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National Cybercrime Reporting Portal: साइबर धोखाधड़ी का शिकार होने पर आप अपनी शिकायत हेल्पलाइन नंबर 1930 पर दर्ज करा सकते हैं. (Image/i4c.mha.gov.in)
Cyber Scam: कॉल उठाते ही खाते से लाखों-करोड़ों रुपये गायब! क्या आपके साथ या आपके जानने वालों के साथ ऐसा हुआ है? बिना सहमति के अगर आपके बैंक खाते से पैसे कट जाएं तो यह एक साइबर अपराध है. साइबर ठगी के ऐसे मामले देश के अलग-अलग हिस्सों से हर रोज सामने आ रहे हैं. जिसमें किसी न किसी का भारी नुकसान हो रहा है. धोखाधड़ी और साइबर ठगी के मामलों में चोरी हुए पैसों को वापिस पाने में नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (National Cyber Crime Reporting Portal) आपकी मदद कर सकता है. साइबर ठगी रोकने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय के I4C यानी इंडियन साइबर क्राइम को-ऑर्डिनेशन सेंटर ने एक पोर्टल (https://cybercrime.gov.in) लॉन्च की है, जहां स्कैम का शिकार होने वाले शिकायत कर सकते हैं. वे अपनी शिकायत हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करके भी अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं.
Golden Hour में साइबर ठगी की शिकायत कर पीड़ित वापिस पा सकते हैं अपने पैसे
साइबर ठगी का शिकार होने पर पीड़ित शख्स गोल्डेन ऑवर (Golden Hour) में शिकायत कर अपने पैसों को वापिस पा सकते हैं. ध्यान रहे साइबरक्राइम होने के बाद का पहला घंटा Golden Hour होता है. पीड़ित इस 1 एक घंटे के भीतर अपने साथ हुए स्कैम की शिकायत करके चोरी हुए पैसों के वापिस मिलने की संभावना बढ़ा सकते हैं. साइबर ठगी का होने पर पीड़ित को तुरंंत नेशनल हेल्पलाइन नंबर 1930 पर रिपोर्ट करना चाहिए. इसके अलावा वे अपनी शिकायत गृह मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट cybercrime.gov.in पर भी कर सकते हैं.
साइबर ठगी का शिकार होने पर फौरन करें ये काम
अगर आपके फोन पर अननोन नंबर से कॉल या व्हाट्सऐप वीडियो कॉल आता है और इसे उठाने पर आपके बैंक खाते से पैसे कट जाते हैं तो इसकी जानकारी तुरंत हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करके दें. या फिर बैंक ट्रांजेक्शन डिटेल और अन्य जरूरी जानकारियों के साथ नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर अपनी शिकायत दर्ज कराएं. शिकायत मिलने के बाद मामले को निपटाने तक सिटिजन फाइनेंशियल साइबर फ्रॉड रिपोर्टिंग एंड मैनेजमेंट सिस्टम Citizen Financial Cyber Fraud Reporting and Management System) देखेगी. यह सिस्टम कैसे काम करती है यहां डिटेल पढ़िए.
CFCFRMS: साइबर फ्रॉड मैनेजमेंट सिस्टम कैसे करता है काम
फाइनेंशियल फ्रॉड जैसे गंभीर मामलों को निपटाने और साइबर धोखाधड़ी को रोकने में सिटिजन फाइनेंशियल साइबर फ्रॉड रिपोर्टिंग एंड मैनेजमेंट सिस्टम काम करता है. यहां स्टेप बाय स्टेप प्रासेस समझिए.
- साइबर धोखाधड़ी का शिकार होने पर पीड़ित शख्त को नेशनल हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करनी चाहिए. I4C की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक यह हेल्पलाइन नंबर 1930 संबंधित राज्य पुलिस द्वारा संचालित है.
- पुलिस ऑपरेटर आपकी धोखाधड़ी के लेन-देन और व्यक्तिगत जानकारी को नोट करता है और इसे सिटिजन फाइनेंशियल साइबर फ्रॉड रिपोर्टिंग एंड मैनेजमेंट सिस्टम में एक टिकट के रूप में दर्ज करता है. यह टिकट संबंधित बैंकों, वॉलेट्स और व्यापारियों को भेजा जाता है, ताकि यह देखा जा सके कि पैसे किस बैंक या वॉलेट में गए हैं.
- आपको एक मैसेज (SMS) भी भेजा जाता है. मैसेज में आपकी शिकायत संख्या होती है. साथ ही आपको नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (https://cybercrime.gov.in) पर पूरी जानकारी दर्ज करने के लिए कहा जाता है. इसके अलावा, बैंक या फाइनेंशियल इंस्टीट्यूट के नोडल अफसर को भी इस शिकायत की जानकारी दी जाती है.
- संबंधित बैंक इस टिकट को अपने डैशबोर्ड पर देखता है और यदि धोखाधड़ी से निकाले गए पैसे अभी भी उनके पास हैं, तो वे उसे होल्ड कर देते हैं. अगर पैसे किसी अन्य बैंक में चले गए हैं, तो टिकट उस बैंक को भेजा जाता है.
- यह प्रक्रिया तब तक चलती रहेगी जब तक कि धोखेबाजों के हाथों में पैसे पहुंचने से बचाए नहीं जाते. संबंधित बैंक या फाइनेंशियल इंस्टीट्यूट द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी राज्य पुलिस को भी दी जाती है.
धोखाधड़ी से बचने के लिए RBI की नसीहत
भारतीय रिजर्व बैंक लोगों को सतर्क और अपडेटेड रहने की नसीहत देता है. आरबीआई का कहना है कि बैंक खाते से बिना आपकी सहमति के पैसे कट जाते हैं तो तुरंत इसकी जानकारी अपने बैंक को दें. ऐसा करने के दौरान अपने बैंक से शिकायत का सबूत (acknowledgement) लेना न भूलें. आरबीआई के मुताबिक ऐसे मामलों में बैंक को आपकी शिकायत का समाधान 90 दिनों के भीतर करना होगा.
अगर ट्रांजेक्शन आपकी लापरवाही के कारण हुआ है,जैसे कि आपने अपना पासवर्ड, पिन, ओटीपी आदि साझा किया है, तो आपको तब तक नुकसान उठाना होगा जब तक कि आप इसे अपने बैंक को बता नहीं देते. अगर आप बैंक को सूचित करने के बाद भी धोखाधड़ी जारी रहता हैं, तो आपका बैंक उस नुकसान की भरपाई यानी रिम्बर्स करेगा. अगर आप बैंक को जानकारी देने या शिकायत करने में देरी करते हैं, तो आपका नुकसान बढ़ सकता है और यह RBI के गाइडलाइन और आपके बैंक की नीति के आधार पर तय किया जाएगा.
NCRP: नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल की खासियत
NCRP पोर्टल कैसे लोगों को साइबर अपराधों की रिपोर्ट करने और उन्हें रोकने में मदद करता है यहां उसकी खासियत देख सकते हैं.
- इस पोर्टल पर किसी भी जगह से किसी भी प्रकार के साइबर अपराध की शिकायत की जा सकती है.
- इस पहल का विशेष ध्यान ऑनलाइन बच्चों के यौन शोषण सामग्री और रेप (गैंग रेप) जैसे मामलों पर है.
- राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर मॉनिटरिंग डैशबोर्ड उपलब्ध हैं.
- शिकायतकर्ता अपनी शिकायत की स्थिति ऑनलाइन ट्रैक कर सकते हैं.
- साइबर जागरूकता बढ़ाने के लिए पंजीकृत साइबर वालुंटियर हैं.
- NCRP पर एक ऑटोमेटेड चैटबॉट है. इसे वाणी- साइबरदोस्त चैटबॉट भी (Vani- CyberDost Chatbot) कहा जाता है. इसमें तमाम प्रीडिफाइन्ड फीचर हैं.
- साइबर मामलों पर नकेल कसने के लिए एक खास माड्यूल Citizen Financial Cyber Fraud Reporting and Management System डेवलप किया गया है. यह माड्यूल लगभग 85 बैंकों, पेमेंट इंटरमीडियरी और वॉलेट्स को साइबर क्राइम बेक्ड पोर्टल से जोड़ता है. इसके अलावा ये पोर्टल लोगों को नेशनल हेल्पलाइन नंबर 1930 पर वित्तीय धोखाधड़ी रिपोर्ट करने में मदद करता है.
- 1930 हेल्पलाइन नंबर देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में काम कर रहा है.