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जनरल इलेक्शन 2024 : शेयर बाजार पर इन फैक्‍टर्स का होगा अच्‍छा या बुरा असर, 10 प्‍वॉइंट में समझें पूरी डिटेल

Stock Market Performance : पहले 3 चरण के दौरान चुनावी घटनाओं का बाजार पर बहुत ज्‍यादा असर नहीं हुआ है. इसकी एक वजह यह भी है कि चुनाव के पहले से ही राजनीतिक स्थिरता का ट्रिगर बाजार में बना हुआ था.

Stock Market Performance : पहले 3 चरण के दौरान चुनावी घटनाओं का बाजार पर बहुत ज्‍यादा असर नहीं हुआ है. इसकी एक वजह यह भी है कि चुनाव के पहले से ही राजनीतिक स्थिरता का ट्रिगर बाजार में बना हुआ था.

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Sushil Tripathi
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Stock Market Triggers : बाजार अभी अनुकूल चुनावी नतीजों सहित लगभग हर पॉजिटिव खबर को डिस्‍काउंट कर चल रहा है. (Reuters)

Stock Market During General Election 2024 : देश में जनरल इलेक्‍शन के 3 फेज पूरे हो चुके हैं और 4 फेज अभी भी बचे हैं. 1 जून 2024 तक वोटिंग खत्‍म होगी और 4 जून 2024 को चुनाव के फाइनल नतीजे आएंगे. जिसके बाद तय होगा कि केंद्र में मौजूदा सरकार की वापसी होगी या इसमें बदलाव होगा. फिलहाल ये घटना शेयर बाजार के लिए बेहद अहम है अबतक की बात करें तो पहले 3 चरण के दौरान चुनावी घटनाओं का बाजार पर बहुत ज्‍यादा असर नहीं हुआ है. इसकी एक वजह यह भी है कि चुनाव के पहले से ही राजनीतिक स्थिरता (Political Certainty) का ट्रिगर बाजार में बना हुआ था. वर्तमान में चल रहे आम चुनाव को बाजार के नजरिए से काफी हद तक एक ऐसी घटना के रूप में देखा जा रहा है, जिसका ज्यादा असर बाजार पर नहीं होगा.  

लेकिन क्‍या यह सही स्‍ट्रैटेजी है, क्‍या आत्‍मसंतोष जोखिम भी बन सकता है. फिलहाल बचे हए चुनावी माहौल के दौरान बाजार की चाल कैसी रहेगी, मौजूदा समय में बाजार में क्‍या रिस्‍क हैं, किस तरह की स्‍ट्रैटेजी निवेशकों को बनानी चाहिए? आगे कौन से सेक्‍टर बेहतर कर सकते हैं या किनमें गिरावट आ सकती है? इन सभी बातों की जानकारी कोटक अल्टरनेट एसेट मैनेजर्स की सीईओ- इन्‍वेस्‍टमेंट एंड स्‍ट्रैटेजी, लक्ष्मी अय्यर ने 10 प्‍वॉइंट में दी है. 

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1. बाजार में रह सकती है उथल पुथल

आम चुनावों (Lok Sabh Polls) के दौरान इक्विटी मार्केट में उथल-पुथल रह सकती है. जियो-पॉलिटिकल माहौल भी अभी काफी अस्थिर है, जिससे अनिश्चितता बढ़ सकती है. बाजारों ने लगभग हर पॉजिटिव ट्रिगर को ध्यान में रखा है और हर निगेटिव ट्रिगर पर अस्थिरता बढ़ रही है. अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड में बढ़ोतरी के साथ-साथ बॉन्ड यील्ड ऊपर की ओर बढ़ रही है. उम्मीद है कि 10-ईयर बेंचमार्क गवर्नमेंट-सिक्योरिटीज (जी-सेक) यील्ड कुछ स्थिर स्थिति में मिलेगा. इसके अलावा, बॉन्ड यील्ड में किसी भी तेज बढ़ोतरी को रोकने के लिए एफपीएल (FPL) खरीदारी एक मजबूत कैटलिस्‍ट बनी रह सकती है.

2. राजनीतिक स्थिरता का सेंटीमेंट डिस्‍काउंटेड?

बाजार अभी अनुकूल चुनावी नतीजों सहित लगभग हर पॉजिटिव खबर को डिस्‍काउंट कर चल रहा है. इसलिए बाजार में अभी सबसे बड़ा जोखिम आत्मसंतोष का जोखिम है. लगभग सभी सेगमेंट में कीमतों में रैखिक बढ़ोतरी को देखते हुए निवेशकों, विशेष रूप से नए निवेशकों ने लंबे समय तक बाजार में शायद ही कोई नकारात्मक असर देखा हो. 

3. ये सेक्टर कर सकते हैं मजबूत प्रदर्शन

यह देखते हुए कि बीएफएसआई (BFSI) ने अपेक्षाकृत खराब प्रदर्शन किया है, इस सेक्‍टर में चुनिंदा अवसर हो सकते हैं. फार्मास्युटिकल और हेल्‍थकेयर सेक्टर आगे बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं. कमोडिटीज के लिए भी आने वाले दिन बेहतर दिख रहे हैं, वहीं रियल एस्टेट सेक्टर में अवसर सेलेक्‍टेड हैं. मार्केट साइकिल छोटा हो रहा है और अगला कदम टॉप-डाउन अप्रोच के बजाय बॉटम-अप अधिक हो सकता है.

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4. किन सेक्‍टर में आएगा करेक्‍शन?

स्टॉक या किसी सेक्टर में भविष्य की गतिविधियों के लिए अर्निंग प्रमुख वजह साबित हो सकती है. जब तक हमें कुछ स्थिरता नहीं दिखती, आईटी सेक्टर में अभी भी कुछ गिरावट हो सकती है.

5. कॉर्पोरेट कैपेक्‍स और इक्विटी 

भारत में कॉर्पोरेट सेक्टर ने कोविड चरण के दौरान बैलेंस शीट में उधार ली गई पूंजी कम होते देखी है. हमने निश्चित रूप से कैपेक्‍स साइकिल में बहुत अच्छी तेजी देखी है और इसका असर इक्विटी पर दिखाई दिया है. हालांकि अभी भी कैपेक्‍स में उछाल नहीं हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि हम उस ओर जा रहे हैं.

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6. निवेश रणनीति 

बीते दिनों मिड-कैप और स्मॉल-कैप सेगमेंट में शानदार प्रदर्शन देखने को मिला है. आगे लार्ज-कैप में स्‍कोप है. निवेशकों को लार्जकैप के साथ पोर्टफोलियो बैलेंस करना चाहिए. वहीं बाजार में किसी अप्रत्याशित प्रतिक्रिया की स्थिति में कुछ डिफेंस मैकेनिज्म तैयार करने पर फोकस होना चाहिए.

7. जियो-पॉलिटिकल टेंशन का असर

जियो-पॉलिटिकल फैक्‍टर सबसे आगे रहेगा, क्योंकि यह क्रूड ऑयल की कीमतों, कई अन्य कमोडिटीज और करंसी को सीधे प्रभावित करता है. निकट भविष्य में बाजार वर्तमान लिक्विड पोजीशन के प्रति सचेत रह सकता है. अगर जियो-पॉलिटिकल स्थिति बिगड़ती है, तो इससे कमोडिटी, विशेषकर क्रूड ऑयल की कीमतें प्रभावित हो सकती हैं. कच्‍चा तेल भारत के लिए एक महत्वपूर्ण आयात होने वाली कमोडिटी है, इसलिए इसमें महंगाई को बढ़ावा देने की क्षमता होती है.

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8. रेट कट में देरी का असर 

बाजार को ब्‍याज दरों में कटौती के लिए इंतजार करना होगा क्योंकि अमेरिका दरों में कटौती करने की जल्दी में नहीं है. महंगाई में कुछ कमी आने के बावजूद भारत भी इस मोर्चे पर नरम नहीं पड़ना चाहेगा, क्योंकि इसका असर रुपये पर पड़ सकता है. इसका मतलब यह हो सकता है कि उधार लेने की लागत लगातार बढ़ती रहेगी. दरों में कटौती पूरी तरह से बंद नहीं हुई है. फेड फंड फ्यूचर्स फिलहाल एक से अधिक दरों में कटौती के संकेत नहीं दे रहे हैं. भारत के लिए भी यही स्थिति हो सकती है क्योंकि जियो-पॉलिटिकल पर अनिश्चितता बनी हुई है.

9. मिड और स्मॉल-कैप पर रहें अलर्ट?

लार्ज-कैप और मिड-कैप के बीच वैल्‍युएशन का अंतर काफी कम हो गया है. इसलिए मौजूदा स्तर पर सतर्क रहना ही समझदारी है. इस सेगमेंट में अवसर सामान्य रूप से किसी क्षेत्र विशेष में निवेश की तुलना में बॉटम-अप स्‍टॉक स्‍पेसिफिक प्रकृति के अधिक हैं.

10. क्‍या चीने की ओर मुड़ सकता है फ्लो?

फॉरवर्ड पीई के आधार पर भारत और चीन के बीच वैल्‍युएशन में बड़े अंतर को देखते हुए, कुछ अलोकेशन एडजस्टमेंट हो सकते हैं. हालांकि, चीन की स्थिति अभी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है. इसलिए, मौजूदा वैल्‍युएशन लंबे समय तक बढ़ सकता है.

(Disclaimer: किसी सेक्टर या स्टॉक में निवेश या दूर की सलाह एक्सपर्ट के द्वारा दी गई है. यह फाइनेंशियल एक्सप्रेस के निजी विचार नहीं हैं. बाजार में जोखिम होते हैं, इसलिए निवेश के पहले एक्सपर्ट की राय लें.)

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