इस सेगमेंट में लगा देना सही नहीं होता.
स्मॉल कैप फंड्स में निवेश करते समय एसेट एलोकेशन के बेसिक रूल को याद रखें. ये बेसिक रूल है पोर्टफोलियो में इक्विटी की हिस्सेदारी को अपने रिस्क प्रोफाइल और उम्र के हिसाब से संतुलित रखना.
किसी भी हालत में अपने पोर्टफोलियो में इक्विटी का हिस्सा 60 फीसदी से ज्यादा न रखें.
अगर आप बेहतर रिटर्न के लिए अपने पोर्टफोलियो में स्मॉल कैप फंड को शामिल करना चाहते हैं, तो उसके लिए फंड्स का चुनाव बेहद सावधानी से करें. फंड और उसके फंड मैनेजर के ट्रैक रिकॉर्ड का विश्लेषण करें.
उन्हीं फंड्स में निवेश करें, जिनके बेहतर प्रदर्शन का लंबा ट्रैक रिकॉर्ड मौजूद है.
अगर आपके पोर्टफोलियो में इक्विटी का हिस्सा 60 फीसदी है, तो स्मॉल कैप फंड्स की हिस्सेदारी उसके एक-चौथाई यानी 15 फीसदी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए.
अगर आपका स्मॉल कैप का एक्सपोजर इससे ज्यादा हो गया है, तो उसे कम करके 15 फीसदी तक ले आएं.
पूरा निवेश किसी एक ही स्मॉल-कैप म्यूचुअल फंड में न करें. जोखिम को कम करने के लिए अपने निवेश को कई फंडों में बांट दें.
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प्रदर्शन की समीक्षा करते रहें
स्मॉल कैप फंड्स से बेहतर रिटर्न हासिल करने के लिए उनमें 10 साल का होराइजन रखकर लंबी अवधि के लिए निवेश करना जरूरी है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि आप निवेश करके भूल जाएं. अपने स्मॉल-कैप फंड्स के प्रदर्शन पर लगातार नजर बनाए रखें और उनकी समीक्षा करते रहें. जरूरत पड़ने अपने पोर्टफोलियो को री-बैलेंस भी करते रहें. यह भी ध्यान में रखें कि किसी भी फंड का पिछला प्रदर्शन भविष्य में वैसे ही रिटर्न की गारंटी नहीं देता. इसलिए भविष्य के रुझानों का अनुमान लगाने के लिए जरूरत पड़ने पर अपने निवेश सलाहकार की राय लेना न भूलें.