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‘Cost’ of No Cost EMI : क्रेडिट कार्ड की ईएमआई में आपको आम तौर पर बताए गए ब्याज से ज्यादा भुगतान करना पड़ता है. यहां तक कि नो कॉस्ट ईएमआई भी बिना लागत नहीं होती. (Image : Pixabay)
Understand charges linked to your Credit card EMI: यह बात तो आम तौर पर सभी लोग जानते हैं कि क्रेडिट कार्ड की बकाया रकम को ड्यू डेट (Due Date) यानी देय तारीख तक पूरी तरह नहीं चुकाने पर काफी भारी-भरकम ब्याज देना पड़ सकता है. यह ब्याज कई बार सालाना 42 फीसदी तक भी हो सकता है. इसके अलावा कई बार लेट पेमेंट पेनाल्टी के तौर पर भी मोटी रकम देनी पड़ सकती है. लेकिन अगर आपने क्रेडिट कार्ड से कोई बड़ी खरीदारी की है और ड्यू डेट तक पूरी रकम चुकाना मुश्किल हो रहा है, तो एक उपाय पूरे पेमेंट को EMI में तब्दील करने का होता है. ऐसी ईएमआई पर लगने वाला इंटरेस्ट उस ब्याज के मुकाबले कम होता है, जो पूरी रकम का भुगतान नहीं करने पर देना पड़ता है. लेकिन क्या आपको पता है कि क्रेडिट कार्ड की ईएमआई में बताए गए ब्याज के अलावा 18% एक्स्ट्रा कॉस्ट यानी अतिरिक्त लागत भी जुड़ी होती है!
‘नो कॉस्ट ईएमआई’ भी बिना लागत नहीं
कई बार आपको क्रेडिट कार्ड कंपनी/रिटेलर की तरफ से पूरी रकम को ‘नो कॉस्ट ईएमआई’ (No Cost EMI) में तब्दील करने का ऑफर भी मिलता है. आम तौर पर लोग इससे काफी आकर्षित हो जाते हैं. उन्हें लगता है कि ‘नो कॉस्ट ईएमआई’ का मतलब ये है कि आपको सिर्फ उतने ही पैसे देने हैं, जितने की आपने खरीदारी की है. इसके अलावा कोई एक्स्ट्रा चार्ज नहीं लगेगा. लेकिन आम तौर पर ऐसा होता नहीं है. अक्सर ‘नो कॉस्ट ईएमआई’ की भी लागत होती है. अगर आपको इस सुविधा का लाभ उठाने का फैसला करते समय इस बारे में जानकारी नहीं होगी, तो क्रेडिट कार्ड की ईएमआई का पेमेंट करते समय आपको झटका लग सकता है. आइए समझते हैं कि ऐसा क्यों होता है.
क्रेडिट कार्ड इंटरेस्ट पर लगता है GST!
आपको पता होना चाहिए कि क्रेडिट कार्ड की बकाया रकम पर लगने वाले ब्याज पर आपको गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) भी देना पड़ सकता है.दरअसल वित्तीय संस्थानों की बहुत सारी सर्विसेज और चार्जेज जीएसटी के दायरे में शामिल हैं, जिनका बोझ आखिरकार ग्राहकों पर ही पड़ता है. क्रेडिट कार्ड पर लगने वाला इंटरेस्ट भी इसी कैटेगरी में शामिल है, जिस पर 18 फीसदी की दर से जीएसटी देना होता है. यह जीएसटी क्रेडिट कार्ड ट्रांजैक्शन के इंटरेस्ट पर लगता है. जाहिर है कि अगर आपने क्रेडिट कार्ड से किए खर्च को ईएमआई में तब्दील किया तो बिल आने पर इंटरेस्ट के ऊपर 18 फीसदी जीएसटी भी जुड़ा हुआ मिलेगा. मिसाल के तौर पर अगर आप ईएमआई के लिए 20 फीसदी ब्याज दे रहे हैं, तो उस पर 18 फीसदी जीएसटी जोड़ने के बाद ब्याज की पूरी लागत 23.6 फीसदी हो जाएगी.
‘नो कॉस्ट ईएमआई’ पर GST क्यों?
ऊपर हमने क्रेडिट कार्ड के सामान्य ईएमआई पर लगने वाले जीएसटी की बात की. लेकिन आपके मन में ये सवाल उठ रहा होगा कि अगर हमारी ईएमआई ‘नो कॉस्ट’ है, तो भला उस पर GST क्यों लगेगा? दरअसल, नो-कॉस्ट ईएमआई के मामले में भी आमतौर पर ऐसा नहीं होता कि क्रेडिट कार्ड कंपनी ब्याज न ले. असल में क्रेडिट कार्ड जारी करने वाला बैंक तो ब्याज लेता है, लेकिन सामान बेचने वाला रिटेलर ईएमआई के पूरे टेन्योर के दौरान वसूले जाने वाले ब्याज के बराबर रकम आपको इंस्टैंट डिस्काउंट के रूप में ऑफर कर देता है. इसलिए वो दावा करता है कि आपके लिए इस ईएमआई की कोई लागत नहीं है. लेकिन ऑफर किए जा रहे डिस्काउंट में आमतौर पर सिर्फ ईएमआई का ब्याज शामिल होता है, उस ब्याज पर सरकार की तरफ से वसूला जाने वाला जीएसटी नहीं! मिसाल के तौर पर अगर क्रेडिट कार्ड ईएमआई का ब्याज सालाना 20 फीसदी है, तो आपको उस पर 18 फीसदी जीएसटी देना होगा, जो ईएमआई की कुल रकम के 3.6 फीसदी के बराबर होगा. यानी नो कॉस्ट ईएमआई में भी आपको इतनी लागत तो देनी पड़ेगी. इसके अलावा हो सकता है आपको प्रोसेसिंग फीस या किसी और चार्ज के रूप में कुछ और पैसे भी देने पड़ें. इसलिए अगर आप क्रेडिट कार्ड की खरीदारी को ईएमआई या नो कॉस्ट ईएमआई में तब्दील कराने की सोच रहे हैं, तो पहले इन सभी अतिरिक्त लागतों को जोड़कर उसकी लागत निकालें और तभी कोई फैसला करें.