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Crisil Report : दूसरी तिमाही में 5-6% बढ़ी कंपनियों की आमदनी, लेकिन मुनाफे पर दबाव, रिपोर्ट की 5 बड़ी बातें

Crisil Report : क्रिसिल रिपोर्ट के मुताबिक दूसरी तिमाही में सीमेंट और टेलीकॉम सेक्टर्स ने दिखाई मजबूती, लेकिन ऑटो, आईटी और फार्मा सेक्टर्स में मुनाफे पर बढ़ा दबाव

Crisil Report : क्रिसिल रिपोर्ट के मुताबिक दूसरी तिमाही में सीमेंट और टेलीकॉम सेक्टर्स ने दिखाई मजबूती, लेकिन ऑटो, आईटी और फार्मा सेक्टर्स में मुनाफे पर बढ़ा दबाव

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Viplav Rahi
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Crisil Q2 FY26 Report : रेवेन्यू 5-6% बढ़ी, लेकिन प्रॉफिटेबिलिटी पर बढ़ा दबाव (Image : Pixabay)

Industry News : Crisil Report Q2FY26 : घरेलू रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की नई रिपोर्ट के मुताबिक, जुलाई-सितंबर 2025 की दूसरी तिमाही में भारत की कंपनियों (India Inc) की कुल रेवेन्यू यानी आय में 5-6% की मामूली बढ़त देखने को मिली है. हालांकि, इस दौरान कंपनियों की प्रॉफिटेबिलिटी यानी मुनाफे की दर में करीब 0.60% की गिरावट आई है. क्रिसिल ने यह विश्लेषण 600 कंपनियों के प्रदर्शन के आधार पर किया है.

रिपोर्ट के मुताबिक, बिजली, कोयला, आईटी सर्विस और स्टील जैसे सेक्टरों का प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा. यही वजह रही कि रेवेन्यू ग्रोथ सीमित दायरे में रही, जबकि मुनाफे के मोर्चे पर दबाव और बढ़ गया.

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धीमी रफ्तार वाले सेक्टर्स ने घटाई ग्रोथ की चमक

क्रिसिल की रिपोर्ट बताती है कि जिन सेक्टरों में धीमी ग्रोथ रही, उनका हिस्सा कुल कॉरपोरेट रेवेन्यू में एक-तिहाई से ज्यादा है. इस वजह से कुल ग्रोथ पर असर पड़ा. हालांकि, पिछली तिमाही यानी अप्रैल-जून के मुकाबले यह ग्रोथ एक प्रतिशत अधिक रही.

आईटी सर्विस सेक्टर पर जियो-पॉलिटिकल टेंशन का असर जारी रहा, जिससे प्रोजेक्ट डिफर करने (Project Deferral) यानी काम में देरी की स्थिति बनी रही. रिपोर्ट के अनुसार, इस सेक्टर की रेवेन्यू ग्रोथ सिर्फ 1% रही. वहीं, स्टील सेक्टर में 9% वॉल्यूम ग्रोथ के बावजूद दामों में गिरावट से रेवेन्यू केवल 4% ही बढ़ पाया.

पावर सेक्टर की रेवेन्यू सिर्फ 1% बढ़ी. भारी बारिश (मॉनसून) औसत से 108% अधिक होने और रिन्यूएबल एनर्जी जेनरेशन में 10% उछाल से कोयले की मांग घटी, जिससे कोल सेक्टर का ग्रोथ लगभग फ्लैट रहा.

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GST रेट घटने का ऑटो और FMCG पर अस्थायी असर

क्रिसिल इंटेलिजेंस के डायरेक्टर पुषन शर्मा ने कहा, “गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) दरों में कमी (rationalisation) से ग्राहकों में नए स्टॉक के सस्ते दामों की उम्मीद बढ़ी, जिससे अस्थायी रूप से मार्केट में मांग पर असर पड़ा. रिटेलर्स और डिस्ट्रीब्यूटर्स ने FMCG की खरीद टाल दी, जबकि ऑटो सेक्टर (Auto Sector) में इन्वेंट्री लेवल बढ़ने और कमजोर रिटेल सेल्स ने दबाव बनाया.”

शर्मा ने बताया कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था (rural economy) में इस दौरान सुधार देखने को मिला. भरपूर मॉनसून और खरीफ फसलों के लिए सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) बढ़ाने के फैसले ने किसानों का मनोबल बढ़ाया. इससे ट्रैक्टर और टू-व्हीलर की बिक्री में उछाल आया. ट्रैक्टर मैन्युफैक्चरर्स की रेवेन्यू 36% तक बढ़ी, जबकि टू-व्हीलर सेगमेंट में 9% की बढ़त देखने को मिली.

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सीमेंट और फार्मा सेक्टर में दिखी रिकवरी

क्रिसिल (Cement) की रिपोर्ट के मुताबिक, सीमेंट सेक्टर में 8% रेवेन्यू ग्रोथ दर्ज की गई, जो पिछले साल की कम बेस और त्योहारी मांग (pre-festival demand) के कारण रही. वहीं, फार्मा सेक्टर (Pharmaceuticals) की रेवेन्यू भी 8% बढ़ी, जिसका श्रेय एक्सपोर्ट डिमांड और घरेलू बाजार की स्थिरता को गया.

टेलीकॉम सेक्टर में भी 7% ग्रोथ दर्ज की गई. हालांकि, नए सब्सक्राइबर नहीं बढ़े, लेकिन महंगे सब्सक्रिप्शन प्लान्स की वजह से औसत रेवेन्यू पर यूजर (ARPU) बढ़ा.

रिपोर्ट ने यह भी बताया कि सीमेंट, स्टील और टेलीकॉम इंडस्ट्री (Telecom Industry) में इस तिमाही के दौरान प्रॉफिट मार्जिन में सुधार देखने को मिला.

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मुनाफे पर दबाव, कई सेक्टर्स में मार्जिन घटा

कंपनियों के लिए दूसरी तिमाही में सबसे बड़ी चुनौती रही मुनाफे को बनाए रखना. क्रिसिल के अनुसार ऑटोमोबाइल, फार्मा और एल्युमिनियम सेक्टरों की कंपनियां अपने बढ़े हुए खर्च पूरी तरह ग्राहकों पर नहीं डाल पाईं.

रिपोर्ट के अनुसार, ऑटो सेक्टर के मुनाफे का मार्जिन 1.50-2% तक घटा, जिसका कारण एल्युमिनियम की कीमतों में 11% की बढ़ोतरी रही. एल्युमिनियम सेक्टर का प्रॉफिट मार्जिन 1-1.5% तक घटा, क्योंकि एक्सपोर्ट रियलाइजेशन कम हुआ. फार्मा सेक्टर में भी मार्जिन में 1.5-2% की गिरावट दर्ज की गई, क्योंकि कंपटीशन बढ़ने से पुराने प्रोडक्ट्स पर दबाव बन गया.

सीमित बढ़त, लेकिन उम्मीदें बरकरार

कुल मिलाकर, क्रिसिल की रिपोर्ट बताती है कि भारतीय कंपनियों की रेवेन्यू ग्रोथ तो बनी रही, लेकिन बढ़ती लागत, सेक्टर-वाइज दबाव और अस्थिर ग्लोबल माहौल ने मुनाफे पर असर डाला. हालांकि, त्योहारी सीजन और ग्रामीण मांग में सुधार के चलते आने वाले महीनों में सुधार की उम्मीद बनी हुई है.

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