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इनकम टैक्स में बड़ी राहत फिर भी EPF, NPS, ELSS, इंश्योरेंस जैसे विकल्प हैं जरूरी, समझिए पूरी डिटेल

इनकम टैक्स में बड़ी राहत के ऐलान के बाद भी एम्प्लाईज प्रॉविडेंट फंड, नेशनल पेंशन सिस्टम, इक्विटी-लिंक्ड सेविंग स्कीम, टर्म और हेल्थ इंश्योरेंस जैसे विकल्प में निवेश जरूरी है. यहां समझिए पूरी डिटेल.

इनकम टैक्स में बड़ी राहत के ऐलान के बाद भी एम्प्लाईज प्रॉविडेंट फंड, नेशनल पेंशन सिस्टम, इक्विटी-लिंक्ड सेविंग स्कीम, टर्म और हेल्थ इंश्योरेंस जैसे विकल्प में निवेश जरूरी है. यहां समझिए पूरी डिटेल.

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FE Hindi Desk
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EPF, NPS, ELSS, इंश्योरेंस जैसे विकल्प में पैसे लगाने से निवेशकों को भविष्य में आर्थिक सुरक्षा मिलती है, जो टैक्स राहत से कहीं अधिक जरूरी है. Photograph: (PTI)

वित्र मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2025-25 के लिए हाल ही में बजट पेश किया. 1 अप्रैल 2025 से लागू होने वाले बजट में न्यू टैक्स रिजीम के तहत आने वाले टैक्सपेयर्स के लिए बड़ी राहत का ऐलान किया गया है. न्यू टैक्स रिजीम में राहत से आमदनी बढ़ेगी, कंजम्पशन बढ़ेगा और टैक्स सेविंग इनवेस्टमेंट का आकर्षण कम होगा. हालांकि लोगों को अपने लंबी अवधि के वित्तीय लक्ष्यों को हासिल करने के लिए एम्प्लाईज प्रॉविडेंट फंड (EPF), नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS), इक्विटी-लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS), टर्म और हेल्थ इंश्योरेंस में निवेश करना जारी रखना चाहिए, भले ही टैक्स सेविंग का प्रोत्साहन खत्म हो गया हो.

भारत में अधिकांश लोगों के पास कोई सामाजिक सुरक्षा लाभ नहीं होने के कारण, टैक्स सेविंग इंस्ट्रूमेंट ने मजबूरन बचत को बढ़ावा दिया है और लोगों को विभिन्न वित्तीय लक्ष्यों के लिए निवेश करने के लिए प्रेरित किया है. इसके अलावा, टैक्स सेविंग विकल्प में लॉक-इन पीरियड ने निवेश के प्रति एक अनुशासित दृष्टिकोण को मजबूर किया और कंपाउंडिंग रिटर्न हासिल करने में मदद की है.

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एम्प्लाईज प्रॉविडेंट फंड (EPF)

ज्यादातर सैलरीड एम्प्लाईज के लिए, ईपीएफ रिटायरमेंट के लिए बचत करने का एक आईडियल विकल्प है, बशर्ते कि ईपीएफओ मेंबर नौकरी बदलने पर ईपीएफ में जमा पैसे न निकाले. ईपीएफ उन लोगों के लिए जरूरी है जिनकी बेसिक सैलरी 15,000 रुपये है, यह अधिक आय वालों के लिए वैकल्पिक है. फिलहाल ईपीएफ में जमा रकम पर सालाना 8.25 फीसदी की दर से रिटर्न मिल रहा है, जो ज्यादातर डेट से जुड़े इंस्ट्रूमेंट से कहीं अधिक है. संगठित क्षेत्र में जॉब कर रहे कई लोग अनिवार्य 12% कर्मचारियों के हिस्से के अलावा स्वैच्छिक योगदान EPF में करते हैं. VPF की ब्याज दर EPF के समान होती है. हालांकि, कर्मचारियों के योगदान से 2.5 लाख रुपये से ऊपर की राशि पर टैक्स लगाया जाता है. निकासी के समय पर मिलने वाले रिटर्न कर से मुक्त होते हैं.

नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS)

यह रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए एक और आईडियल निवेश विकल्प है क्योंकि यह लोगों को नियमित रूप से निवेश करके रिटायरमेंट फंड जमा करने और लाइफ इंश्योरेंस से एन्युइटी खरीदने पर एक निश्चित मंथली पेमेंट हासिल करने में सक्षम बनाता है. फंड को इक्विटी, गवर्नमेंट एसेट्स और कॉर्पोरेट बॉन्ड में निवेश किया जाता है और रिटर्न पोर्टफोलियो-मिक्स के अनुसार अलग-अलग होता है. माय वेल्थ ग्रोथ डॉट कॉम के को-फाउंडर हर्षद चेतनवाला (Harshad Chetanwala) कहते हैं कि निवेशकों को पेंशन फंड की तुलना करनी चाहिए और ऐसा फंड चुनना चाहिए जिसने लंबी अवधि में लगातार रिटर्न दिया हो.

रिटायरमेंट पर, NPS के सब्सक्राइबर को अपनी जमा रकम का 60% हिस्सा निकालना होता है और बाकी बची रकम को एन्युइटी में निवेश करना होता है. सब्सक्राइबर को मिलने वाली एकमुश्त रकम टैक्स फ्री होती है और एन्युइटी खरीदने के लिए निवेश की गई बाकी रकम भी टैक्स फ्री होती है. दरअसल, NPS न्यू टैक्स रिजीम के तहत भी टैक्स बेनिफिट प्रदान करता है. आयकर अधिनियम की धारा 80CCD (2) के तहत, अगर एम्प्लॉयर कर्मचारी की ओर से NPS खाते में योगदान देता है, तो बेसिक सैलरी के 10% तक डिडक्शन की अनुमति है.

इक्विटी-लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS)

ईएलएसएस में निवेश करना एक समझदारी भरा विकल्प हो सकता है, खासकर अगर इसे जीवन में जल्दी शुरू किया जाए. इन फंडों में कुछ दशकों तक नियमित रूप से निवेश करके, निवेशक लंबी अवधि में अधिक रिटर्न कमा सकते हैं. ये ओपन-एंडेड फंड हैं और यूनिट-लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान, पांच साल की एफडी और 15 साल के पब्लिक प्रोविडेंट फंड के लिए पांच साल की तुलना में तीन साल की लॉक-इन अवधि है. लॉक-इन फंड मैनेजरों को उच्च दृढ़ विचारों में पूंजी लगाने में सक्षम बनाता है, जो प्रदर्शन देने में अधिक समय ले सकते हैं. ईएलएसएस से हर साल 1.25 लाख रुपये से अधिक के लाभ पर 12.5% ​​की दर से टैक्स लगाया जाता है यदि इसे एक साल से अधिक समय तक रखा जाता है.

वेल्थ रिडिफाइन (Wealth Redefine) के को-फाउंडर सौम्य सरकार कहते हैं कि लॉक-इन पीरियड यह सुनिश्चित करती है कि फंड मैनेजर डायवर्सिफाइड इक्विटी फंड की तरह ही आक्रामक निवेश दृष्टिकोण अपनाए . वे कहते हैं, "निवेशकों को अनुशासित, विकासोन्मुखी रणनीति से लाभ होता है, जिससे ईएलएसएस फंड एक विवेकपूर्ण विकल्प बन जाता है."

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टर्म और हेल्थ इंश्योरेंस

लोगों को अपनी सुरक्षा जरूरतों के लिए एक व्यापक फ्लोटर हेल्थ कवरेज और एक टर्म प्लान चुनना चाहिए. हेल्थ इंश्योरेंस में, कवर को सस्ता बनाने के लिए को-पे और सुपर टॉप-अप चुनना स्मार्ट विकल्प हैं. वैसे तो लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसियां कई तरह की होती हैं, लेकिन व्यक्ति को टर्म इंश्योरेंस खरीदना बेहतर साबित हो सकता है. यह लाइफ इंश्योरेंस का सबसे सस्ता रूप है. ऐसी योजना में, अगर इंश्योरेंस होल्डर पॉलिसी अवधि तक जीवित रहता है, तो बीमा कंपनी कोई पेमेंट नहीं करता है. हालांकि, बीमा कंपनी 'रिटर्न ऑफ प्रीमियम' के साथ टर्म प्लान पेश करते हैं, जहां कंपनी पेमेंट किए गए प्रीमियम या पॉलिसीहोल्डर के पॉलिसी अवधि तक जीवित रहने पर गारंटीड अमाउंट वापस करते हैं.

टैक्स राहत मिलने से एम्प्लाईज प्रॉविडेंट फंड, नेशनल पेंशन सिस्टम, इक्विटी-लिंक्ड सेविंग स्कीम, टर्म और हेल्थ इंश्योरेंस जैसे विकल्पों में पैसा लगाना बंद नहीं करना चाहिए. इनमें पैसे लगाने से आपको भविष्य में आर्थिक सुरक्षा मिलती है, जो टैक्स छूट से ज्यादा महत्वपूर्ण है.

(Credit: Saikat Neogi)

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