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Groww IPO : ग्रो की पेरेंट कंपनी 8500 करोड़ का आईपीओ लाने को तैयार, कॉन्फिडेंशियल रूट से फाइल किया DRHP

Groww IPO: ग्रो की पेरेंट कंपनी बिलियनब्रेन्स गैराज वेंचर्स ने आईपीओ के जरिय 8500 करोड़ रुपये तक जुटाने के लिए कॉन्फिडेंशियल रूट से DRHP दाखिल किया है.

Groww IPO: ग्रो की पेरेंट कंपनी बिलियनब्रेन्स गैराज वेंचर्स ने आईपीओ के जरिय 8500 करोड़ रुपये तक जुटाने के लिए कॉन्फिडेंशियल रूट से DRHP दाखिल किया है.

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FE Hindi Desk
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Groww की पेरेंट कंपनी ने जिस रूट से IPO फाइल किया है, उसे कॉन्फिडेंशियल प्री-फाइलिंग रूट कहते हैं. (Image : Pixabay)

Groww Parent IPO: भारत की सबसे तेजी से बढ़ती इनवेस्टमेंट प्लेटफॉर्म और स्टॉक ब्रोकिंग फर्म में शामिल ग्रो (Groww) की पेरेंट कंपनी बिलियनब्रेन्स गैराज वेंचर्स (Billionbrains Garage Ventures) ने 1 अरब डॉलर यानी करीब 8500 करोड़ रुपये तक जुटाने के लिए आईपीओ लाने की तैयारी कर ली है. कंपनी ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के पास कॉन्फिडेंशियल यानी गोपनीय प्री-फाइलिंग रूट के जरिए ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) दाखिल किया है. इस आईपीओ में कंपनी ताजा इक्विटी शेयर जारी करने के अलावा ऑफर फॉर सेल (OFS) भी लेकर आ रही है, जिसमें प्रमोटर अपने मौजूदा शेयर बेचने के लिए ऑफर करेंगे. यह जानकारी न्यूज एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से दी है.

क्या होता है कॉन्फिडेंशियल प्री-फाइलिंग रूट?

Groww ने जिस रूट से IPO फाइल किया है, उसे कॉन्फिडेंशियल प्री-फाइलिंग रूट कहते हैं. इस रास्ते से कंपनियां सेबी के पास जरूरी दस्तावेज फाइल कर सकती हैं, लेकिन शुरुआत में इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं होती. जब तक सेबी की अंतिम टिप्पणियां नहीं आ जातीं, तब तक ड्राफ्ट डॉक्युमेंट पब्लिक डोमेन में नहीं आते. इससे कंपनियों को ज्यादा लचीलापन और समय मिलता है.

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इस रूट को अपनाने वाली अन्य कंपनियों में टाटा कैपिटल (Tata Capital), शिपरॉकेट (Shiprocket), फिजिक्सवाला (PhysicsWallah) और स्विगी (Swiggy) जैसे नाम शामिल हैं. बाजार एक्सपर्ट्स के अनुसार यह रूट कंपनियों को IPO योजना को बेहतर तरीके से मैनेज करने की सुविधा देता है. इसमें IPO लाने की जरूरत 12 से 18 महीने तक बढ़ जाती है.

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टेक्नोलॉजी और कारोबार के विस्तार में होगा निवेश

ग्रो (Groww) की पेरेंट कंपनी बिलियन गैराज वेंचर्स (Billionbrains Garage Ventures) इस आईपीओ के जरिए करीब 700 मिलियन डॉलर से 1 बिलियन डॉलर (लगभग 8500 करोड़ रुपये) तक जुटाने का लक्ष्य लेकर चल रही है. यह रकम टेक्नोलॉजी को और मजबूत करने और कारोबार के विस्तार में खर्च की जाएगी. कंपनी की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, "कंपनी ने अपने प्रस्तावित इक्विटी शेयरों के IPO के लिए SEBI और स्टॉक एक्सचेंज के पास प्री-फाइल्ड ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस दाखिल किया है."

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निवेशकों की लंबी सूची और बड़ा वैल्यूएशन

Groww को Peak XV, टाइगर ग्लोबल (Tiger Global) और माइक्रोसॉफ्ट के CEO सत्या नडेला जैसे दिग्गज निवेशकों का समर्थन प्राप्त है. इस आईपीओ के बाद कंपनी की वैल्यूएशन 7 बिलियन डॉलर (करीब 59,500 करोड़ रुपये) तक पहुंच सकती है. इस बड़े आईपीओ को मैनेज करने के लिए Groww ने कई दिग्गज इन्वेस्टमेंट बैंकों को चुना है. इनमें जेपी मॉर्गन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, कोटक महिंद्रा कैपिटल कंपनी, सिटीग्रुप ग्लोबल मार्केट्स, एक्सिस कैपिटल और मोतीलाल ओसवाल सिक्योरिटीज लिमिटेड शामिल हैं.

तेजी से बढ़ा Groww का कारोबार

Groww की शुरुआत 2016 में हुई थी और आज यह भारत का सबसे तेज़ी से बढ़ता रिटेल ब्रोकिंग प्लेटफॉर्म बन चुका है. मार्च 2025 तक इसका मार्केट शेयर बढ़कर 26.3 प्रतिशत हो गया, जो मार्च 2024 में 23.3 प्रतिशत था. वित्त वर्ष 2024-25 में Groww ने 34 लाख नए ग्राहक जोड़े. मार्च 2024 में इसके पास 95 लाख एक्टिव क्लाइंट थे, जो बढ़कर मार्च 2025 में 1.29 करोड़ हो गए. इस बढ़त के पीछे Groww का मोबाइल-फर्स्ट अप्रोच, आसान यूजर इंटरफेस और निवेश शिक्षा पर जोर है. इसके चलते खुदरा निवेशकों के बीच इसका भरोसा तेजी से बढ़ा है.

जिरोधा को पीछे छोड़ नंबर वन बना Groww

Groww ने FY25 में जिरोधा (Zerodha) को पीछे छोड़ते हुए सबसे बड़े स्टॉक ब्रोकर का खिताब हासिल कर लिया. Groww के एक्टिव क्लाइंट्स में 36 फीसदी की ग्रोथ हुई और यह संख्या करीब 1.3 करोड़ तक पहुंच गई. इससे उलट Zerodha का मार्केट शेयर घटकर 16 प्रतिशत रह गया. हालांकि Zerodha अब भी सबसे ज्यादा मुनाफा कमाने वाला ब्रोकरेज है.

 FY23 में मुनाफा आया, लेकिन FY24 में हुआ घाटा

Groww ने वित्त वर्ष 2022-23 (FY23) में 449 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया था और 1,277 करोड़ रुपये का रेवेन्यू हुआ था. FY24 में कंपनी ने 3,145 करोड़ रुपये का रेवेन्यू और 535 करोड़ रुपये का ऑपरेटिंग प्रॉफिट दर्ज किया. हालांकि, एक बार के टैक्स पेमेंट (1,340 करोड़ रुपये) की वजह से कंपनी को FY24 में 805 करोड़ रुपये का नेट लॉस हुआ. यह टैक्स देनदारी भारत में डोमिसाइल शिफ्ट करने के कारण आई थी.

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Groww पर GIC की भी नजर

हाल ही में सिंगापुर के सॉवरेन वेल्थ फंड GIC ने कंपटीशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) से ग्रो (Groww) की पेरेंट कंपनी में 2.14 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने की इजाजत मांगी है. Groww की तेजी से बढ़ते कारोबार और बड़े निवेशकों के समर्थन की वजह से इसके IPO को लेकर निवेशकों का अच्छा समर्थन मिल सकता है. 

(Input : PTI)

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