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समीर वानखेड़े ने ‘ब*ड्स ऑफ बॉलीवुड’ के खिलाफ मुकदमे के साथ 2 करोड़ रुपये हर्जाने की मांग भी की।
आईआरएस (IRS) अधिकारी समीर वानखेड़े ने मेकर्स, Netflix, Meta, XCorp और Google के खिलाफ आर्यन खान के निर्देशन में बनी पहली फिल्म 'Ba***ds of Bollywood' को लेकर मानहानि का मुकदमा दायर किया है।याचिका में आवश्यक दावों के साथ संशोधन करने का अनुरोध किया गया था, लेकिन दिल्ली उच्च न्यायालय ने defendants को समन जारी कर उनकी प्रतिक्रिया मांगी है।
JusticePurushaindra Kumar Kaurav ने अंतरिम राहत की याचिका पर भी नोटिस जारी किया है। इस मामले को आगे विचार के लिए 30 अक्टूबर के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
वानखेड़े की ओर से वरिष्ठ वकील संदीप सेठी ने संशोधित याचिका पेश की। यह सामने आया कि सीरीज के रिलीज़ के बाद वानखेड़े, उनकी पत्नी और उनकी बहन के खिलाफ “ट्रोलिंग पोस्ट” किए गए थे। सेठी ने कहा, "ये पोस्ट्स सीधे तौर पर मानहानिकारक हैं। यह बहुत चौंकाने वाला है कि वे इन पोस्ट्स का बचाव नहीं कर रहे हैं।"
Senior Advocate ने नेटफ्लिक्स की ओर से और Senior Advocate Shyel Trehan ने Red Chillies Entertainment की ओर से समीर वानखेड़े द्वारा दायर मुकदमे का विरोध किया।
Sameer Dyandev Wankhede बनाम Red Chillies Entertainment एवं अन्य मामले में, XCorp (पूर्व में ट्विटर), गूगल एलएलसी, मेटा प्लेटफॉर्म्स, RPG लाइफस्टाइल मीडिया प्राइवेट लिमिटेड और John Doe को भी नामजद किया गया है।
वानखेड़े की सितंबर में की गई अपील
वानखेड़े ने पहले 2 करोड़ रुपये के हर्जाने की मांग की थी और दावा किया था कि यह राशि टाटा मेमोरियल कैंसर हॉस्पिटल में कैंसर रोगियों को दान की जाएगी। उन्होंने आरोप लगाया कि आर्यन खान की फिल्म 'Ba***ds of Bollywood' के दृश्य “झूठे, दुर्भावनापूर्ण और मानहानिकारक” हैं।
इसलिए, मुकदमा दायर कर production houseऔर अन्य नामजद व्यक्तियों के खिलाफ स्थायी और अनिवार्य निषेधाज्ञा की मांग की गई। वानखेड़े के अनुसार, उनकी नकल करने का प्रयास “जानबूझकर” किया गया, जो उनकी प्रतिष्ठा को “नुकसान पहुँचाने और भ्रामक तरीके से” खराब करने की कोशिश थी।
इसके अलावा, सीरीज में कथित रूप से एक पात्र “सत्यमेव जयते” का नारा दोहराने के बाद अश्लील इशारा करता दिखाया गया है। वानखेड़े के मुकदमे के अनुसार, यह राष्ट्रीय सम्मान अपमान निवारण अधिनियम, 1971 (Prevention of Insults to National Honour Act, 1971) के प्रावधानों का गंभीर और संवेदनशील उल्लंघन है।
साथ ही, मुकदमे में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और भारतीय न्याय संहिता (BNS) के अन्य प्रावधानों का भी हवाला दिया गया है।
Note: This content has been translated using AI. It has also been reviewed by FE Editors for accuracy.
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