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एशिया कप के सुपर 4 राउंड में भारत-पाक मैच में रन से ज्यादा हावभाव और ड्रामे ने सुर्खियाँ बटोरी
भारत और पाकिस्तान के बीच मुकाबला शायद ही कभी सिर्फ क्रिकेट मैच होता है। यह हमेशा किसी नाटक जैसा दिखता है। ड्रामा, भीड़ का जोश और मैदान के अंदर छोटे-छोटे हावभाव, चौकों-छक्कों से भी ज्यादा लंबे वक्त तक याद रहते हैं। दुबई में हुआ ताज़ा मुकाबला भी इसका सबूत था। रन बने, विकेट गिरे, लेकिन असली चर्चा खिलाड़ियों के इशारों, स्लेजिंग और मैच की गहमा-गहमी पर रही। मुकाबले ने यह फिर से साबित कर दिया: रन मायने रखते हैं, लेकिन जो लोग याद रखेंगे वह हैं खिलाड़ियों के इशारे, स्लेज़िंग, दर्शकों की संघर्ष की भूख और दोनों टीमों के बीच परिपक्वता का अंतर।
फिफ्टी पर बनाए हावभाव का तमाशा
साहिबज़ादा फरहान की अर्धशतकीय पारी पाकिस्तान के लिए मज़बूत आधार बन सकती थी। लेकिन यह किसी और वजह से सुर्खियों में आ गई। फरहान ने 50 रन बना कर शांत तरीके से बल्ला उठाने की बजाय दर्शकों की ओर बंदूक चलाने का इशारा किया। इसमें कुछ नया नहीं था। 1985 वर्ल्ड कप फाइनल में क़ासिम उमर ने भी पहली गेंद पर कपिल देव द्वारा यॉर्क किए जाने के बाद दर्शकों की ओर बंदूक तानकर,इसी तरह का इशारा किया था। चालीस साल बाद वही इशारा लौट आया,और उसी के साथ बहस भी।
लेकिन जैसे उस समय उमर की पारी टिक नहीं पाई, वैसे ही फरहान का यह तमाशा भी उनकी बल्लेबाज़ी से आगे नहीं बढ़ पाया। जश्न के बाद उनका स्ट्राइक-रेट ठहर गया, पाकिस्तान का मोमेंटम खत्म हो गया, और जो शुरुआत मजबूत लग रही थी, वह एक बार फिर यह याद दिला गई कि भारत के खिलाफ उनकी तेजी अक्सर ज़्यादा देर नहीं टिकती है।
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गुस्सा और घूरती नजरें: अभिषेक बनाम रऊफ
मैच का तापमान तब और बढ़ा जब हारिस रऊफ रन खाने के बाद भारतीय दर्शकों की ओर हवाई जहाज़ की तरह हाथ फैलाकर बढ़े। अभिषेक शर्मा और रऊफ के बीच शब्दों की झड़प, शुभमन गिल का सख्त चेहरा, रऊफ की मुस्कान और डगआउट की बेचैनी, कैमरों ने यह सब कैद किया। यह सिर्फ क्रिकेट नहीं था, बल्कि मैदान पर बॉडी लैंग्वेज ज़रिये किया जा रहा ड्रामा था।
ये इशारे भले ही मामूली लगें, लेकिन उनका असर गहरा होता है। यही इशारे सोशल मीडिया पर बार-बार रीप्ले होते हैं, यही दर्शकों में जोश और गुस्सा जगाते हैं। ये दिखाते हैं कि खिलाड़ी टफनेस दिखाने के लिए किस तरह प्रशिक्षित होते हैं, कैसे फैंस अपने खिलाड़ियों की हरकतों को पसंद करते हैं, और कैसे देश के प्रति प्यार छोटी-छोटी बातों में भी झलकता है।
भटकता पाकिस्तान और उनके फैंस का भ्रम
मैदान की कहानियां यहीं खत्म नहीं होतीं। पाकिस्तान का मैनेजमेंट एक बार फिर आत्ममंथन की बजाय ध्यान भटकाने की राह पर है। हफ्ते भर पहले “हैंडशेक विवाद” था, अब फखर ज़मान का आउट होना चर्चा का विषय बना हुआ है। बार -बार देखे गए रीप्ले और और उनके खुद के कप्तान के ये कहने के बाद भी कि वह “गलत हो सकते हैं”, पाकिस्तान ने अंपायर रुचिरा पल्लियागुरुगे के खिलाफ आईसीसी में आधिकारिक शिकायत दर्ज की है।
पाकिस्तानी दर्शक भी धन्य है। उनके लिए गन का इशारा, हवाई जहाज़ का जेस्चर, या बुमराह की बॉल पर पड़ा छक्का ही उनके खुश होने के लिए काफी है। और फिर,सोशल मीडिया इन पलों के क्लिप से भर जाता है, जैसे कि उनके लिए ये एक जीत हो।असल में छोटे-छोटे क्षणों को पकड़कर पूरी तस्वीर को नजरअंदाज करना, यह एक सुखद भ्रम है। सच्चाई सिर्फ यही है कि पाकिस्तान हरदम कहानियाँ बनाता रहता है जबकि भारत समाधान खोजता है।
प्रसारक जानते हैं दर्शकों को
इस सबके बीच, प्रसारकों ने इस उत्साह को और बढ़ाया। एक तरफ जहाँ फैंस कुछ दिन पहले बॉयकॉट हैशटैग चला रहे थे, वहीं मैच के दौरान वही फैंस कम विज्ञापन और झड़पों के क्लोज़-अप दिखाने की मांग करते हुए टाइमलाइन भर देते थे। यही आधुनिक फैन कल्चर की सच्ची तस्वीर है। लोग छक्के पसंद करते हैं, लेकिन वो विवाद भी देखना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि शब्दों की बहस दिखाई जाए, गुस्सा भड़के,अंपायर खिलाड़ियों को अलग करें। फिल्मों में वे अभिनेताओं को भला -बुरा बोलते देख कर खुश होते हैं; क्रिकेट में वे तब खुश होते हैं जब स्टंप माइक्रोफोन लाइव खिलाड़ियों द्वारा कही बात पकड़ ले।
अग्रेशन फिर चाहे वह स्क्रिप्टेड हो या वास्तविक मनोरंजन बन जाता है। और प्रसारक, जिनके पास मल्टीपल रीप्ले, स्लो-मोशन स्टेयर और जूम किए गए स्लेज़ होते हैं, अच्छे से जानते हैं कि इसे दर्शकों तक कैसे पहुँचाना है।
भारत की संयमिता, पाकिस्तान का शोरगुल
इस पूरे नाटक के बीच एक चीज़ स्पष्ट थी। बहस में खींचे जाने के बावजूद, भारतीय खिलाडियों ने कभी भी अपना संयम नहीं खोया। अभिषेक शर्मा ने अपने माइलस्टोन पर किस भेजे,जो माइलस्टोन शत्रुतापूर्ण नहीं बल्कि खिलवाड़ भरा था। शुभमन गिल ने ड्रामा करने की बजाय टाइमिंग पर ध्यान दिया। तिलक वर्मा ने शांति से रनों का पीछा किया
किया। इस तरह दोनों टीमों के बीच का अंतर साफ़ दिखाई दिया। एक तरफ शांत फोकस्ड टीम थी तो दूसरी तरफ एक ऐसी टीम नज़र आई जो सीमा रेखा के बाहर कहानियों का पीछा कर रही थी।
अभिषेक शर्मा का उदय
यह शाम अगर किसी की थी, तो वह थी अभिषेक शर्मा की। शुरुआत में कैच छोड़ने से लेकर बाद में पाकिस्तान के गेंदबाजों को बुरी तरह से मात देने तक, उनकी कहानी में जीत के जज़्बे का हर एक रंग मौजूद था। उनके हालिया आँकड़े दिखाते हैं कि यह केवल एक क्षणिक चमक नहीं है। अपनी पिछली 11 पारियों में उन्होंने हर बार दोहरे अंक पूरे किए। 11 पारियों में उन्होंने 210 से ऊपर के स्ट्राइक रेट और 49 के औसत से कुल 538 रन बनाए। दुनिया के किसी भी बल्लेबाज ने, जिनके नाम 500 रन हों, उनसे तेज़ रन नहीं बनाए हैं; उनका 197 का स्ट्राइक रेट सबसे ऊपर है।
वह असंभव गति से सिर्फ रन नहीं बना रहे, बल्कि वह ये लगातार कर रहे हैं। भारत के लिए वह केवल एक नए ओपनर नहीं हैं, बल्कि एक नए मॉडल हैं जो आक्रामकता और भरोसेमंद प्रदर्शन को जोड़ कर रखते है।
मैच के अंत में
मैच के अंत तक तीन दृश्य सबसे अलग नजर आए। साहिबज़ादा फरहान ने अपनी कल्पनात्मक बंदूक चलाई। हारीस रऊफ ने अपने हाथ फैलाकर हवाई जहाज़ की तरह ज़मीन की ओर डाइव किया। अभिषेक शर्मा भीड़ में किस भेजे। एक तरफ़ हिंसात्मक इशारों के साथ जश्न मना, दूसरी तरफ़ प्यार भरे इशारों के साथ। दोनों ही टीमों ने शोर मचाया, लेकिन स्कोरबोर्ड केवल एक ने अपने नाम किया।
भारत पाक की यह प्रतिद्वंद्विता हमेशा थिएटर ही बनी रहेगी। लेकिन जब तक पाकिस्तान अपने गिरहबान में झाँकने के बजाय दूसरों पर ऊँगली उठाएगा, नतीजे यही रहेंगे। भारत मैदान से जीत के साथ बाहर आएगा और पाकिस्तान बहानों के साथ।
Note: This content has been translated using AI. It has also been reviewed by FE Editors for accuracy.
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