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Gautam Adani Stocks : अडानी ग्रुप कंपनियों के शेयरों में आज 17 फीसदी तक गिरावट देखने को मिल रही है. (PTI)
Adani Group Stocks : अडानी ग्रुप एक बार फिर मुश्किलों में है. अमेरिका की रिसर्च एंड इन्वेस्टमेंट कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की नई रिपोर्ट आने के बाद आज अडानी ग्रुप के लिस्टेड सभी 10 कंपनियों के शेयरों में बिकवाली है. इन कंपनियों के शेयरों में आज 17 फीसदी तक गिरावट देखने को मिली है. इसके पहले जनवरी 2023 में भी हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट से अडानी ग्रुप को भारी नुकसान उठाना पड़ा था. हिंडनबर्ग रिसर्च ने आरोप लगाया है कि उसे संदेह है कि अडानी ग्रुप के खिलाफ कार्रवाई करने में सेबी की अनिच्छा का कारण यह हो सकता है कि बुच की अडानी ग्रुप से जुड़े विदेशी फंडों में हिस्सेदारी थी.
Adani Group Stocks : किस शेयर में कितनी गिरावट
आज इंट्राडे में बीएसई सेंसेक्स पर लिस्टेड अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस (Adani Energy Solutions Share Price) में 17 फीसदी गिरावट देखने को मिली है. अडानी टोटल गैस में 13.39 फीसदी तक, एनडीटीवी में 11 फीसदी तक और अडानी पावर में 10.94 फीसदी तक की गिरावट आई है. अडानी ग्रीन एनर्जी के शेयरों में 6.96 फीसदी तक, अडानी विल्मर में 6.49 फीसदी तक, अडानी एंटरप्राइजेज में 5.43 फीसदी तक, अडानी पोर्ट्स में 4.95 फीसदी तक, अंबुजा सीमेंट्स में 2.53 फीसदी तक और एसीसी में 2.42 फीसदी तक की गिरावट आई है.
Adani Energy Solutions : -17%
Adani Enterprises : -5.43%
Adani Total Gas : 13.39%
NDTV : 11%
Adani Power : 11%
Adani Green Energy : 7%
Adani Wilmar : 6.5%
Adani Ports : 5%
Ambuja Cement : 2.53%
ACC : 2.42%
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में क्या कहा गया
हिंडनबर्ग ने शनिवार देर रात जारी अपनी नई रिपोर्ट में कहा था कि बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की चेयरपर्सन बुच और उनके पति धबल बुच ने बरमूडा तथा मॉरीशस में अस्पष्ट विदेशी फंडों में अघोषित निवेश किया था. उसने कहा कि ये वही फंड हैं जिनका कथित तौर पर विनोद अडानी ने पैसों की हेराफेरी करने तथा ग्रुप की कंपनियों के शेयरों की कीमतें बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया था. विनोद अडानी, अडानी ग्रुप के चेयरपर्सन गौतम अडानी के बड़े भाई हैं.
आरोपों पर बुच दंपति ने क्या कहा
आरोपों के जवाब में बुच दंपति ने एक संयुक्त बयान में कहा कि ये निवेश 2015 में किए गए थे, जो 2017 में सेबी के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में उनकी नियुक्ति तथा मार्च 2022 में चेयरपर्सन के रूप में उनकी पदोन्नति से काफी पहले था. ये निवेश सिंगापुर में रहने के दौरान निजी तौर पर आम नागरिक की हैसियत से किए गए थे. सेबी में उनकी नियुक्ति के बाद ये फंड ‘निष्क्रिय’ हो गए.